कालरात्रि हे भद्रकाली मां, सब बलशाली तेरी जय हो।
कालरात्रि हे भद्रकाली मां,
सब बलशाली तेरी जय हो।
*राधाकान्त की अरज सुनो मां,*
*हृदय विहारिणी तेरी जय हो।।*
दुष्ट दलन संहारिणी जय जय हो,
चण्ड मुण्ड वधकारिणी जय जय हो।
*रक्तबीज बध असुर संहारे,*
*आदि शक्ति माँ काली जय हो।।*
रोग शोक रिपु दूर करो माँ,
दुष्टन, संकट चूर करो माँ।
*राधाकान्त गहे गुण तेरा,*
*भक्तों के घर करो बसेरा।।*
शिव कृपा हो तुम्ही भवानी,
हम, सेवक मूरख अज्ञानी।
*राधाकान्त तव स्तुति गावे,*
*तेरे शत शत नाम सुनावे।।*
अन्नपूर्णा तुम्ही वरदानी,
करो कृपा हे मात भवानी।
देवी त्वमसि माँ त्रिपुर भैरवी,
मात त्वमसि धूमावती रानी।।
*त्वमसि तारा मुण्डन हारा।*
*सब भक्तन के सुखदायी माँ।,*
*करहुं कृपा जगदम्ब भवानी मात मृडानी काली जय जय।।*
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*एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥*
*!!ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा!!*
*माता महामाया विंध्यवासिनी, श्री दुर्गा भद्रकाली सभी भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखें, *ज्योतिषाचार्य आचार्य राधाकान्त शास्त्री*