Mon. Dec 4th, 2023



‘मेरा बस चले तो मैं भूपिंदर की आवाज़ का ताबीज़ बनाकर पहन लूँ.’

यह बात आज के दौर के सबसे बेहतरीन गीतकार गुलज़ार ने अनोखे गायक भूपिंदर के बारे में एक बार कही थी.

वही खूबसूरत आवाज़ खामोश हो गई. लेकिन खामोश होने से पहले इस आवाज़ ने इतने शानदार गीत, नग़मे नज़्म और ग़ज़ल दिए हैं, जिन्हें याद कर ज़माना भूपिंदर पर फ़ख़्र करेगा.

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दिल ढूँढता है फिर वही, एक अकेला इस शहर में, कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता और करोगे याद तो हर बात याद आएगी, जैसे कितने ही कालजयी गीत गाने वाले भूपिंदर की जोड़ी गुलज़ार के साथ तो खूब जमी.

तभी गुलज़ार सरीखे गीतकार भूपिंदर की आवाज़ के साथ उनकी बनाई धुनों के भी कायल थे.



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