टीकापुर घटना के सत्य तथ्य लाने के लिये लाल आयोग के प्रतिवेदन को सार्वजनिक किया जाय : उमेश मंडल

काठमांडू, ६ जेठ । रेशम चौधरी को उम्र कैद के फैसले को लेकर हर राजनीतिक दल अपनी अपनी रोटी सेकने में लगे हैं । हरेक राजनीतिक दल के शीर्ष नेता रेशम चौधरी को निर्दोष कह रहे हैं फिर भी रेशम चौधरी जेल में हैं और उन्हें उम्र कैद की सजा मिल चुकी है । इसी बीच कई दलों ने लाल आयोग के प्रतिवेदन को सार्वजनिक करने की मांग की है । तराई–मधेश लोकतान्त्रिक पार्टी ने लाल आयोग के प्रतिवेदन सार्वजनिक नहीं करने के सरकार द्वारा किए गए निर्णय के प्रति खेद व्यक्त किया है । तमलोपा ने २०७८ साल में नेपाली कांग्रेस, माओवादी ,और जसापा गठबंधन सरकार की प्रतिवेदन सार्वजनिक नहीं करने के लिए अदालत जाने की निर्णय प्रति खेद व्यक्त किया है । तमलोपा के केन्द्रीय सदस्य उमेश कुमार मण्डल ने कहा कि ये अत्यन्त दुखद बात है । साथ ही उन्होंने जसपा और मधेशवादी के अन्य दलों के नेता पर आरोप लगाते हुए कहा कि –आज रेशम चौधरी और टीकापुर घटना के अन्य आरोपी पर जो भी आरोप लगा है इसके लिए कांग्रेस , माओवादी तथा जसपा के साथ अन्य दल भी जिम्मेदार हैं ।
टीकापुर घटना के सत्य तथ्य छानबीन करने के लिए सर्वोच्य अदालत के पूर्व न्यायाधीश गिरीश चन्द्र लाल के संयोजकत्व में एक आयोग की स्थापना की गई थी । उस आयोग ने घटना का छानबीन करने के बाद प्रतिवेदन तैयार कर सरकार को दे चुकी है, इस बीच में कई सरकारें बनी लेकिन किसी ने भी प्रतिवेदन को सार्वजनिक नहीं किया जिसका चारों ओर विरोध किया जा रहा है ।
पीडि़त परिवार के मांग अनुसार सूचना आयोग ने २०७८ फागुन ५ गते लाल आयोग के प्रतिवेदन को सार्वजनिक करने के लिए सरकार को निर्देशन दिया था । लेकिन चैत्र ६ गते, २०७८ में तत्कालिन देउवा नेतृत्व के मन्त्रीपरिषद के निर्णय अनुसार सरकार की ओर से मुख्य सचिव वैरागी ने इसपर रोक लगाने के लिए सर्वोच्च अदालत में निवेदन दिया था । उस वक्त देउवा सरकार में नेपाली काँग्रेस, माओवादी, जनमोर्चा जसपा तथा माधव नेपाल की पार्टी समेत सहभागी थी । जसपा की ओर से राजेन्द्र श्रेष्ठ, रेणू यादव तथा महेन्द्र यादव मन्त्री भी थे । बाद में उसी गठबन्धन में शामिल होकर लोसपा तथा जनमत ने भी प्रतिनिधि और प्रदेश सभा के निर्वाचन में भाग लिया था ।


