प्रधानमंत्री ओली गेम प्लान में सफल, खतरे में प्रदेश-२ की सरकार : अछूतमकुमार अनन्त

अछूतम कुमार अनन्त , प्रदेश नम्बर २ की सरकार ने अपने हनीमून पीरियड अर्थात अपने १०० दिन का कार्यकाल पूरा कर लिया है । इसी हनीमून पीरियड के दौरान ही जनता को पता चल जाता है कि आगे सरकार क्या और कैसे काम करेगी । इस १०० दिन के भीतर मुख्यमंत्री मो. लालबाबु राउत जी के पास उपलब्धि दिखाने के लिए कुछ भी नही है । परंतु विवाद बहुत सारे है । जैसा कि मोदी के जनकपुर भ्रमण के समय में मुख्यमंत्री राउत जी का दिया हुआ भाषण, उसी भ्रमण के वक्त हुवा खर्च में भ्रष्टाचार के आरोप, उनके मंत्री द्वारा राजपा के विधायक डिम्पल झा के साथ हुवा दुर्व्यवहार आदि ।
वैसे भी नेपाल में संघीयता बिन पेंदी के लोटे जैसा है । प्रदेश तो बन गया पर मुख्यमंत्री के पास शक्ति न के बराबर है । जितना शक्ति गाउँपालिका के अध्यक्ष और नगरपालिका के मेयर के पास है, उसका ३० प्रतिशत भी मुख्यमंत्री के पास नही है । ऐसे वक्त में मुख्यमंत्री कुछ कर भी नही सकता । राजपा और सँसफो प्रदेश नम्बर दो में गठबंधन की सरकार चला रहा है । पर दोनों पार्टी के बीच अनबन खुल के सामने आ रही है । खासकर राजपा के नेता और कार्यकर्ता खुल के प्रदेश सरकार के मुखिया और मंत्री का आलोचना कर रहे है । इस से साफ लग रहा है कि सरकार अस्थिर अवस्था मे है । नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने प्रदेश सरकार को दिया हुआ समर्थन भी फिरता ले लिया है । वैसे भी राजपा में पूर्व कांग्रेसी नेताओं का बोलबाला है तो सँसफो में पूर्व कम्युनिस्ट नेताओं का । ऐसा लग रहा है कि गठबंधन ज्यादा दिन तक टिक नही पायेगा । वैसे भी प्रधानमंत्री ओली चाहेंगे कि दोनों पार्टी में से कोई एक केंद्र सरकार में आ जाये । ताकि प्रदेश नम्बर दो में भी उनकी सरकार बने । इसके लिये ओली ने कई बार दोनों पार्टी के साथ वार्ता किया है । और अब लग रहा है कि जल्दी ही प्रधानमंत्री ओली जी का सपना पूरा होने वाला है । इस सन्दर्भ में प्रधानमन्त्री ओली और प्रचण्ड ने आज ही फोरम अध्यक्ष उपेन्द्र यादव के साथ एक समझौता करके यादव को मंत्रिमंडल में आने का रास्ता खोल दिया है | देखना यह है कि अब श्री यादव लालबाबु की गद्दी बचा पाते हैं या उन्हें बली का बकरा बनायेंगे |
अब बात केंद्रीय सरकार और प्रदेश सरकार के बीच रिश्ते की बात करे तो कुछ अच्छा इस १०० दिन के कार्यकाल में जनता को देखने को नही मिला । इस वक्त एमाले और माओवादी केन्द्र की पार्टी एकता पश्चात बने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी केंद्र और ६ प्रदेशों में एक साथ सत्ता में है । पार्टी के एक मुखिया और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली दो महीने पहले ही कह चुके है कि प्रदेश नम्बर दो में भी उनकी सरकार बनेगी । अब पार्टी एकता के बाद बनी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी प्रदेश नम्बर दो में भी ३२ सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन गया है । वहीं २९ सीटों के साथ उपेन्द्र यादव की पार्टी सँसफो दूसरे और २५ सीटों के साथ राजपा तीसरे स्थान पे है । केंद्र सरकार चाहती है कि प्रदेश नम्बर दो की सरकार जल्दी गिरे । इसलिए प्रधानमन्त्री ओली ने सरकार से समर्थन फिर्ता लिया है । ओली ने केंद्रीय संसद में भी मुख्यमंत्री राउत का खुल के बिरोध किया है । अमेरिका में मधेशियों संस्था MAA के कार्यक्रम में भी मुख्यमंत्री राउत को केंद्र सरकार ने नही जाने दिया । ऐसा लग रहा है कि ओली प्रदेश नम्बर दो की सरकार को परेशान कर रहें हैं । ये सब बस इसलिए कि सरकार जल्द से जल्द गिरे । उपेन्द्र यादव भी केंद्र सरकार में जाने को बहुत इच्छुक लग रहे है । ऐसा लग रहा है कि प्रधानमंत्री ओली अपने गेम प्लान में सफल हो रहें है । अब देखना होगा कि आगे क्या होगा ?

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