Mon. Oct 7th, 2024

शिल्पकार कहूं, मूर्तिकार कहूं या कहूं कुशल कलाकार : मनीषा मारू



शिल्पकार कहूं, 
मूर्तिकार कहूं या 
कहूं कुशल कलाकार।

पाषाण में प्राण फूंक
अद्भुत,अलौकिक,अप्रीतम रूप गढ़ा 
भावों के चन्दन से करती
वंदन-अभिनंदन बारंबार।

संपूर्ण विश्व का एक ही भाग्यशाली
तरूण युवा “अरूण योगीराज”ने इतिहास रच

डाला।
एक ही शालिग्राम शीला को तराशकर
रामलाला बालस्वरूप साथ एक-एक रूप को निखार डाला

अस्तित्व, व्यक्तित्व, दायित्व की अमरबेल 
चहुं दिस खिलकर विस्तृत हुई 
जगत सराय के जन मानस में,
युग- युग तक प्रेंरक बन 
प्रेंरित करेगी
ये अविस्मरणीय स्मृतियां।

यह भी पढें   माैसम सामान्य होने के बाद अब तक 380,000 लोगों ने काठमान्डु छोड़ा

एक ही प्रतीमा में प्रभु विष्णु

के अवतारों को….
मत्‍स्‍य,कूर्म,वराह,नृसिंह,वामन,
परशुराम,राम,कृष्‍ण,बुद्ध,कल्कि
सबको बड़ी खुबसूरती से मनमोहक रूपों में र्दशा दिया।
चमत्कृति, हस्तशिल्प,मनमोहिनी मुरत के
एक ओर बजरंगबली
तो दूजी ओर श्री गरुड़ जी

को तराश दिया

ओजस्विनी आभामंडल में
सूर्यदेव संग-संग 
शंख, स्वस्तिक, चक्र,गदा चिन्ह
तो बाएं हस्त धनुष-बाण धरें मुद्रा में 
रमलला के बालरूप को झलका दिया।

एकाग्रचित योगदान की योग्यता
खिलकर मुस्कुराई बनकर प्रेम-प्रमाण। 
धन्य हुआ

यह भी पढें   त्रिकोणात्मक टी–२० – नेपाल ने ओमान को ५६ रन से किया पराजित

उपर बैठा शिल्पकार भी
भरकर

सींच कर ऐसे मनु में जीवन प्राण।

नतमस्तक हो कर रही
कोटी-कोटी

धन्यवाद्,आभार ,साधुवाद 
बड़भागी वो

मात-पिता,

कुटुंब, परिवार, 
धन्य-धन्य हुआ सारा संसार, पूर्ण ब्रह्मांड “अरूण योगीराज”

मनीषा मारू
विराटनगर (नेपाल)

मनीषा मारू✍️
नेपाल



About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Loading...
%d bloggers like this: