परिवार का साथ हो तो राजनीति में भी आप अपनी जगह बना सकते हैं– ममता महतो
काठमांडू, माघ – १५ कहते हैं राजनीति करना महिलाओं के लिए आसान नहीं है । महिला इस क्षेत्र में बहुत कम हैं । बहुत लोगों का मानना है कि राजनीति महिला के लिए बना ही नहीं है । परिवार के लोग भी अपने घरों की महिलाओं को राजनीति में आने से रोकते हैं । उन्हें भी लगता है कि यह क्षेत्र महिलाओं के लिए नहीं है । इसमें साफ सुथरी छवि बहुत ही कम देखने को मिलती है । समाज आसानी से महिला पर लांछन लगा देता है । इतना होने के बाद भी हमारी महिलाएं कम ही सही लेकिन राजनीति में सहभागी हो रही हैं । बिना किसी बात की परवाह किए । ऐसे ही एक पटेर्वा सुगौली गाँवपालिका (पर्सा) की उपाध्यक्ष ममता महतो हैं जो राजनीति में बहुत कुशलता से अपनी जगह बना रही हैं । उनका राजनीति जीवन लगभग ८ वर्ष पहले शुरु हुआ था ।
ममता स्वयं कहती हैं कि – मैं शुरु से ही पढ़ने में बहुत अच्छी थी । लेकिन शादी कम ही उम्र में हो गई । पढ़ने की इच्छा को देखते हुए ससुराल वालों ने पढ़ने की छुट दे दी और मैंने एम.ए समाजशास्त्र से पूरा कर लिया । ससुराल में राजनीति का बड़ा प्रभाव था । श्वसुर और जेठ राजनीति में थे और चाहते थे कि मैं भी राजनीति में आऊ । वो स्वयं नेपाली कांग्रेस के थे तो मैंने भी अपना राजनीतिक सफर वही से शुरु किया ।
राजनीति में बहुत सी महिलाओं का कहना है कि परिवार से ही उन्हें सहयोग नहीं मिलता है । सबसे पहला विद्रोह ही वही से शुरु होता है । लेकिन ममता का कहना कि जब २० साल के बाद स्थानीय तह के लिए चुनाव हुआ और गाँवपालिका उपाध्यक्ष के लिए मेरा नाम रखा गया तो मैं खुद घबड़ाई हुई थी । मैंने घर के सभी सदस्यों से कहा था कि मैं घर और राजनीति दोनों कैसे संभाल पाउंmगी ? परिवार के सभी सदस्यों के साथ मेरे श्वसुर ने एक स्वर में कहा था कि तुम राजनीति करो, घर को हम देख लेंगे ।
उन्होंने यह भी कहा कि हाँ ये सच है कि बहुत सी महिला को बहुत संधर्ष करना पड़ता है अपने ही परिवार और समाज में लेकिन इस मामले में मैं बहुत भाग्यशाली रही कि मेरे मायके और ससुराल पक्ष दोनों ने ही मेरा बहुत साथ दिया । रही बात समाज की तो मेरे गाँवपालिका के लोगों ने जहाँ लगभग १६,००० लोग वोट करते हैं सब यही चाहते थे कि मैं ही उपाध्यक्ष पद पर आऊ और ये मेरा दूसरा कार्यकाल है । मैं लगातार दो बार चुनी गई हूँ ।
इसका सबसे बड़ा कारण है मेरा शिक्षित होना । जिस परिवेश में मैं रहती हूँ वहाँ की जनता की सोच है कि मैं पढ़ी लिखी हूँ , समझदार हूँ, सक्षम हूँ, । उनकी जो आकांक्षा है सरकार से वो मैं ही पूरी कर सकती हूँ । उनकी बातों को सही जगह, सही व्यक्ति तक मैं ही पहुँचा सकती हूँ । इसलिए यह अवसर मुझे ही मिलना चाहिए ।
परिवार और समाज से तो फिर भी सहायता मिल जाता है लेकिन राजनीति में जो आपके अग्रज हैं वही जब आपको आगे बढ़ता देखते हैं या समझने लगते हैं कि अब ये किसी की नहीं सुननेवाली है । अपना रास्ता खुद बनाने वाली है तो वहाँ से समस्या शुरु हो जाती है । राजनीति में महिला का महिला से ज्यादा पुरुष से प्रतिस्पर्धा होती है । लेकिन हमें अपनी क्षमता, काम कर्तव्य को समझना होगा । उन्होंने यह भी कहा कि कभी–कभी राजनीति में चुप रहना भी अच्छा होता है ।
लेकिन ममता पूरे जोश से कहती हैं कि –मैंने ठान लिया है कि मुझे काम करना है । अपने आने वाले पुश्ता को ये कहकर नहीं डराना है कि राजनीति अच्छी चीज नहीं है वरन कुछ ऐसा काम करना है ताकि आने वाले समय में महिलाएं खुलकर राजनीति में आएं । यदि अपने आप को राजनीति में स्थापित करना है तो अच्छी वाणी,शिष्टाचार,अध्ययनशील और अच्छा चरित्र का होना जरुरी है । एक बात हमेशा याद रखें कि राजनीति चुनौति है तो अवसर भी है ।