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डॉ श्रीगोपालनारसन एडवोकेट
 बॉलीवुड की दुनियां के बेताज बादशाह रहे प्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेता धर्मेंद्र अपने जीवन के 85 वें बसंत में चल रहे है,लेकिन उनकी जीवटता और फ़िल्मो के बजाए एक किसान के रूप में कुछ अच्छा कर गुजरने की तमन्ना ने ही उन्हें ऊर्जावान बनाया हुआ है। 8 दिसंबर सन 1935 को पंजाब के नसराली गांव में जन्मे धर्मेंद्र ने 19 वर्ष की कम उम्र में ही प्रकाश कौर से विवाह कर लिया था। जब उन्हें उनकी किस्मत बॉलीवुड में लेकर आई तो उन्होंने दूसरी शादी बॉलीवुड की ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी से की।धर्मेंद्र के प्रकाश कौर से चार बच्चे हैं, जिनमे दो और दो बेटियां हैं। वहीं हेमा मालिनी से भी दो बेटियां हैं।यानि दो पत्नियां और 6 बच्चों के उनके परिवार में उनके पुत्र सन्नी व बॉबी ,साथ ही हेमामालिनी की बेटी फ़िल्मो के जाने माने नाम है।धर्मेंद्र आजकल प्रकृति के बीच अपने कृषि फार्म पर एकाकी जीवन व्यतीत करते हैं।वे लोनावला स्थित अपने फार्म हॉउस में खेती किसानी कर आनन्दमय जीवन बिताना रहे हैं। कृषि फार्म हाऊस में उनके पास कई गाय और कई भैंसे हैं,जिनका दूध भी वे स्वयं ही निकालते है। अभिनेता धर्मेंद्र कहते है कि, ”मैं जाट हूं और जाट जमीन से प्यार करता है।अपने खेतों से प्यार करता है। मेरा समय लोनावाला में अपने फॉर्महाउस पर ही बितता है। मैं खेती करके खुश हूं। अपना मकसद ऑर्गेनिक खेती करने का ही रहता है।” अपने लंबे फ़िल्मी कैरियर में धर्मेंद्र ने अनेक हिट फ़िल्मे दी है, जिनमे कई यादगार  फ़िल्में है।उनकी सबसे सफ़ल और चर्चित फिल्म  है शोले, इस फिल्म में संजीव कुमार, अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी, जया बच्चन और अमजद खान जैसे बड़े कलाकारों ने काम किया था,जिससे यह फ़िल्म हमेशा हमेशा के लिए अमर हो गई। उन्होंने ‘सोने पे सुहागा’, ‘गुलामी’, ‘मेरा गांव मेरा देश’, ‘चुपके चुपके’, ‘राम बलराम’ जैसी हिट फिल्में भी बॉलीवुड को दी हैं।
 धर्मेंद्र के पिता केवल किशन सिंह सरकारी स्कूल में गणित के अध्यापक थे, जो साहनेवाल गाँव के प्रारंभिक स्कूल में पढ़ाते थे।  माँ सतवन्त कौर की गोद मे पलकर ही धर्मेंद्र बड़े हुए,तभी तो आज भी बातचीत में वे हमेशा अपनी मां को याद करते है।
 धर्मेन्द्र की पहली शादी प्रकाश कौर से सन 1954 में हो गई थी,
धर्मेन्द्र की पढाई फगवाडा के आर्य हाई स्कूल एवं रामगढ़िया स्कूल में हुई| ये उनकी बुआ का शहर है| जिनका बेटा वीरेंदर पंजाबी फ़िल्मों का चर्चित अभिनेता तथा प्रोड्यूसर डायरेक्टर रहा। आतंकवाद के समय लुधिआना में  फ़िल्म ‘जट ते ज़मीन’ की शूटिंग के दौरान आतंकवादियों ने गोली मार कर उनकी हत्या कर दी थी।
धर्मेन्द्र की फिल्मों की शुरुआत “फिल्मफेयर मैगज़ीन न्यू टैलेंट अवार्ड” जीतने से हुई। धर्मेन्द्र पंजाब से मुंबई काम ढूंढने के इरादे से आये थे| धर्मेन्द्र की पहली फिल्म सन् 1960 में’ दिल भी तेरा हम भी तेरे’ आई, इसके बाद धर्मेंद्र ने बॉलीवुड में पीछे मुड़कर नही देखा,|इसके बाद सन 1961 में ‘ बॉय फ्रेंड ‘ में वे सह-कलाकार की भूमिका में नजर आये और फिर सन 1960 से सन 1967 के बीच उन्होंने कई रोमांटिक फिल्मे की|जिससे वे चर्चित होते चले गए।
धर्मेन्द्र की फिल्में नूतन के साथ ‘सूरत और सीरत’ सन 1962 में , ‘बंदिनी ‘सन 1963 में, ‘दिल ने फिर याद किया’ सन 1966 में और ‘दुल्हन एक रात की’ सन1967 में आई।
अभिनेत्री माला सिंह के साथ उन्होंने’ अनपढ़’ सन 1962में , ‘पूजा के फूल’ सन 1964 में, ‘बहारें फिर भी आएँगी’ में काम किया |वही नंदा के साथ ‘आकाशदीप’, सायरा बानू के साथ ‘शादी’ और ‘आयी मिलन की बेला’ (1964) और मीना कुमारी के साथ ‘मैं भी लड़की हूँ’ (1964), ‘काजल’ (1965), ‘पूर्णिमा’ (1965) और ‘फूल और पत्थर ‘(1966) में काम किया है|
धर्मेन्द्र की पहली एक्शन फिल्म ‘फूल और पत्थर ‘(1966) में उनका एकल किरदार था ,जिसकी वजह से इसी फिल्म से लोग उन्हें एक्शन हीरो के नाम से जानने लगे थे और इसके बाद उन्होंने सन 1971 में फिल्म ‘मेरा गाँव मेरा देश’ में एक्शन हीरो के रूप में ही धाक जमाई।
 फिल्म “फूल और पत्थर” के लिये उन्हें बेस्ट एक्टर का फिल्मफेयर में पहला नॉमिनेशन  मिला |उन्होने सन 1975 से रोमांटिक और एक्शन दोनों तरह की फिल्मे की । उस समय  उन्होंने कई कॉमेडी फिल्मे भी की थी, जिनमे ‘तुम हसीं मै जवान’, ‘दो चार’, ‘चुपके चुपके’, ‘दिल्लगी’, ‘नौकर बीवी का’ शामिल है|
 धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी दोनों ने कई फिल्मो में साथ साथ काम किया, जिनमे ‘राजा जानी’, ‘सीता और गीता’, ‘शराफत’, ‘नया ज़माना’, ‘पत्थर और पायल’, ‘दोस्त’, ‘चरस’, ‘माँ’, ‘चाचा भतीजा’, ‘तुम हसीन मैं जवान’, ‘जुगनू’, ‘आज़ाद ‘ और ‘शोले’ शामिल है। ‘शोले ‘ फिल्म को फिल्म फेयर बेस्ट फिल्म ऑफ़ 50 इयर का अवार्ड भी दिया गया है।धर्मेन्द्र ने ‘धरम-वीर’, ‘चरस’, ‘आज़ाद’, ‘कातिलों के कातिल’, ‘गजब राजपूत’, ‘भागवत’, ‘जानी दोस्त’, ‘धर्म और कानून’,’ मैं इन्तेकाम लूँगा’, ‘जीने नहीं दूंगा’, ‘हुकूमत और राज तिलक ‘ जैसी चर्चित एक्शन फिल्में की है।
धर्मेन्द्र ने कपूर खानदान के पृथ्वीराज और करीना कपूर को छोड़कर बाकी सभी हीरो हीरोइन के साथ काम किया है| उन्होंने अपनी पंजाबी भाषा में भी, ‘कंकन दे ओले’ फ़िल्म में मेहमान की भूमिका निभाई जो सन 1970 में बनी थी।, उनकी पंजाबी की अन्य फिल्मों में ‘दो शेर ‘(1974), ‘दुःख भजन तेरा नाम ‘(1974), ‘तेरी मेरी इक जिन्दरी’ (1975), ‘पुत्त जट्टां दे’ (1982) और कुर्बानी जट्टां दी (1990) आदि शामिल है।
उन्हें सन 1997 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला| दिलीप कुमार और उनकी पत्नी सायरा बानू के हाँथो से अवार्ड लेते समय धर्मेन्द्र भावुक हो गए और उनके प्रति आभार जताया। उन्होंने प्रोडक्शन में भी हाथ आजमाया और अब खेती में भी हाथ आजमा रहे है।उनके लिए अब खेती किसानी ही प्राणवायु बन चुकी है।(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है)
डॉ श्रीगोपालनारसन एडवोकेट
पोस्ट बाक्स 81,रुड़की, उत्तराखंड
मो0 9997809955

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