काठमाडौं, १८ मङि्सर
मधेसी मोर्चा ने संविधान संशोधन विधेयक परिमार्जन करने के लिए कुछ शर्तों को रखा है । मोर्चा का कहना है कि झापा, मोरङ, सुनसरी, कैलाली और कञ्चनपुर को थाती रख कर संविधान संशोधन नहीं हो सकता । नवलपरासी को टुकडा करने की तरह, मोरङ, सुनसरी, कैलाली और कञ्चनपुर को तोड कर मधेस का भाग मधेस प्रदेश में और पहाड का भाग पहाडी प्रदेश में रखने की मांग की है ।
इसी तरह मोर्चा का मानना है कि राज्य पुनःसंरचना आयोग के रिर्पोट के अनुसार १० प्रदेश बनाने से सीमांकन समस्या समाधान हो सकता है ।
प्रदेश नम्बर ५ में कैलाली और कञ्चनपुर समेत मिलाकर मधेस प्रदेश बनाने की मांग मोर्चा की है । इसे थरुहट प्रदेश नामाकरण करने पर मोर्चा सहमत हो सकती है ।
त्यस्तै मोर्चा का मानना है कि संघीय आयोग के द्वारा सीमांकन समस्या समाधान नहीं हो सकता है । अगर संघीय आयोग को सीमांकन विवाद हल करने का जिम्मा दिया गया है तो प्रदेश संख्या के बारे में भी जिम्मा देना होगा ।
इसी तरह राष्ट्रिय सभा में प्रतिनिधित्व के बारे में संविधान संशोधन विधेयक में शामिल राष्ट्रिय सभा निर्वाचनमण्डल में गाविस अध्यक्ष तथा नगरपालिका प्रमुख, उपप्रमुख रहने का प्रावधान खारेज करने की मांग मोर्चा ने की है ।
मुलुक में बोलने वाले सभी भाषा को मातृ भाषा के रुप में अनुसूची में मात्र न रख कर सरकारी कामकाज की भाषा बनाने की मोर्चा की माग है। कौन सी भाषा को अनुसूची में शामिल किया जाय यह कार्य भी भाषा आयोग को करना चाहिए ।
नागरिकता सम्बन्धी प्रस्तावित व्यवस्था में परिमार्जन की मांग मोर्चा की है । वैवाहिक अंगीकृत को वैवाहिक बंशज बनाने की मांग मोर्चा ने रखा है और अंगीकृत को वशंज की तरह अधिकार मिलना चाहिए की मांग भी की है ।
अन्तरिम संविधान, २०६३ की व्यवस्था के अनुसार संशोधन विधेय परिमार्जन होने से नागरिकताको समस्या समाधान हो सकता है मोर्चा के नेताओ की यह धारणा है । अन्तरिम संविधान में वैवाहिक अंगीकृत नागरिक नेपाल में १० वर्ष रहने के बाद संवैधानिक पद के लिए योग्य मानने की व्यवस्था थी ।
मोर्चा ने स्थानीय निकाय में दलगत राजनीति रोकने की और स्वतन्त्र शैली से चुनाव कराने की मांग को आगे बढाया है ।
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