संघर्ष का विकल्प नहींं है : केशव झा
हिमालिनी, मई अंक, २०१८ | जिस समय राजपा पार्टी निर्माण हो रही थी, उस समय हम लोग संघर्ष में ही थे । पार्टी गठन होने के बाद भी संघर्ष जारी रहा है । कुछ विषयों में सफलता हाथ लगी, तो कुछ विषय सन्तोषप्रद नहीं है । समग्रता में एक वर्ष का मूल्यांकन सन्तोषजनक ही रहा । विशेषतः पार्टी संगठन अभी तक निर्माण नहीं हो पा रहा है । हम लोगों ने कहा था कि एक वर्ष के भीतर महाधिवेशन करेंगे, वह भी नहीं हो रहा है । इसके पीछे समग्र राष्ट्रीय परिस्थिति भी जिम्मेदार है । क्योंकि नव गठित पार्टी मजबूत होने से पहले ही चुनाव में शामिल होना पड़ा । चुनावी प्रक्रिया और अभियान के कारण हम लोग संगठन निर्माण में नहीं लग पाए हैं । अब ६ महीना के अन्दर पार्टी–महाधिवेशन करवाना है, संगठन निर्माण करना है । निकट भविष्य के लिए यह एक चुनौती भी है ।
जहां तक सरकार में शामिल होने की बात है, इसमें हम लोग स्पष्ट है कि संविधान संशोधन के लिए वर्तमान सरकार तैयार होगी, तो हम लोग सरकार में शामिल हो भी सकते हैं । अर्थात् संविधान संशोधन संबंधी शर्त में ही हम लोग सरकार में सहभागी हो सकते हैं । राजपा के लिए यह प्रमुख राजनीतिक एजेण्डा भी है । आज तक तो संविधान संशोधन के लिए सिर्फ मौखिक प्रतिबद्धता आयी है । अगर संशोधन में सैद्धान्तिक सहमति हो जाएगी तो सरकार में शामिल होने के लिए कोई बड़ी बात नहीं है । वर्तमान सरकार को राजपा ने समर्थन किया है, इसीलिए तीन महीना के ‘हनीमून पीरियड’ तक हम लोग देखते हैं कि सरकार क्या करती है, संविधान संशोधन के लिए सरकार तैयार होती है या नहीं ? अगर संशोधन के लिए एमाले–माओवादी गठबंधन तैयार नहीं दिखाई दिया तो उसके बाद राजपा विशेष कार्यक्रम सहित संघर्ष में उतर आएगी, जनता में जाएगी ।