संविधान सभा भंग होने के ठीक एक दिन बाद यानि कि आज सुबह ही समय से २ घण्टे पहले ही राजधानी के खुलामंच टूंडिखेल में गणतंत्र दिवस समारोह की औपचारिकता पूरी कर ली गई है। इस समारोह में राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के अलावा अन्य किसी भी दल के कोई नेता उपस्थित नहीं रहे। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच की बढती दूरी इस समारोह के दौरान देखने को मिली। औपचारिकता के अलावा घण्टों चले इस समारोह में साथ साथ बैठने के बाद भी उन दोनों के बीच कोई भी बातचीत नहीं हुई। नेपाली राजनीति के लिए यह शुभ संकेत नहीं है।
कल देर रात संविधान सभा भंग होने और ताजा जनादेश के लिए चुनाव की घोषणा करते समय प्रधानमंत्री का जो हाव भाव दिखा वह किसी भी निरंकुश शासक से कम नहीं दिख रहा था जो कि पूरे दम्भ में भरे हों। साथ ही प्रधानमंत्री भट्टराई ने राष्ट्रपति को यह साफ शब्दों में बता दिया कि यदि उनकी सरकार भंग करने की कोशिश की गई या सत्ता को अपने हाथ में लेने की कोशिश की गई तो राष्ट्रपति का भी अंजाम पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र की तरह हो सकता है। यह प्रधानमंत्री का माओवादी के तरफ से राष्ट्रपति को खुली चुनौती थी और माओवादी की आगे की रणनीति भी।
संविधान सभा भंग कर नए चुनाव कराने के फैसले को मंत्रिपरिषद के कई सदस्यों ने नहीं माना है। जैसे ही प्रधानमंत्री ने कैबिनेट की बैठक में यह प्रस्ताव किया एमाले के तरफ से मंत्री रहे इश्वर पोखरेल बैठक का बहिष्कार कर बाहर आ गए। इसी तरह अन्य छोटी पार्टियों के नेता भी बाहर आ गए। कल रात ही एमाले सहित राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी, नेपाल परिवार दल, नेकपा माले ने सरकार से हटने की घोषणा करते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। बाबूराम भट्टराई के नेतृत्व में बनी राष्ट्रीय सहमति की सरकार तीन हफ्ते भी नहीं टिक पाई।source.nepalkikhbar.com
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच की बढती दूरी ,अंजाम पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र की तरह हो सकता है।
Loading...
Leave a Reply
Be the First to Comment!