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काठमांडू उपत्यका में रातभर देउसी, भैलो खेल सकते हैं



काठमांडू, २७ कात्तिक – देउसी, भैलो का खेल इस बार रातभर खेला गया है । पिछले कुछ समय से इस खेल को रातभर खेलने पर प्रतिबंध लगया जाता था । कभी ८ बजे रात तक तो कभी दस बजे रात तक ही आप इस खेल को खेल सकते थे । स्थानीय  प्रशासन  द्वारा इस तरह की समय सीमा तय करने को लेकर हर वर्ष लोगों में नाराजगी रहती थी । लोग खुलकर इसका विरोध कर रहे थे । उस विरोध का ही यह असर है कि इस बार काठमांडू उपत्यका में यह छुट दी गई कि रातभर देउसी, भैलो खेल सकते हैं ।
इस बार तिहार के अवसर में देउसी, भैलो खेलने की समय सीमा नहीं तय करने की जिला सुरक्षा समिति काठमांडू ने जानकारी दी है । भक्तपुर और ललितपुर में भी रातभर देउसी और भैलो खेलने का भी निर्णय किया गया है । काठमांडू के प्रमुख जिला अधिकारी ने कहा कि उपत्यका में एक ही प्रकार का निर्णय किया जाए एसे लेकर हमारी चर्चा हुई थी । जिसमें यह कहा गया कि इच्छुक व्यक्ति अपनी अनुकूलता में मर्यादित होकर देउसी, भैलो खेल सकते हैं । आवश्यक मात्रा में सुरक्षा व्यवस्था हम मिला रहे हैं ।
देउसी, भैलो यह नेपाल की बहुत पुरानी परम्परा रही है । राजा से लेकर आम आदमी तक देउसी भैलो का खेल बहुत मन से खेलते थे दीपावली के अवसर पर । दो तीन दिन तक यह खेल चलता रहता है । खासकर रात के समय में यह खेल खेला जाता है जहाँ अलग अलग टोली बनाकर लोग खेलते हैं । जिसमें बच्चों की अलग टोली, लड़कों की अलग, लड़कियों की अलग, महिलाओं की अलग और पुरुष की अलग टोली बनती है और वह अपने घर से मोहल्ले तक देउसी भैलो का एक गीत गाते हुए, आशिष देते हुए हरेक घर के दरवाजे तक जाते हैं । घर के लोगों से जो मिलता है उसे स्वीकार कर टोली आगे बढ़ जाती है । इस खेल की खासियत यह रहती है कि बच्चें तो इसमें जो पैसे मिलते हैं उससे पिकनीक मना लेते हैं लेकिन जब बड़ों की बातें आती है या फिर संस्थागत रुप में देउसी भैलो खेली जाती है तब उस पैसे को विकास की ओर लगाया जाता है । खासकर पहाड़ की बात करें तो यहाँ इस पैसे का बहुत महत्व है क्योंकि इन पैसों से बहुत अच्छे काम भी किए जाते हैं ।
देउसी भैलो की समय सीमा तो नहीं तय की गई है लेकिन जिला प्रशासन कार्यालय काठमांडू ने यह सूचना निकालकर यह आग्रह किया है कि है कि पटाखा और आतिशबाजी जैसे विस्फोटक एवं प्रज्ज्वलनशील पदार्थ का प्रयोग और बिक्री वितरण नहीं करें ।

 



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