Fri. Feb 14th, 2025

लगी है आग वतन में : शिवनंदन जयसवाल

लगी है आग वतन में
शिवनंदन जयसवाल
लगी है आग वतन में रो पड़ा है शहर
जल रही खेत है बो पड़ा है जहर

क्या लिखा है अजीबो गरीबो नसीब
बन गया रेत सा सो पड़ा है नहर

कौन कैसे बचाए यह चिंता बढ़ी
खो रही जिंदगी खो पड़ा है रहर

साँस के साथ आस और आंसू बह रहे
दुनिया की  तबाही कर रहा है कहर

 

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