Thu. Jan 16th, 2025

सामाजिक संबंधों की मजबूती आत्महत्या निवारण का साधन है : डॉ मनोज कुमार तिवारी

*विश्व आत्महत्या निवारण दिवस (10 सितम्वर) पर विशेष*

डॉ मनोज कुमार तिवारी,  बी एच यू, बाराणसी। व्यक्ति के लिए उसके जीवन से अनमोल इस संसार में कोई दूसरा वस्तु नहीं होता इसके बावजूद भी आधुनिक समय में लोगों में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति अत्यंत चिंताजनक है इसी को ध्यान में रखकर प्रतिवर्ष विश्व आत्महत्या निवारण दिवस आयोजन किया जाता है इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विश्व आत्महत्या निवारण दिवस के लिए नारा दिया है- *कार्यवाही के द्वारा आशा जगाना*। निराशा आत्महत्या के लिए एक बड़ा कारण है व्यक्ति में आशा का संचार करके आत्महत्या को रोका जा सकता है। आत्महत्या ऐसा व्यवहार है जिसमें प्राणी स्वयं का जीवन समाप्त कर लेता है। पहले व्यक्ति में बार-बार आत्महत्या के विचार आते हैं और फिर आत्महत्या का प्रयास करता है, आत्महत्या के सभी प्रयास सफल नहीं होतें हैं। आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि 25 व्यक्तियों व्दारा आत्महत्या का प्रयास करने पर उनमें से एक व्यक्ति की मौत होती है।

77% आत्महत्या निम्न व मध्यम आय वाले देशों में घटित होता है दुनिया में हर 40 सेकेंड पर एक व्यक्ति की मृत्यु आत्महत्या से होती है। आत्महत्या करने वाले व्यक्तियों के संख्या के आधार पर विश्व में भारत का 43वां स्थान है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विगत वर्ष में लगभग 10 लाख लोगों की मृत्यु आत्महत्या के कारण हुई है। विश्व में होने वाले कुल आत्महत्या में से 21% आत्महत्या भारत में होती है। लैंसेट पब्लिक पत्रिका के अनुसार विश्व की कुल 18% महिलाएं भारत में रहती हैं जबकि विश्व में महिलाओं द्वारा किए जाने वाले कुल आत्महत्या में भारतीय महिलाओं की हिस्सेदारी 36% है जिसके पीछे घरेलू हिंसा एक बड़ा कारण होता है। आत्महत्या करने वालों में 7.4% किसान होते हैं। ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजीज (2019) के अनुसार भारत में हर 4 मिनट में एक आत्महत्या होती है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार छात्रों में प्रतिवर्ष आत्महत्या की दर में वृद्धि हो रही है। 2020 में लगभग 12526 छात्रों ने आत्महत्या किया था वहीं 2021 में 13089 छात्रों ने आत्महत्या किया। आत्महत्या करने वाले छात्रों में 44% छात्र महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, कर्नाटक एवं उत्तर प्रदेश के होते हैं। 15 – 24 वर्ष के लोगों के मृत्यु का आत्महत्या दूसरा सबसे बड़ा कारण है। देश में जीन जवानों के कंधों पर देश के सुरक्षा का दायित्व उनमें भी आत्महत्या अपना पैर पसार रही है। 81% लोग आत्महत्या करने से पूर्व इसका संकेत अवश्य देते हैं किसी ने किसी से इसके बारे में चर्चा करते हैं या लिखते हैं। इसलिए यदि कोई व्यक्ति आत्महत्या का विचार व्यक्त करता है तो उसके परिवार, मित्र एवं उसके संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों को गंभीरता से लेना चाहिए और उसके बचाव के उपाय करने चाहिए।

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*आत्महत्या के कारण हैं:-*
# आर्थिक तनाव
# सामाजिक अलगाव की स्थिति
# प्रिय जनों से मुलाकात न कर पाना # स्वस्थ मनोरंजन की कमी
# नौकरी छूट जाना
# सामुदायिक क्रियाकलापों में शामिल न होना
# धार्मिक अनुष्ठानों में सहभागिता न करना
# घरेलू कलह
# समायोजन संबंधी समस्याएं
# अनिश्चितता एवं भय का माहौल
# मानसिक विकार
# भावनाओं पर नियंत्रण न रख पाना # समायोजन क्षमता की कमी
# आनुवंशिकता
# साजिश करके आत्महत्या के लिए वातावरण तैयार किया जाना
# आत्महत्या के संसाधनों की आसान उपलब्धता

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*आत्महत्या का विचार रखने वाले व्यक्तियों के लक्षण:-*
# बार-बार मरने की इच्छा व्यक्त करना वास्तव में व्यक्ति आत्महत्या करने से पूर्व अपने परिवार, दोस्त व परिचितों से इसके बारे में चर्चा करता है ताकि लोग उसकी सहायता करें ।
# निराशावादी सोच प्रकट करना कहना कि मैं जी कर क्या करूंगा, मेरे जीवन का कोई उद्देश्य नहीं है।
# उच्च स्तर का दोष भाव व्यक्त करना।
# असहाय महसूस करना।
# अपने को मूल्यहीन समझना
# जोखिम पूर्ण व्यवहार करना
# अचानक से व्यवहार एवं दिनचर्या में परिवर्तन होना
# नशे का बहुत अधिक उपयोग करना
# अपने पसंदीदा कार्यों में भी अरुचि दिखाना
# परिवार व मित्रों से दूरी बना लेना
# स्वयं को समाप्त करने का अवसर एवं साधन तलाश करना।

*आत्महत्या निवारण के उपाय:-*
# लोगों से जुड़े रहें क्योंकि अकेलापन आत्महत्या के लिए एक बड़ा जोखिम कारक है।
# अपने उत्साह को बनाए रखें।
# स्वास्थ संबंधी समस्या होने पर उपचार कराएं।
# अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
# मन में आत्महत्या का विचार आने पर प्रशिक्षित एवं अनुभवी मनोवैज्ञानिक से परामर्श लें।
# धैर्य बनाए रखें
# धनात्मक सोच रखें
# उन स्थितियों पर ध्यान दें जो आपके नियंत्रण नियंत्रण में हो।
# अपने रुचियां व शौक को भी पर्याप्त समय एवं महत्व प्रदान करें
# स्वस्थ मनोरंजन करें
# परिवार के साथ गुणवत्तापूर्ण समय व्यतीत करें
# बच्चों के साथ खेलें
# अपने सृजनात्मक क्षमताओं का विकास करें
# अपने को स्वयं प्रेरित करें
# जीवन के अच्छे दिनों एवं घटनाओं का स्मरण करें
# हंँसी मजाक करने वाले व्यक्तियों के साथ समय व्यतीत करें
# कॉमेडी फिल्में देखें
# चुटकुले पढ़ें
आत्महत्या निवारण में समाज के प्रत्येक वर्ग की सहभागिता अत्यंत आवश्यक है विशेष रुप से परिवार के सदस्यों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि 40% लोग पारिवारिक स्थितियों के कारण आत्महत्या के लिए बाध्य होते हैं। प्रारंभिक शिक्षा से ही बच्चों को जीवन में संघर्ष की महत्ता की जानकारी प्रदान की जानी चाहिए उन्हें बताया जाना चाहिए कि जीवन में यदि कोई समस्या है तो उसे बदला जा सकता है किंतु जीवन नहीं बदला जा सकता है। सरकार को चाहिए कि शारीरिक स्वास्थ्य देखभाल तंत्र के समान ही लोगों के मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के लिए भी ग्रामीण स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य देखभाल तंत्र तैयार करें ताकि समय रहते बहुमूल्य जीवन को बचाया जा सके।

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डॉ मनोज कुमार तिवारी
वरिष्ठ परामर्शदाता
ए आर टी सेंटर, एसएस हॉस्पिटल, आई एम एस, बी एच यू, वाराणसी

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