Mon. Oct 7th, 2024



काठमांडू, ११ असार
पशुपति के जलहरी अनियमितता प्रकरण का स्थलगत अनुसंधान रविवार से शुरु हुआ है । गुणस्तर तथा नापतौल विभाग, पुरातत्त्व विभाग, खानी तथा भूगर्भ विभाग, नेपाल सुनचाँदी व्यवसायी महासंघ, पशुपति क्षेत्र विकास कोष तथा चारों सुरक्षा निकाय साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों के प्रतिनिधित्व में पशुपति के जलहरी का गुणस्तर एवं धातु का परिक्षण किया गया है ।
जलहरी अनियमितता प्रकरण अनुसंधान के क्रम में रहने के कारण कल हुई जाँच का परिणाम सार्वजनिक नहीं किया गया है । बात कुछ इस तरह की थी कि तत्कालिन प्रधानमंत्री केपी ओली ने ०७७ माघ १२ में पत्नी राधिका शाक्य और सहयोगीयों के साथ पशुपतिनाथ मन्दिर में ‘संकल्प पूजा’ करने के लिए आए थे । जहाँ चाँदी की जलहरी थी । जलहरी में पानी चूने की समस्या थी । इस समस्या को देखते हुए तत्कालिन प्रधानमंत्री ओली ने इसे हटाकर सोने की १०८ किलो का जलहरी बनाने की घोषणा की । १०८ केजी का जलहरी तैयार भी किया गया और इसे लगाया भी गया लेकिन जब इसका नापतौल हुआ तो यह केवल ९६ किलो का था तथा इसके गुणस्तर में भी कमी थी । जिसके बाद इसमें अख्तियार को लगया गया ।



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