जानिए होलिका दहन और होलिका पूजन का शुभ मुहुर्त
आज फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। आज के दिन होलिका दहन किया जाता है। मान्यता है कि होलिका की अग्नि में सभी बुराईयों को जला दिया जाता है। होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक भी समाप्त हो जाता है। इस दिन लोग सुख समृद्धि और पारिवारिक उन्नति की प्रार्थना करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अपने भाई हिरण्यकश्यप की बातों में होलिका ने प्रहलाद को चिता में जलाने की कोशिश की थी। लेकिन प्रहलाद के बजाय होलिका ही उस चिता में जलकर भस्म हो गई थी। तब से ही होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है। इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत को मनाया जाता है।
इस समय तक रहेगा भद्रा का साया:
होलिका दहन 28 मार्च, रविवार को है। पूर्णिमा तिथि सुबह 3 बजकर 27 मिनट से शुरू होगी जो 28 माच को ही रात 12 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। होली पर पूर्णिमा के साथ ही भद्रा का प्रवेश भी हो जाएगा। लेकिन दिन के समय 1 बजकर 53 मिनट पर भद्रा का साया हट जाएगा।
होलिका पूजन का समय:
28 मार्च, रविवार, सुबह 9 बजकर 20 मिनट से 10 बजकर 53 मिनट तक लाभ चौघड़िया रहेगा।
इसके बाद 12 बजकर 26 मिनट से अमृत काल रहेगा।
दोपहर के बाद भद्रा समाप्त होगी। फिर 1 बजकर 58 मिनट से 3 बजकर 31 मिनट तक शुभ चौघड़िया में होलिका पूजन किया जा सकता है।
होलिका दहन शुभ समय:
इस बार दुर्लभ और शुभ संयोग बन रहा है क्योंकि इस बार प्रदोष काल में भद्रा का साया नहीं है। इसके चलते शाम 6 बजकर 36 मिनट से 8 बजकर 30 मिनट तक शुभ योग रहेगा। फिर 8 बजकर 3 मिनट से रात 9 बजकर 30 मिनट तक अमृत काल का शुभ संयोग होगा। ऐसे में इस दौरान होलिका दहन करना शास्त्र सम्मत उचित माना जा रहा है।