भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय साहित्योत्सव नासिक में संपन्न हुआ

नासिक – वर्ल्ड क्रिएटिविटी फोरम नासिक और भेरी साहित्य समाज के सहयोग से भारत-नेपाल प्रथम अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव सफलतापूर्वक संपन्न आयोजन किया गया । इस साहित्योत्सव में नेपाल से आये हुए नौ साहित्यकारों को वर्ल्ड क्रिएटिव्हिटी फोरम की ओर से सम्मानित किया गया जिसमें प्रोफेसर हरि प्रसाद तिमिलसिना, अध्यक्ष भेरी साहित्य समाज केंद्रीय समिति।
2. मीना बराल, केंद्रीय पार्षद, नेपाल के प्रगतिशील लेखक संघ; सदस्य भ. सा एस.एस. .
3. इंद्र बहादुर बस्नेत, पूर्व अध्यक्ष, प्रगतिशील लेखक संघ, नेपाल, बांके; सदस्य बी.एस.एस. .
४. राजकुमार थारू केन्द्रीय सदस्य भेरी साहित्य समाज केन्द्रीय समिति ।
५ भेषराज चौधरी- विभागीय प्रमुख प्राणीशास्त्र विभाग, महेन्द्र बहुमुखी
कैम्पस नेपालगंज.
६.जगत बहादुर भण्डारी – पूर्व लेखा अधिकृत, नेपाल सरकार ।
७. जीता भण्डारी,
8. चित्रा कुमारी बस्नेत,
९. सभा चौधरी,



इस साहित्योत्सव में प्रमुख अतिथि इस्कॉनचे आध्यात्मिक मा. गुरू नरसिंह कृपा प्रभुजी अपने संबोधन में इस अवसर पर प्रभुजी ने यह विश्वास व्यक्त किया की साहित्य को सामाजिक प्रबोधन एवं मानवता के लिए रचनात्मक होना चाहिए और विश्व के सबसे महान साहित्यकार श्री.व्यास मूनि का उल्लेख करके साहित्य का उद्देश्य लोकोपकार या मानवता की ओर दिशानिर्देश करने वाला होना चाहिए।
इस साहित्योत्सव में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मराठी भाषिक हिंदी लेखिका मनीषा खटाटे की पुस्तक “मरूस्थल” का पठन किया गया।दार्शनिक अंदाज में ऐसा खंडकाव्य लिखनेवाली वह दूसरी कवि तथा पहली स्री कवित्रि है। भेरी साहित्य समाज नेपाल के अध्यक्ष मा.हरि तिमिल्सिना ने अपील की कि लेखकों या कवियों को भारत और नेपाल में साहित्य और संस्कृति के विकास के लिए पहल करनी चाहिए। वर्ल्ड क्रिएटिविटी फोरम नासिक की अध्यक्ष मनीषा खटाटे और प्रबंध निदेशक डॉ. राजेंद्र खटाटे को भेरी साहित्य समाज नेपाल की ओर से सम्मानित किया गया, बाल कवि अजीश खटाटे का भी कविता पाठ हुआ। सामाजिक कार्यकर्ति तथा शिक्षाविद नीतू भाटिया ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया । इस मौके पर त्रिमूर्ति कला कॉलेज के संस्थापक मंगेश घुगे मौजूद रहे
और इस दौरान प्रमुख अतिथि और अध्यक्ष को अपनी पेंटिंग उपहार में दीं। प्रोग्रेसिव्ह एज्युकेशन सोसा.के निदेशक श्री.विजय चोरडिया एवं सचिव श्री.अरविन्द क्षीरसागर की उपस्थिति भी महत्वपूर्ण रही।
इस कार्यक्रम का संचालन तुषार पाटिल ने किया जब कि कार्यक्रम को सफल बनाने का प्रयास गोविंद साळवे ने किया.