सप्तरी में –२ में कांटे की टक्कर, उपेंद्र, सीके और जयप्रकाश ठाकुर भिड़ंत
चुनावी विश्लेषण काठमांडू, १५ अक्टूबर –जैसे –जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे वैसे सभी दल अपनी तैयारी में लगे हैं । कई तरह के कयासे लगाए जा रहें हैं, चुनावी समीकरण में लगे हुए हैं , विश्लेषण किया जा रहा है कौन कहाँ से कैसे जितेगा ? कौन से क्षेत्र से किसका विरोधी कितना मजबूत है ? कौन किसे कितना टक्कर दे पाएगा ? अब ये चर्चा हर जगह चल रही है और इस चर्चा में मधेश प्रदेश के उम्मीदवार में जसपा के उपेन्द्र यादव की बहुत चर्चा हो रही है । उपेन्द्र यादव ने २०७४ के निर्वाचन में सप्तरी–२ को अपना क्षेत्र चुनने का कारण मलेठ की घटना ताजा थी । संविधान जारी करने के क्रम में हुए रस्साकस्सी ने मधेस की जनता को आन्दोलित किया था । हम सभी को वो समय याद है जब एमाले अध्यक्ष केपी शर्मा ओली चुनाव के ही समय में तराई–मधेस जागरण अभियान के नेतृत्व करते हुए मलेठ पहुँचे थे और वहीं सुरक्षाकर्मी तथा मधेसवादी प्रदर्शनकारियों के बीच हुए झड़प में ५ लोग मारे गए । यादव के तत्कालीन दल संघीय समाजवादी फोरम ने घटना को चुनावी मुद्दा ही बनाया था।
आन्दोलन और मलेठ की घटना ने ०७४ के निर्वाचन में यादव ने सप्तरी–२ में सीट (प्रतिनिधि और प्रदेशसभा) जिते । यादव के क्षेत्र में महन्थ ठाकुर के तत्कालीन दल राष्ट्रिय जनता पार्टी (राजपा) का भी साथ था लेकिन यदि इसबार की बात की जाए तो न तो माहौल है न ही वो साथ है तो ऐसे में समीकरण क्या कहती है ? इस बार यादव को ठाकुर के ही दल के लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी (लोसपा) उम्मीदवार जयप्रकाश ठाकुर कड़ा टक्कर दे रहें हैं साथ ही जनमत पार्टी के अध्यक्ष सिके राउत की उम्मीदवारी ने भी यादव को परेशानी में डाल दिया है ।
इस बार सप्तरी–२ में प्रतिनिधिसभा के लिए १७ उम्मीदवार हैं उसमें भी मुख्य प्रतिस्पर्धा यादव, ठाकुर और राउत के बीच होने वाला है । यहाँ २ में ९५ हजार ३ सौ ९४ मतदाता हैं । वैशाख ३० में सम्पन्न हुए स्थानीय तह निर्वाचन में वडागत मत संख्या को देखते हुए सतारुढ गठबन्धन का मत ज्यादा है । लोसपा सहित सता गठबन्धन का कुल मत ३३ हजार १ सौ ८४ हैं । जसपा–एमाले गठबन्धन के मत २० हजार ३ सौ ५४ है । जनमत पार्टी का मत ४ हजार ५ सौ ४२ है । इस आधार को यदि देखा जाए तो सत्ता गठबन्धन के उम्मीदवार लोसपा के ठाकुर की अवस्था मजबूत दिखाई दे रही है । २०७४ के चुनाव में ठाकुर भी उसी क्षेत्र से स्वतन्त्र उम्मीदवार थे और तीसरे नम्बर पर ज्यादा मत मिला था । दूसरे नम्बर पर ज्यादा मत लानेवाले माओवादी के उमेश कुमार यादव को मिला था । वे ठाकुर के ही क्षेत्र २ (२) से प्रदेशसभा के उम्मीदवार हैं । इस बार भी ठाकुर को राहत मिली है ।
०७४ के निर्वाचन में तात्कालीन राजपा ने संघीय समाजवादी के साथ तालमेल करके सप्तरी–२ यादवों के लिए छोड़ने के बाद रुष्ट ठाकुर ने अपनी स्वतन्त्र उम्मीदवारी दी थी । पिछले चुनाव में उन्होंने जो मत पाया वो मत पार्टी संगठन से भी ज्यादा उनका व्यक्तिगत मत था । और इसबार की अगर बात की जाए तो सत्ता गठबन्धन के उम्मीदवार बनकर आए वो कड़ी चुनौती देने वाले हैं उपेन्द्र यादव को ।
हाँ ये भी सच है कि ये चुनाव है कब किसका पड़ला भारी हो जाए नहीं कहा जा सकता है । देखें आगे क्या होता है । इंतजार है मंसिर ४ गते का ।