सुना है, आज चन्द्रग्रहण लगने वाला है…हमारी पृथ्वी को तो हर रोज़ ग्रहण लगता है… …:”नव्या”
–चन्द्रग्रहण–
सुना है,
आज ग्रहण लगने वाला है…
आज रात,काल की काली रात होगी…
जो निगल जाएगी यौवन उस चन्द्र का…
काल का ग्रास बनी ज्योत्स्ना टूट,
फिर छिटक जाएगी,अब छत पर जाना भी
होगा दुश्वार …
सुनो!
चन्द्र को ग्रहण लगने वाला है आज रात…
हर तरफ हल्ला गुल्ला ,हर तरफ चर्चा
आज चंद्र ग्रहण का ही है…
पर सोचो न प्रिय!
जब चाँद पे ग्रहण लगे तो,
उपजता है कैसे-कैसे काल्पनिक भय…
ये मत करो, वो मत करो ,ये मत खाओ
वो मत खाओ ,ये अशुभ वो शुभ…
मन्त्र जाप ,पूजा अर्चना, दान पुण्य
फलदायक होते हैं ये सारे चोंचले…
अरे !!!
क्या सोचा किसी ने ?
हमारी पृथ्वी को तो हर रोज़ ग्रहण लगता है…
जानते हो कैसा ग्रहण…?
कलंक का काला ग्रहण…
जब की जाती है
कोई माँ ,बहन, बेटी लज्जित…
और जब आंखों में मर जाती है
अपने बज़ुर्गों की इज्जत…
जब कोई गरीब मरता है
रोटी के अभाव में…
मगर अमीर रहता है
अपने ही ताव में…
अपनी इस सुंदर धरा को
तुमने प्रदूषण से भर दिया है…
ध्यान से सुनों !
धरती माँ बिचारी चुपके चुपके सिसक रही है…
उससे भी भयावह…
काल-ए-कोरोना में
जब प्रभु का बनाया प्राणी
मारा जाता है…
उस वक़्त ये काल्पनिक भय तुम्हें क्यों नहीं सताता है…?
जो अब तुम इस कोरोना दौर में,
कुछ सावधानियां अपनाओगे,
ये मत करो,वो मत करो…
ये मत खाओ,वो मत खाओ…
ये अशुभ,वो शुभ,मन्त्र जाप…
पूजा अर्चना,दान पुण्य,फलदायक…
यकीन मानो,
सबके-सबके बच जाओगे…
काल के गाल में न जाओगे…
अरे !!!
कोई तो बचा लो मेरी बेचारी धरा को
रोज़ रोज़ के ग्रहण से…
काले भयानक ग्रहण से…
रीमा मिश्रा”नव्या”
आसनसोल(पश्चिम बंगाल)