धार्मिक अतिक्रमण की चपेट में पशुपतिनाथ मंदिर क्षेत्र
विश्वभर में रहे ना सिर्फकरोडो हिन्दुओं के लिए यह आस्था, श्रद्धा व धार्मिक मान्यता का केन्द्र है । बल्कि युनेस्को विश्व संपदा सूची में रहने की वजह से नेपाल आने वाले पर्यटकों के लिए यह सबसे अधिक पर्यटकीय महत्व का क्षेत्र भी है । लेकिन विगत दो वर्षों से पशुपतिनाथ मंदिर, पशुपति क्षेत्र विकास कोष व पशुपति परिसर विवादों के घेरे में है । यहाँ तक कि पशुपति मंदिर में चढÞावे के रूप में जमा करोडो-अरबों की संपत्ति भी अदालती चक्कर में घिर गया है ।
अन्य विवादों को छोड भी दें तो पशुपति मंदिर का परिसर जिन कारणों से पिछले दिनों विवादित रहा वह है इस परिसर में इर्साई व किरांती समुदाय के शवों को दफनाने को लेकर उठा विवाद । करोडÞो हिन्दुओं के धार्मिक आस्था का स्थल रहा पशुपति क्षेत्र में इसाइयों द्वारा शव दफनाने के समाचार से हिन्दू श्रद्धालुओं में काफी रोष व्याप्त है । किसी धर्म विशेष के पूजा स्थल, पवित्र मंदिर के क्षेत्र में वैसे ही शव दफनाना उचित नहीं है लेकिन इर्साईयों द्वारा सोची समझी नीयत के साथ उस क्षेत्र में अपने परिजनों के शव को दफनाया जाना धार्मिक अतिक्रमण नहीं तो और क्या है –
इर्साईयों द्वारा किए गए इस कृत्य से करोडÞो हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुँची है । और हिन्दूवादी संगठनों ने इस कृत्य का पुरजोर विरोध किया । वैसे तो पशुपति क्षेत्र विकास कोष ने भी इर्साईयों द्वारा किए जा रहे इस काम का विरोध किया और पवित्र पशुपति क्षेत्र में शव दफनाने के काम को तत्काल बंद करने को कहा । तत्कालीन संस्कृति मंत्री मिनेन्द्र रिजाल ने भी पशुपति क्षेत्र में किसी भी अन्य धर्म से जुडÞे लोगों को शव दफनाने ना दिए जाने के पक्ष में वकालत की । रिजाल का कहना है कि “विश्वभर के करोडÞों हिन्दुओं के आस्था का केन्द्र रहे पवित्र धार्मिक स्थल पर इर्साईयों द्वारा शव दफनाना हिन्दुओं की धार्मिक मूल्य मान्यता के विपरीत तो है ही उनके धार्मिक भावनाओं पर प्रहार जैसा है । और किसी भी कीमत पर सरकार इसकी इजाजत नहीं दे सकती है ।”
संस्कृति मंत्री का इतना कहना था कि राजधानी काठमांडू में रहे इर्साई समुदाय भडÞक गए । खुद तो वो आगे नहीं आए लेकिन किरांती समुदाय के युवाओं को उकसाकर धार्मिक भावनाएँ भडÞकाने की चेष्टा की । इर्साईयों को यह अच्छी तरह मालूम था कि इस मामले में सीधे पडÞने से हिन्दू बहुल देश की धार्मिक संतुलन बिगडÞ सकती है और इसकी चपेट में वो भी आ सकते हैं । इसलिए सोची समझी रणनीति के तहत किरांती समुदाय के युवाओं को हिंसा के लिए ना सिर्फउकसाया बल्कि इस काम में पीछे से पूरा सहयोग भी किया ।
पशुपति क्षेत्र में शव दफनाए जाने की मांग को लेकर इर्साई संगठनों के सहयोग व र्समर्थन से किरांती युवाओं ने राजधानी में पूरे एक दिन विरोध पर््रदर्शन किया । पर््रदर्शन हिंसक होता देख पुलिस को बल प्रयोग करना पडÞा । लेकिन पर््रदर्शनकारियों द्वारा किए गए पथराव में कई पुलिस वाले ही घायल हो गए । स्थिति को नियंत्रण से बाहर होता देख स्वयं तत्कालीन प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए पर््रदर्शनकारियों से बातचीत की और किराती तथा इर्साईयों के शवों को दफनाने के लिए अलग स्थान की व्यवस्था करने का आश्वासन दिए जाने के बाद स्थिति काबू में लाया जा सका ।
तत्काल के लिए मामले को तो शांत कर लिया गया लेकिन स्थिति अब भी तनाव से बाहर नहीं आ पाई है । इसाइयों द्वारा पशुपति क्षेत्र में शव दफनाने की बात पर हिन्दू संगठनों में काफी गुस्सा है लेकिन इस समय वो धर्ैय रखे हुए हैं । उधर इर्साई संगठन के प्रतिनिधि पशुपति क्षेत्र में ही शव दफनाने को लेकर मोर्चाबन्दी कर रहे हैं । इनकी नीयत नेपाल की संतुलित धार्मिक भावनाओं के लिए ठीक नहीं है । गैर कानुनी ढंग से शव दफनाने को वो अपना अधिकार समझने लगे हैं । लेकिन दूसरे के धार्मिक स्थल पर, दूसरे की धार्मिक आस्था पर चोट करने वाले इस निकृष्ट कार्य को कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है । पशुपति क्षेत्र संरक्षण संर्घष्ा समिति के एक अधिकारी के शब्दों में कहा जाए तो हिन्दूओं के धर्ैय की परीक्षा ना ली जाए तो बेहतर है । करोडÞोें हिन्दुओं के पवित्र पूजा स्थल, धार्मिक आस्था का केन्द्र, संस्कृति का प्रतीक रहे भगवान श्री पशुपतिनाथ के मंदिर परिसर के आस पास भी शव दफनाने के काम को किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता है । यदि ऐसा करने से ना रोका गया और जान बुझकर हिन्दुओं की भावनाएँ भडÞकाई गई तो परिणाम भयावह भी हो सकता है । इसलिए खबरदार ! अंत में धार्मिक अतिक्रमण करने वालों के लिए सिर्फइतना ही कह सकती हूँ, भगवान पशुपतिनाथ उन्हें सदुबद्धि व सद्विचार प्रदान करें ।