आतंकवाद के खिलाफ खड़ा इजराइल : डॉ. श्वेता दीप्ति


डॉ श्वेता दीप्ति, हिमालिनी अंक ऑक्टोबर । आए दिन विभिन्न देशों के बीच वर्चस्व की लड़ाई, समाचारों का हिस्सा बन रहा है और मौत की खबर पढ़ने के हम आदी हो गए हैं । इजरायल और हमास के बीच शुरू हुए युद्ध में दोनों पक्षों के ३००० से ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबर है । इजरायल ने हमास को नेस्तनाबूत करने की घोषणा की है, जबकि हमास ने दशकों पहले दुनिया के नक्शे से इजरायल का नामों–निशान मिटा देने की कसम खा रखी है । संघर्ष में एक तरफ है, इजरायल की सेना और दूसरी तरफ है, आतंकी संगठन– हमास, जो फिलिस्तीन के पक्ष में हैं । इस संघर्ष को लेकर दुनिया के देश भी अलग–अलग गुटों में बंट गए हैं ।



इजरायल और फिलिस्तीन के बीच इस संघर्ष की शुरुआत प्रथम विश्व युद्ध के समय हुई थी । ओटोमन यानी उस्मानी साम्राज्य की हार के बाद ब्रिटेन ने फिलिस्तीन पर कब्जा हासिल कर लिया था । फिलिस्तीन में यहूदी, अल्पसंख्यक थे, जबकि अरब बहुसंख्यक थे । अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ब्रिटेन को फिलिस्तीन में यहूदी मदरलैंड बनाने का काम सौंपा था । ब्रिटिश शासन ने बाल्फोर घोषणा की जिसमें फिलिस्तीन में ‘यहूदियों के लिए एक अलग राज्य’ बनाने के लिए अपना समर्थन देने का संकेत दिया । इसमें कहा गया, ‘ऐसा कुछ भी नहीं किया जाएगा जो यहां मौजूद गैर–यहूदी समुदायों के नागरिक और धार्मिक अधिकारों के खिलाफ हो’ ।
१९२२ से १९४७ तक पूर्वी और मध्य यूरोप से यहूदियों का पलायन बढ़ गया क्योंकि युद्ध और फिर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों को उत्पीड़न और अत्याचारों का सामना करना पड़ा । फिलिस्तीन के लोग शुरू से ही यहूदियों को बसाने के खिलाफ थे । १९२९ में हेब्रोन नरसंहार में बहुत सारे यहूदी मारे गए थे, ये दंगा यहूदियों के बसने के खिलाफ हुए फिलिस्तीनी दंगों का एक हिस्सा था । फिलिस्तीन में जैसे–जैसे यहूदी बढ़ते गए कई फिलिस्तीनी विस्थापित होते गए और यहीं से दोनों के बीच हिंसा और संघर्ष की शुरुआत हुई । १९४७ में संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन को यहूदी और अरबों के लिए दो अलग–अलग राष्ट्र में बांटने का प्रस्ताव पास किया । यहूदी नेतृत्व ने इस पर हामी भरी, लेकिन अरब पक्ष ने इसे अस्वीकार कर दिया । ब्रिटिश शासन, दोनों के बीच संघर्ष खत्म करने में नाकाम रहा और पीछे हट गया. इधर यहूदी नेतृत्व ने इजरायल की स्थापना की घोषणा कर दी. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने तत्कालीन फिलिस्तीन को ‘स्वतंत्र अरब और यहूदी राज्यों’ में विभाजित करने का जो प्रस्ताव पारित किया, उसे अरब नेताओं ने खारिज कर दिया था ।
१४ मई १९४८ को यहूदी नेतृत्व ने एक नए राष्ट्र की स्थापना की घोषणा की और इस तरह इजरायल अस्तित्व में आया । इसी साल कई अरब देशों ने इजरायल पर हमला बोल दिया । इस लड़ाई में फिलिस्तीनी लड़ाकों ने बढ़–चढ़कर हिस्सा लिया । इस जंग में यहूदी भारी पड़े । इजरायली सुरक्षाबलों ने ७.५ लाख फिलिस्तीनियों को इलाके से खदेड़ दिया और उन्हें पड़ोसी देशों में शरण लेने को मजबूर होना पड़ा । युद्ध अगले साल शांत हुआ और संयुक्त राष्ट्र की ओर से आवंटित क्षेत्र का ज्यादातर हिस्सा फिलिस्तीनियों ने गंवा दिया । इजरायल के यहूदियों ने इसे ‘स्वतंत्रता संग्राम’ कहा, जबकि फिलिस्तीनियों ने इसे ‘द कैटास्ट्रोफ’ या ‘अल–नकबा’ (तबाही) कहा ।
१९४८ की जंग में फिलिस्तीन का काफी सारा हिस्सा इजरायल के कब्जे में आ चुका था । १९४९ में एक आर्मीस्टाइस लाइन खींची गई, जिसमें फिलिस्तीन के २ क्षेत्र बने– वेस्ट बैंक और गाजा । गाजा को गाजा पट्टी भी कहा जाता है और यहां करीब २० लाख फिलिस्तीनी रहते हैं । वहीं वेस्ट बैंक इजराइल के पूर्व में स्थित है, जहां करीब ३० लाख फिलिस्तीनी रहते हैं । इनमें से ज्यादातर मुस्लिम, अरब हैं । वेस्ट बैंक में कई यहूदी पवित्र स्थल हैं, जहां हर साल हजारों तीर्थयात्री आते हैं । येरुशलम विवादित क्षेत्रों के केंद्र में है, जिसको लेकर दोनों देशों के बीच शुरू से ही ठनी हुई है । इजरायली यहूदी और फिलिस्तीनी अरब, दोनों की पहचान, संस्कृति और इतिहास येरुशलम से जुड़ी हुई है । दोनों ही इस पर अपना दावा करते हैं ।
यहां की अल–अक्सा मस्जिद, जिसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित कर रखा है, दोनों के लिए बेहद अहम और पवित्र है । इस पवित्र स्थल को यहूदी ‘टेंपल माउंट’ बताते हैं, जबकि मुसलमानों के लिए ये ‘अल–हराम अल शरीफ’ है । यहां मौजूद ‘डोम ऑफ द रॉक’ को यहूदी धर्म में सबसे पवित्र धर्म स्थल कहा गया है, लेकिन इससे पैगंबर मोहम्मद का जुड़ाव होने के कारण मुसलमान भी इसे उतना ही अपना मानते हैं ।
इस परिसर का मैनेजमेंट जॉर्डन का वक्फ करता है, लेकिन सुरक्षा इंतजामों पर इजरायल का अधिकार है । अल–अक्सा मस्जिद परिसर को लेकर लंबे समय से दोनों देशों के बीच विवाद होता आ रहा है । दो साल पहले २०२१ में ११ दिनों तक खूनी संघर्ष हुआ था, जिसमें कई जानें गई थींं ।
क्या है हमास, आखिर चाहता क्या है ?
१९७० के दशक में फिलिस्तीन ने अपने हक के लिए आवाजें उठानी शुरू की । यासिर अराफात की अगुवाई वाले ‘फतह’ जैसे संगठनों ने फिलिस्तीनी लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (एीइ) बनाकर इसका नेतृत्व किया । इजरायल पर हमले भी किए । करीब २ दशक तक रह–रह कर लड़ाइयां चलती रहीं । १९९३ में एीइ और इजरायल के बीच ओस्लो शांति समझौता हुआ । दोनों ने एक–दूसरे से शांति का वादा किया । इस बीच फिलिस्तीनी विद्रोह के दौरान हमास यानी हरकत अल–मुकावामा अल–इस्लामिया का उभार हुआ । इसकी स्थापना की, शेख अहमद यासीन ने की । इजरायल और फतह के बीच हुए ओस्लो शांति समझौते की हमास ने निंदा की । १९९७ में अमेरिका ने हमास को आतंकी संगठन घोषित कर दिया, जिसे ब्रिटेन और अन्य देशों ने भी स्वीकृति दी । २००० के दशक की शुरुआत में दूसरे विद्रोह के दौरान हमास का आंदोलन हिंसक होता चला गया । २००५ में गाजापट्टी पर इजरायल के अधिकार छोड़ने के बाद हमास ने उस पर कब्जा कर लिया । १५ सदस्यों वाले पोलित ब्यूरो के माध्यम से संचालित होने वाले हमास का मुखिया अभी इस्माइल हानियेह है । बताया जाता है कि वे कतर की राजधानी दोहा से इसकी कमान संभालते हैं । इसके मिलिट्री विंग की कमान मारवान इसा और मोहम्मद दईफ के पास है । फंडिंग की बात करें तो ईरान इस वक्त हमास का सबसे बड़ा मददगार है, जो हर साल करीब १०० मिलियन डॉलर की मदद करता है ।
ताजा संघर्ष के लिए ईरान पर हमास को उकसाने के आरोप लग रहे हैं । ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार ईरान में हुई कई बैठकों के बाद हमास ने इजरायल पर हमला किया है । इजरायल को खत्म कर हमास नया फिलिस्तीन बनाना चाहता है । वो पूरे इलाके को फिलीस्तीन घोषित कर यहां इस्लामी साम्राज्य की स्थापना करना चाहता है । दूसरी ओर इजरायल ने हमले के बाद हमास को पूरी तरह खत्म करने का संकल्प लिया है । संयुक्त सशस्त्र सेना इजरायल रक्षा बल के जवान जवाबी कार्रवाई में लगे हैं ।
दो पक्षों में बंटी दुनिया
ईरान और यमन ने हमास के हमले का खुले तौर पर समर्थन किया है । वहीं दूसरी ओर भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जापान जैसे देश इजरायल के समर्थन में खड़े हैं । वहीं यूरोपियन यूनियन ने भी कहा कि इजरायल को अपनी संप्रभुता की रक्षा का अधिकार है । संयुक्त राष्ट्र, सऊदी अरब, ब्राजील और चीन ने दोनों पक्षों से शांति की अपील की है । दक्षिण अफ्रीका और रूस ने तत्काल युद्धविराम का आह्वान किया है । वहीं तुर्की ने भी दोनों पक्षों से तनाव कम करने की अपील की है ।
इजरायल, हमास और फिलिस्तीन, इस लड़ाई में प्रमुख तौर पर यही तीन स्टेक होल्डर हैं । इजरायल और अरब देशों की अदावत पुरानी है । जिसका नतीजा ये हुआ कि यूनाइटेड नेशन का टू स्टेट प्लान कभी अमल में नहीं लाया जा सका । लेकिन इतिहास गवाह है कि जब–जब इजरायल पर हमले हुए, इजरायल ने मुंहतोड़ जवाब दिया. न सिर्फ जवाब दिया बल्कि अपनी स्थिति भी मजबूत करता गया । फिर चाहे १९६७ का ६ दिन का युद्ध हो या फिर १९७३ का अरब–इजरायल युद्ध । हर युद्ध में इजरायल भौगौलिक तौर पर अपना आकार बढ़ाता गया । फिलिस्तीनियों की जमीन खिसकती गई । १९९० का दशक आते–आते इजरायल और फिलिस्तीन में बातचीत का दौर शुरु हुआ. एक तरफ बातचीत के जरिए विवाद खत्म करने का प्रयास किया जाने लगा. दूसरी तरफ मुस्लिम कट्टरपंथियों ने ज्ञढडठ में हमास नाम के संगठन की शुरुआत की. अंग्रेजी में हमास का मतलब इस्लामिक रजिस्टेंश मूवमेंट है.
फिलीस्तीन को इस्लामिक स्टेट बनाने का था मकसद
हमास का उद्देश्य फिलिस्तीन को इजरायल से आजाद कराना और उसे इस्लामिक स्टेट बनाना था. फिलिस्तीन में हमास अपनी जड़ें जमा रहा था और उधर बातचीत के जरिए फिलिस्तीन और इजरायल के रिश्ते सामान्य होने लगे थे । १९९५ में इजरायल ने फिलिस्तीनियों को जमीनें लौटाना शुरू कर दिया था ।
ओस्लो समझौते के तहत के तहत गाजा स्ट्रिप और वेस्ट बैंक को ३ तरह के क्षेत्रों में बांटा गया । जोन ए में ऐसे क्षेत्रों को रखा गया जिनपर फिलिस्तीन का पूरा नियंत्रण था । जोन बी में उन क्षेत्रों को रखा गया, जहां प्रशासन फिलिस्तीन का लेकिन सुरक्षा इजरायल के हाथ रही । इसी तरह जोन सी में वो क्षेत्र थे जहां पूर्ण रूप से इजरायल का नियंत्रण था ।
१९९५ में हुए ओस्लो–२ समझौते के बाद जो वेस्टबैंक से फिलिस्तीन के हिस्से में कई प्रमुख शहर आए जिसमें हेब्रों, यत्ता, बेतलहम, रमल्ला, कल्कइलियाह, तुलकार्म, जैनीन, नाबुलुस थे । इसके अलावा गाजा पट्टी के शहर भी फिलिस्तीन को मिले । जिसमें रफाह, खान यूनुस, डायरल, अलबलह, जबलियाह, अन नजलाह शामिल हैं । इस समझौते के बाद ऐसा लगने लगा था कि इजरायल और फिलिस्तीन का विवाद अब खत्म हो गया है । अब दोनों देश शांतिपूर्वक आगे बढ़ेंगे । लेकिन दोनों पक्षों के कट्टरपंथियों को ये समझौता मंजूर नहीं था ।
सदी का सबसे बड़ा हमला
७ अक्टूबर २०२३ को हमास ने इजरायल पर जो रॉकेट दागे वो इस सदी का सबसे बड़ा अटैक है । अलजजीरा टेलिवजन के एक कार्यक्रम में हमास के प्रवक्ता ने कहा कि इजरायल पर ये हमला मुस्लिम देशों को संदेश है कि वो इजरायल से रिश्ते सामान्य करने का प्रयास छोड़ दें । मजहब के नाम पर युवाओं को बरगलाना और इजरायल पर आतंकी हमले करवाने में हमास का साथ हिजबुल्ला जैसे संगठन भी देते हैं । इजरायल और फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास के बीच जंग शुरू हो गई है । इस जंग में अब तक दोनों ओर से हजारों लोग मारे जा चुके हैं । १९४८ में जैसे ही इजरायल अलग मुल्क बना, वैसे ही ये विवाद क्षेत्रीय तनाव में बदल गया. दोनों के बीच शांति के लिए दशकों पहले एक सॉल्यूशन लाया गया था, लेकिन इसे कभी माना नहीं गया । इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का कहना है, ‘दुश्मन को ऐसी कीमत चुकानी पड़ेगी, जिसके बारे में उसने कभी नहीं सोचा होगा ।’
इजरायल और हमास के बीच पहले भी संघर्ष हो चुका है । लेकिन इस बार ये संघर्ष से कहीं ज्यादा है । ऐसा इसलिए क्योंकि इजरायल ने कभी आधिकारिक तौर पर हमास के खिलाफ जंग का ऐलान नहीं किया था । लेकिन इस बार उसने बकायदा एलान किया है । इस बीच दुनिया भी दो धड़ों में बंट चुकी है । अरब देश और इस्लामिक राष्ट्र हमास के साथ खड़े हैं । तो भारत और अमेरिका जैसे मुल्क इजरायल के साथ हैं । वहीं, पाकिस्तान ‘टू स्टेट थ्योरी’ की वकालत कर रहा है । पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि उनका देश मध्य पूर्व में स्थाई शांति के लिए हमेशा से टू स्टेट समाधान की पैरवी करता रहा है ।
टू स्टेट थ्योरी क्या है ?
टू स्टेट सॉल्यूशन या दो राष्ट्र समाधान का प्रस्ताव सबसे पहले १९३७ में आया था । तब ब्रिटिश सरकार में पील कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में ये प्रस्ताव दिया था । इसमें नेगेव रेगिस्तान, वेस्ट और गाजा पट्टी को अरब लोगों को देने का प्रस्ताव रखा गया था । जबकि, गलीली में ज्यादातर समुद्री तट और फिलिस्तीन की उपजाऊ भूमि यहूदियों को देने की बात थी । येरूशलम ब्रिटिश अपने पास ही रखना चाहते थे । इस प्रस्ताव का यहूदियों ने तो समर्थन किया लेकिन अरबों ने खारिज कर दिया ।
१९४७ में फिर संयुक्त राष्ट्र ने बंटवारे का प्रस्ताव रखा । इसमें तीन–तरफा विभाजन था । येरूशलम को अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण में ही रखने का प्रस्ताव था । जबकि, यहूदियों और अरबों के लिए अलग–अलग मुल्क बनाने की बात थी । इस बार भी यहूदियों ने इसे मान लिया लेकिन अरब नेताओं ने इसका विरोध किया ।
वर्तमान स्थिति
हमास और इजरायली सेना के बीच लगातार संघर्ष जारी है । इजरायली सेना ने ताबड़तोड़ हमले कर गाजा पट्टी में हमास के अधिकांश ठिकानों को तबाह कर दिया है । २३ लाख की आबादी वाले गाजा पट्टी में इजरायल की वायु सेना ने लगातार जवाबी हमले किए हैं, जिसमें ३००० से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और ४६०० से अधिक लोग घायल हैं । हमास के हमले के बाद से इजरायल ने गाजा की पूर्ण रूप से घेराबंदी कर दी है, जिसके बाद से क्षेत्र में भोजन, पानी, ईंधन और जरूरी समानों की सप्लाई प्रभावित हो गई है । इजरायली सेना ने गाजा पट्टी में अपने हमले तेज कर दिए हैं । इजरायल की तरफ से अमेरिका ने अपनी जंगी जहाज तैनात कर दिया है । इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास को खत्म करने की धमकी दी है । हमास के लड़ाकों ने बर्बरता दिखाते हुए इजरायल के ४० मासूम बच्चों की हत्या कर दी है । दो सौ से अधिक को बंधक बना कर रखा हुआ है । महिलाओं के साथ बलात्कार और फिर उन्हें मौत देने की कई खबर बाहर आ रही है । इस युद्ध में नेपाल के दस छात्रों की दुखद मौत हो गई है, कई लापता हैं और बहुतों को सुरक्षित नेपाल लाया गया है । युद्ध जारी है इसलिए मौत का यह आँकडा कहाँ तक पहुँचेगा इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता ।

सम्पादक, हिमालिनी
