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आ रहा है आर्टिफीसियल इंटेलीजेंस ! क्या यह विकास लाएगा या विनाश ? : वीरेंद्र बहादुर सिंह

  आर्टिफीसियल इंटेलीजेंस विकास लाएगा या विनाश

वीरेन्द्र बहादुर सिंह । बहुत कम लोगों का इस बात की जानकारी है कि आज से 40 साल पहले अहमदाबाद की फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी के एक वैज्ञानिक प्रोफेसर हिमांशु मजूमदार ने प्रथम रोबोट बनाया था। परंतु उस समय उस रोबोट को सरकार की ओर से प्रोत्साहन न देने की नीति की वजह से इस कार्य पर शोध कार्य आगे नहीं बढ़ सका था। जिससे वह काय्र वहीं रुक गया था।
रजनीकांत की एक फिल्म आई थी रोबोट। उस फिल्म मेें एक ऐसा रोबोट दिखाया गया था, जो मनुष्य की ही तरह फीलिंग कर सकता था यानी वह आदमी की तरह किसी खुशी के मौके पर खुश हो सकता था तो दुख में दुखी। वह प्यार भी कर सकता था और नफरतत भी। इसका मतलब उसमें सोचने की बुद्धि थी। उसमें यह जो बुद्धि थी, वह वैज्ञानिक यानी मनुष्य द्वारा बनाई गई बुद्धि थी।
बुद्धि, मन और आत्मा इन विषयों पर श्रीमद् भगवद् गीता में विस्तार से चर्चा हुई है। बुद्धि के कारण ही मनुष्य अन्य प्राणियों से अलग है। बुद्धि ईश्वर की मानवजाति के लिए श्रेष्ठ उपहार है, परंतु मनुष्य ने उसका विकास और विनाशा दोनों के लिए उपयोग किया है।
पर अब मनुष्य एक कदम और आगे जा कर मानवबुद्धि से प्रतियोगिता कर सके, इस तरह की कृत्रिम बुद्धि का आविष्कार किया है, जिसे अंग्रेजी में ‘आर्टिफीसियल इंटेलीजेंस’ कहते हैं। आर्टिफीसियल इंटेलीजेंस विषय पर तमाम सुपरहिट फिल्में भी बनी हैं। आर्टिफीसियल इंटेलीजेंस भी विज्ञान के अन्य शोधों की तरह मानवजाति के लिए वरदान ही नहीं, विनाश का भी कारण बन सकता है।
कई सालों पहले एक काल्पनिक कथा पर आधारित फिल्म मेें एक वैज्ञानिक ने ‘फ्रेंकेंस्टाइन’ नामक कृत्रिम मनुष्य का निर्माण किया था। वैाानिक ने इसे अन्य लोगों की हत्या करने के लिए बनाया था।। पर यह फ्रेंकेंस्टाइन सब से पहले अपने सर्जक वैज्ञानिक की ही हत्या कर देता है।
2012 में गूगल ने एक ऐसी मोटरकार प्रस्तुत की थी, जो बिना ड्रादवर के चलने वाली थी।। जब लोग इस तरह की कार का उपयोग करने लगेंगे, तभी उसकी सफलता को यश मिलेगा। आर्टिफीसियल इंटेलीजेंस ऐसा है ,दूसरे अनेक मामलों में वरदान साबित हो सकता है। किसी वजह से कोई व्यकित अपंग हो जाता हे तो एस अपंग व्यक्ति को आर्टिफीसियल इंटेलीजेंस आधारित साइबोर्डो टेक्नोलॉजी की मदद से कृत्रिम अंग लगाया जा सकता है। ये कृत्रिम अंग प्राकृतिक अंग की ही तरह दिमाग के सिग्नल स्वीकार कर सकेंगे। आर्टिफीसियल इंटेलीजेंस टेक्नोलॉजी का उपयोग मौसम और उसमेें आ रहे परिवर्तन को जानने के लिए किया जा रहा है। उसी तरह वाशिंग्टन स्टेट यूनीवर्सिटी के कंप्यूटर विशेषज्ञ मेथ्यू टेलर के मतानुसार अब कम समय में ‘होम्स’ नामक रोबोट वृद्धों के लिए काफी मददगार साबित होगा।
2015 में जापान में ‘पेपर’ नामक रोबोट पहली बार बेचा गया था। उसके 100 यूनिट फटाफट बिक गए थे। ये रोबोट आपको देख कर आपका मूड परख सकता है और आपकी उदासीनता को खुशी मेे परिवर्तित करने की कोशिश भी करता है।
आर्टिफीसियल इंटेलीजेंस की शुरुआत वैसे तो 50 के ही दशक से हो गई थी, जब पहली बार कंप्यूटर सिस्टम यानी कि रोबोटिक सिस्टम तैयार किया गया था।
hआर्टीफीसियल इेटेलीजेंस वाले सिस्टम द्वारा 1997 में शतरंज का महान खिलाड़ी गेरी कास्पारोव का हराया गया था। उसी समय से इस विषय पर पूरी दुनिया मेें चर्चा शुरू हो गई थी। उसके बाद 20 सालों बाद आज की आर्टीफीसियल इंटेलीजेंस बहुत ज्यादा स्मार्ट और समझदार हो चुका है। विमान में जो ऑटो पायलट सिस्टम है, वह आर्टीफीसियल इंटेलीजेंस ही है। विमान उतरते समय भी काफी हद तक कंप्यूटर पर ही निर्भर रहता है। फिर भी आर्टीफीसियल इंटेलीजेंस अभी पूरी तरह सफल नहीं है। मुश्किल के समय में वह असफल हो जाता है। फिर भी सौ साल के बाद की दुनिया एकदम अलग होगी। आपके चारों ओर रोबोट ही रोबोट होंगे। आज भी आपके स्मार्ट फोन पर गूगल से आप कुछ पूछते हैं तो उसका जवाब वह बोल कर बताता है। आने वाले समय में हर आदमी के घर में रोबोट होगा। वह घर की साफसफाई ही नहीं, आपको सलाह देने का काम भी करेगा, गलत निर्णय लेने से रोकेगा।
आर्टीफीसियल इंटेलीजेंस ने अनेक उम्मीदें जगाई हैै औी अनेक आशंकाओं भी पैदा की हैं। कभ्ज्ञ आपके घर मकें कोई रिोधी रोबोट प्प्लांट कर दे तो जिसे आप अपना मित्र मान रहे होें वह आपकी जासूसी भ्ज्ञी कर सकता है। बापकी गतिविधियों की और निजी सूचनाएं आपके दुश्मन को पहुंचा सकता है।
एक बार फेसबुक को अपनी कथित आटीफीसियल इंटेलीजेंस सिस्टम को बंद करना पड़ा था। क्योंकि बात उसके हाथ से निकल गई थी। इस आर्टीफीसियल इंटेलीजेंस ने अपनी एक भाषा विकसित कर ली थी। जिसमें कोई मानवीय सहयोग नहीं था।
टेस्ला के सीईओ एलन मस्क, बिल गेट्स और एप्पल के को-फाउंडर स्टीव वॉजिनयाक ने आर्टीफीसियल इंटेलीजेंस टेक्नोलॉजी को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। सबसे बड़ी चिंता बेरोजगारी को ले कर है। मनुष्य का स्थान रोबोट ले लेगा तो अरबों लोग नौकरी खो बैठेंगे। जैसे कि बिना ड्राइवर वाली टैक्सी बाजार में आ जाएगी तो पूरी दुनिया में टैक्सी ड्राइवरों की नौकरी चली जाएगी। मोटरकारों के उत्पादन प्लांट् में अब मनुष्य कम अैर रोबोटिक हैंड्स ज्यादा काम कर रहे हैं। एक समय ऐसा भी आ जाएगा कि पूरी दुनिया में सचिवालयों में से 90 प्रतिशत लोग नौकरी गंवा बैठेंगे। अलबत्ता  यह फायदा जरूर होगा कि रोबोट्स रिश्वत नहीं लेंगें। रिश्वत लेने वाल रोबोट अलग से बनाने होंगे।
डे मोंटाफोर्ट यूनीवर्सिटी में रोबोट की नैतिकता पर काम करने वाले डा0 केथलिन रिचर्ड का कहना है कि पार्टनर की कमी दूर करने के लिए रोबोट का उपयोग हो या न हो, यह अलग बात है। परंतु बच्चों के जैसे चेहरे वाले रोबोट का उपयोग गलत है। भविष्य में रोबोट का उपयोग बढ़ेगा तो सामाजिक व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो सकती है।
हां, इधर काफी समय से मोटरकारों का उत्पादन करने वाले कारखानों तथा स्टील के कारखानों में रोबोट का उपयोग बढ़ा है। सीमा पर दुर्गम पहाड़ों पर दुश्मन पर नजर रखने के लिए रोबोट का उपयोग शुरू हो चुका है। अब तो रोबोट आर्मी भी बन गई है। आने वाले दिनों में आतंकवादियों के खिलाफ चलाए जाने वाले ऑपरेशन और सर्जिकल स्ट्राइक के लिए भी रोबोट्स का उपयोग शुरू हो जाएगा।
आने वाले 50 साल बाद मनुष्य की ही तरह हावभाव वाली सुंदर रोबोटिक महिलाएं या सुंदर रोबोटिक युवक भी उपलब्ध होेंगे, जो जीवित पुरुष या महिलाओं के लाइफ पार्टनर बन कर एकदूसरे के साथ सहवास करेंगे। पुरुष महिलाओें के धोखे सेतो महिलाएं पुरुष के धोखे से बच सकेंगी। रोबोटिक युवतियां अपने प्रेमी का चुंबन करेंगी, प्यार करेंगी, बांहों में लेेगीं और अपने पार्टनर को दुखी देख कर आंसू भी बहाएंगी। आने वाले दशकों में आर्टीफीसियल इंटेलीजेंस वाले पुरुष या स्त्रियां रोबोट्स भावनाएं भी रख सकेंगी्र।
इस कल्पना की पूर्ति इस बात से की जा रही है कि कुछ समय पहले अमेरिका के वाशिंग्टन शहर में ड्यूटी पर तैनात एक रोबोकॉप (यांत्रिक पुलिस)ने पानी में डूब कर आत्महत्या कर ली थी। क्योंकि उसके ज्यादातर सिस्टम खराब हो चुके थे। पराकाष्इा तो इस बात की थी कि यह यंत्रमानव-रोबोकॉप की मौत से दुखी पुलिस स्टाफ ने अपने आफिस में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया था।
वीरेन्द्र बहादुर सिंह
जेड-436ए, सेक्टर-12,
नोएडा-201301 (उ0प्र0)



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