बिना पर्यावरण का जीवन की कल्पना नही किया जा सकता : संजीव झा
माला मिश्रा बिराटनगर । विश्व पर्यावरण दिवस के शुभ अवसर पर श्री संजीव कुमार झा, अध्यक्ष(निर्मला फाउंडेशन, रोसड़ा, बिहार) से बातचीत के प्रमुख अंश-
चूँकि बिना पर्यावरण के “जीवन की कल्पना” नहीं की जा सकती है, इसलिए प्रकृति के द्वारा मिले “पृथ्वी और पर्यावरण” को बचाने का इससे बेहतर अवसर नहीं मिल सकता। हमें मालूम है कि हम इसे “बढ़ा” नहीं सकते, लेकिन अगर हम इसको सही “सलामत बचा लें” तो ये हमारे लिए बड़ी उपलब्धि होगी।
इस अवसर पर मैं तो “पृथ्वी और पर्यावरण” को बचाने का छोटा प्रयास बहुत पहले से अपने स्तर से करता रहा हूँ, उम्मीद है आपलोग भी करते होंगे, या फिर आज से ही शुरूआत करेंगे।

मेरा मानना है कि अगर हम पेड़ लगा नहीं सकते, तो दूसरों के लगाए पेड़ों को काटकर हमें जलाया भी नहीं जाना चाहिए। सुनने में यह अटपटा लगेगा, लेकिन नैतिक रूप से देखें या सोचें तो शायद सही लगेगा।
मैंने अबतक ढेर सारे पेड़ अपने तरफ से बहुत सारे जगहों पर लगाया है। मुझे खुशी है कि लोगों ने, और समाज ने मेरे इस काम के लिए सराहना भी की है। पर्यावरण के क्षेत्र में किए गए अपने छोटे-छोटे प्रयास के कारण मुझे कई पुरस्कार भी मिले।
आज पुनः इस दिन, इस अवसर पर मैं फिर “दो छोटे, किंतु बहुमूल्य काम” करने का शपथ लिया हूँ-
कोरोना संकट के खत्म होते ही कोसी मध्य विद्यालय, बीरपुर में 51पेड़, राजकीय उच्च विद्यालय, बीरपुर में 51पेड़, एल एन एम एस काॅलेज, बीरपुर में 51पेड़, ललित नारायण सरस्वती शिशु मंदिर, बीरपुर में 51पेड़, एवम् हुलास वायर इंडस्ट्रीज लिमिटेड, नेपाल में 51पेड़ लगाऊंगा।
इसके साथ ही “अर्थ को बर्थ” के साथ जोड़ने के कार्यक्रम के तहत अपने सगे-संबंधियों, अपने गुरुजनों और बेहद नजदीकी परिचितों को आज के बाद उनके “जन्मदिन के उपलक्ष्य” में एक पेड़ “उपहार” स्वरूप तब तक प्रदान करता रहूंगा, जब तक मैं इसके लिए सक्षम रहूंगा।
