मुरली मनोहर तिवारी,(सीपू) | पर्सा में मधेशी गठबंधन की बड़ी जीत के बाद, सबकी निगाहें समानुपातिक चयन के संबंध में थी। राजपा ने एक सीट और स.स.फोरम ने दो सीट पर्सा को दिया, जिससे पर्सा में हर्ष का माहौल है। इसे पर्सा के लिए नए साल के तोहफा माना जा रहा है। वही वाम गठबंधन से कुछ नही मिलना, पार्टी द्वारा पर्सा के कार्यकर्ताओं को दंडित किया हुआ माना जा रहा है। कांग्रेस से सांत्वना पुरस्कार के रूप में कुछ मिलने की उम्मीद बरकरार है।
सबसे बड़ा निर्णय करीमा बेग़म को चुनने के संबंध में रहा। करीमा बेग़म बहुत ज्यादा मेहनती और जुझारू नेत्री है, कई जगह से आशंका की जा रही थी, की उन्हें जगह नही मिले, लेकिन तमाम अटकलों को झुठलाते हुए, स.स.फोरम ने अपने समर्पित कार्यकर्ता का मूल्यांकन किया, इससे बाक़ी कार्यकर्ता का मनोबल ऊँचा होगा।
दूसरा निर्णय रहा स.स.फोरम के तरफ से भीमा यादव का चयन होना। भीमा यादव पूर्व में राप्रपा की केंद्रीय सदस्य रही है। राजनीति और सामाजिक कार्य मे निरन्तर सक्रिय रहती है। इस चुनाव में बिमल श्रीवास्तव को जीत दिलाने में अग्रणी भूमिका में थी। वे बीरगंज के नामी चिकित्सक डॉ. रामप्रसाद यादव की धर्मपत्नी है।
तीसरा निर्णय रहा, राजपा से डॉ. अंजू यादव का चयन होना। अंजू यादव सामाजिक कार्य मे सहयोग करते आई है, वे पर्सा के प्रतिष्टित शिक्षाविद हरिहर यादव की पुत्रवधू है। पर्सा में मधेशी गठबंधन के कुल नौ बिधायक हो गए, जिसमें तीन महिला सहभागिता के कारण महिला सशक्तिकरण को बल मिलेगा। पर्सा ने जिस प्रकार मधेशी गठबंधन का साथ दिया, उसका उचित मूल्यांकन हुआ। अब जरूरत इस बात की है, की सभी सांसद और बिधायक मिलकर पर्सा के उम्मीदों को पूरा करें, जिसका इन्तजार बेसब्री से हो रहा है।
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