Wed. Apr 23rd, 2025

NGO, INGO के सहयोग से नेपाल में ईसाई धर्म का विस्तार : डा. मुकेश झा

डॉ मुकेश झा, जनकपुरधाम । नेपाल में कुछ दशक खास कर के २०४६ के बाद गैर सरकारी संस्था का बाढ़ सा आ गया। नेपाल में हजारों की तादात में में यह संस्था है जो स्थानीय स्तर पर जनता के जीवन को उन्नत बनाने के लिए कार्य करती है। ऐसी संस्था या तो स्थानीय स्तर की मदत से या तो विदेशियों के सहयोग से कार्य करती है। विदेशी से सहयोग अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संस्था मार्फ़त आती है। गैर सरकारी संस्था जब कोई सहयोग की बात करती है तो वह क्षेत्र विशेष, समुदाय विशेष, आय विशेष, जाति विशेष, शैक्षिक स्तर विशेष पर कार्य करती है। इस कार्य के लिए विषय पर केन्द्रित रह कर स्थानीय गैर सरकारी संस्था से वह प्रोपोजल मांगती है, जिसमे स्थानीय गैर सरकारी संस्था अपनी सारी कमी कमजोरी लिखित रूप से अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संस्था के सामने रख देती है। अब अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संस्था सहयोग तो उस समुदाय में भेजती है लेकिन कमजोरी पता होने के कारण साथ ही उस इलाके में एक प्रार्थना सभा हल बना देती है, जिसके प्रवेश द्वार पर “क्रॉस”, बना रहता है। उसके बाद अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संस्था के कुछ विशेष व्यक्ति उस इलाके में जाते हैं और उन बस्तियों के जो कि पिछड़ा है, उस मे से जो अपने आप को बुद्धिमान समझने वाले हैं उन सबकी मीटिंग बुलाती है और हिन्दू के धर्म संस्कृति के कारण ही उनका हालात इतनी दयनीय है इसका विस्तार पूर्वक गलत विचार मस्तिष्क में भरती है। इस तरह के मीटिंग में उपस्थित हरेक व्यक्ति को हजार दो हजार रुपये भी दिए जाते हैं। उसके बाद उस वस्ति में अगर किसी को कोई तकलीफ हो, बीमार ही तो प्रार्थना सभा से इनके लिए सहानुभूति पूर्वक प्रार्थना किया जाता है और इनका दिल जीता जाता है। अब उसके बाद उस गरीब के बस्ती में कोई पढ़ने वाला, कोई बीमार उनके लिए सहयोग की व्यवस्था इस शर्त पर की जाती है कि वह धर्म परिवर्तन करे साथ ही उनको (हिन्दूओं को) यह एहसास दिलाया जाता है कि तुम्हारा धर्म और इसके ठेकेदार, मन्दिर ,पुजारी तुम्हें कुछ मदत नही कर रहे तो ऐसा धर्म से क्या लाभ? वह गरीब बेचारा भौतिक सहयोग और “प्रभु का प्रेम”, दोनो एक जगह मिलने से सोचता है कि वास्तव में धर्म परिवर्तन कर ही लेना चाहिए। यह प्रक्रिया बहुत तेजी से बढ़ रही है, समय रहते ही इसको रोकने का तरीका निकालना चाहिए
नही तो जिस ८४% हिन्दू की संख्या पर हमें नाज है वह धराशायी हो जाएगी।

About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may missed