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सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीमा प्रबंधन के लिए सरकार को निर्देश

काठमान्डू 17 सितम्बर



 

सरकार को  सुप्रीम कोर्ट ने सीमा प्रबंधन के लिए भारत के साथ अतिरिक्त संधियां और समझौता करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपराधिक गतिविधियों पर रोक लगाने की नीयत से दोनों पड़ोसी देशों को समानता और पारस्परिक हितों के आधार पर भारत के साथ अतिरिक्त संधियों और समझौतों पर हस्ताक्षर करना चाहिए. साथ ही  सुप्रीम कोर्ट ने दोनों देशों के बीच खुली सीमा की बेहतर देखभाल के लिए भी भारत-नेपाल को साथ आकर फैसले लेने की बात कही है.

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सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सीमा मामलों के विशेषज्ञ बुद्धि नारायण श्रेष्ठ और वकील चंद्रकांत ग्यावली की ओर से दायर याचिका के जवाब में दिया है. ये आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश मान सिंह राउत और न्यायमूर्ति पुरूषोत्तम भंडारी की पीठ ने दिया है. इसमें प्रधानमंत्री कार्यालय और मंत्रिपरिषद, संघीय संसद सचिवालय, विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय सहित के नाम पर आदेश दिया गया.

याचिकाकर्ता बुद्धि नारायण श्रेष्ठ ने आदेश के हवाले से बताया, ‘क्योंकि नेपाल और भारत के बीच खुली सीमा का अवांछित तत्वों ने अक्सर दुरुपयोग किया है, इसलिए इसे ड्रोन और सीसीटीवी जैसी नवीनतम तकनीकों का इस्तेमाल करके सुरक्षा एजेंसियां इसकी निगरानी करेंगी. अदालत ने सरकारी अधिकारियों से खुली सीमा के प्रभावी प्रबंधन और देखभाल और निगरानी को सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक और राजनयिक पहल के जरिये समानता और पारस्परिक हितों के आधार पर समझौते करने को कहा है.’ न्यायाधीशों ने 25 अप्रैल, 2021 को आदेश जारी किया था, फैसले का पूरा ब्यौरा हाल में जारी किया गया.

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भारत के पांच राज्यों के साथ नेपाल की सीमा साझा होती है. नेपाल का दक्षिणी सीमा उत्तर प्रदेश, बिहार से लगती है, जबकि पश्चिम में उत्तराखंड की सीमा है. देश की पूरब में पश्चिम बंगाल और सिक्कम की सीमाएं हैं. नेपाल भारत के साथ कुल 1850 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है.

 



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