एकबार पूछ ताे लाे : अंशु झा
एकबार पूछ ताे लाे
एकबार पूछ ताे लाे,
कैसी हाे ?
विरह की अग्नि में,
झुलसते मन काे,
मिल जायेगी,
तस्सलियाँ,
इसी प्रश्न के सहारे,
कट जायेगी,
कई सदियाँ,
एकबार पूछ ताे लाे ।
तुम ही ने,
कभी सिखाया था,
इस हृदय काे धडकना,
वरना, इसे क्या पता,
इस जमाने का फँसाना,
एकबार पूछ ताे लाे ।
न जाने, इन प्रश्नाें में,
हाेती कितनी ताकत !
हर जख्म पर,
मरहम कर दे,
मिले मन काे रहात,
एकबार पूछ ताे लाे ।
तेरे इस प्रश्न का,
हमेशा रहता इन्तजार,
तुम्हें क्या पता !
तुम ताे हाे निराकार,
बस, एकबार पूछ ताे लाे,
कैसी हाे ?