संविधान संशोधन किए बगैर निकाय चुनाव नामुमकिन है : अनिल कुमार झा

काठमांडू, वनकाली, १८ अप्रैल | एकता ही बल है । संगठन एवं पार्टी को मजवूत बनाने हेतु एकता की आवश्यकता होती है । देश की सबसे पुरानी नेपाल सद्भावना पार्टी को बड़ी पार्टी बनाने के लिए एकताबद्ध होकर हमें संगठित होना पडेगा । ये बातें नेपाल सद्भावना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कुमार झा ने नेपाल सद्भावना पार्टी द्वारा काठमांडू में मंगलवार को आयोजित महासमिति सम्मेलन के समापन समारोह में कहीं ।
देश की राजनीतिक अवस्था के बारे में चर्चा करते हुए नेपाल सद्भावना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कुमार झा ने कहा कि संविधान में परिमार्जन सहित संशोधन किए बगैर निकाय चुनाव नामुमकिन है । उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने जबरन निकाय चुनाव की तारीख घोषणा की है जबकि स्थानीय निकाय का संरचना ही पूर्णतः अवैज्ञानिक, जनविरोधी, प्रतिगामी, विकेन्द्रीकरण के साथ–साथ संघीयता के मूल्य, मान्यता एवं आदर्श के भी विपरीत हैं । नेपाल सद्भावना पार्टी का स्पष्ट मानना है कि गांवपालिका एवं नगरपालिका प्रदेशों के अधिकार क्षेत्र का विषय है । इसलिए निकाय चुनाव प्रदेश सरकार द्वारा ही होना चाहिए ।
नेपाल सद्भावना पार्टी की सभासद डॉ. डिम्पल झा ने कहा कि संघीयता व लोकतंत्र की मजबूती के लिए ही हमारा आंदोलन जारी है और रहेगा । उन्होंने यह भी कहा कि नेपाल सद्भावना पार्टी अपनी स्थापना काल से ही जिम्मेदार, संवेदनशील एवं परिपक्क भूमिका निर्वाहण करती आ रही है । देश के शोषित, उपेक्षित एवं अधिकार से वंचित जनता को उनके अधिकार दिलाने हेतु पार्टी कटिबद्ध है और रहेगी ।
मौके पर विशिष्ट अतिथि राष्ट्रवादी युवा कांग्रेस भारत, बिहार के अध्यक्ष कुमार ज्ञानेन्द्र ने कहा कि अपने अधिकार के लिए आजतक मधेशी जनता, मधेश के राजनेता और कार्यकर्ता लोकतांत्रिक तरीके से लड़ते आ रहे हैं । सरकार अगर मधेशियों की मांगों को दरकिनार करती है और उसके विरुद्ध में कोई उग्र आंदोलन हो जाए, तो उसमें सारा कसूर नेपाल सरकार का होगा ।
सद्भावना पार्टी की पूर्व सभासद मालामति राना ने कहा कि नेपाल सद्भावना पार्टी ने ही सर्वप्रथम राना थारु को पहचान दिलाई है । और उस पहचान को मिटाने में सरकार अभी जुटी हैं । लेकिन हम वैसा नहीं होने देंगे ।
अवसर पर नेपाल सद्भावना पार्टी के संस्थापक नेता राधाकान्त झा, श्रीमननारायण मिश्र, यदुवंश झा, जगदीश अधिकारी, रामबाबू यादव, उपेन्द्र उपाध्याय, शिव पटेल, आदि ने अपने विचार व्यक्त किये ।
‘शहीदों का सम्मान और मधेश आंदोलन का संवोधन, राजनीतिक स्थायित्व के लिए संविधान में व्यापक संशोधन’ नारा के साथ आयोजित ३ दिवसीय महासमिति सम्मेलन में पूर्व में झापा से लेकर पश्चिम में कंचनपुर तक तथा काठमांडू, ललितपु, भक्तपुर व मकवानपुर जिलों से चार सौ प्रतिनिधियों की सहभागिता थी । इसी प्रकार एक सौ से अधिक पर्यवेक्षकों की भी सहभागिता थी ।
महासमिति सम्मेलन नेपाल सद्भावना पार्टी की २८ वीं स्थापना दिवस एवं गजेन्द्र जयंती के अवसर पर वैशाख ३–५ गते तक आयोजन किया गया था ।
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