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काठमांडू, फागुन २०– राष्ट्रीय राजनीतिक और जनता के जैविक मुद्दाओं को साथ लेकर स्वाधीन मधेश जन–अभियान ने मधेश केन्द्रीत जन–आन्दोलन शुरु कर दिया है ।
आंदोलन १ मार्च (शुन्य विभेद दिवस के अवसर पर) से शुरु किया गया है । नेपाली राजनीति में देखे जा रहे विभेद, भ्रष्टाचार, अनियमितता, जातिवाद, रिश्तेवाद अंत का अंत किया जाए । साथ ही गरीब, भू तथा घरविहीन प्रत्येक परिवार को सरकारी पक्का घर मिले, सड़क में पड़कर जो जगह ले लिए गए हैं उस जगह का सरकारी मुआबजा मिले , विदेश में राज्य द्वारा बेचे गए नेपाली युवाओं को देश वापस लाकर प्रत्येक परिवार में उनके हैसियत अनुसार की रोजगार की मांग सहित आन्दोलन में उतरे स्वाधीन मधेश जन–अभियान और उसके नेता कार्यकर्ताओं ने मुख्य रुप में निम्नलिखित मांग और मुद्दाओं को उठाया है वो मांग हैं –

“स्वाधीन मधेश जन–अभियान का जैविक व राजनीतिक आवाज”
स्वाधीन मधेश जन–अभियान एक स्वतन्त्र राजनीतिक आन्दोलन है । इसमें कोई भी नेपाली नागरिक, संघ–संस्था, जनप्रेमी विचारधारा और राजनीतिक दल एवं नेता भाग ले सकते हैं । यह अभियान विशुद्ध रुप से नेपाल के राजनीतिक सीमा के अन्दर रहे देश के हर वर्ग, समुदाय, लिंङ्ग और क्षेत्र की स्वतन्त्रता की बात करता है । देश के हर वर्ग और समुदाय को स्वाधीनता (स्वतन्त्रता) दिलाने की वकालत करना ही स्वाधीन मधेश जन–अभियान का मूल लक्ष्य है । इसे हम “राष्ट्र मुक्ति” आन्दोलन भी कह सकते हैं ।
स्वाधीन मधेश जन–अभियान जिन्नावादी आजादी (देश को तोडकर देश बनाने वाली आजादी) का विरोध करता है । गांधीवादी आजादी (शासकों को भगाकर आजादी लेना) को भी इस संगठन ने उचित नहीं ठहराया है, बल्कि यह मण्डेलावादी आजादी (सारे जात÷जाति, वर्ग और समुदाय के लोगों को उनके जनसंख्या के आधार पर राजनीति, संसद लगायत राज्य के हर अंङ्ग और निकायों में समानुपातिक प्रतिनिधित्व÷सहभागिता÷आरक्षण (आजादी) की मांग और वकालत करता है ।

राजनीतिक मुद्दें –
१. महंगे तथा भ्रष्ट निर्वाचन प्रणाली को खत्म कर “ जिसकी जितनी आवादी, उसकी उतनी भागीदारी“ हेतू पूर्ण समानुपातिक निर्वाचन प्रणाली कायम हों ।

२. स्थानीय तह के निर्वाचनों को दलविहीन बनाया जाय ।

३. “राष्ट्र राज्य” के बदले राज्य विहीन नेपालियों के लिए “राज्य राष्ट्र की पद्धति” की राजनीतिक व्यवस्था कायम हो ।

४. मौजूदा ७ प्रदेश संख्या को घटाकर हिमाल, पहाड और मधेश÷तराई प्रदेश का संघीय संरचना निर्माण हों ।

५. प्रशासक पालने के नाम पर बनाये गये अनावश्यक मौजूदा ७७ जिलों को घटाकर ५१ जिले बनाया जाए ।

६. मधेशी शहीदों को मधेश का धरोहर मानकर मधेश के हर शहर और बजार में शहीद प्रतिमा और शहीद पार्क स्थापना की जाय ।

७. विदेश पलायन युवा शक्तियों को यथाशिघ्र देश में वापस बुलाकर देश में ही रोजगारी की कार्यनीति तैयार की जाय ।

८. राजनीतिक स्टण्टबाजी समाप्त कर सटिक कार्य योजना के साथ कृषक तथा कृषि की सरकारी बीमा एवं किसान कार्ड की व्यवस्था हो ।

९. उम्र से ६५ पार के नेताओं के प्रत्यक्ष राजनीति पर प्रतिबन्ध लगाई जाय ।

१०. प्रधानमन्त्री, मुख्यमन्त्री, सभामुख के पदों को दो कार्यकालिक बनाया जाय ।

११. वि.स. २०४८ से हाल तक के सरकार, निजामति, प्रशासन तथा आर्थिक क्षेत्रों काम किए सारे नेता, अधिकारी व कर्मचारियों की सम्पत्ति की समूल छानबीन कर उनके अनुचित सम्पत्तियों को राज्य द्वारा जब्त हों ।

१२. सम्पूर्ण नीजि बैंकों को बन्द कर सरकारी बैंकों की शाखा और उप–शाखाओं का विस्तार हों ।

१३. देश के सारे सरकारी नेता, अधिकारी, कर्मचारी, डाक्टर्स और शिक्षकों के बच्चे को समान सरकारी शिक्षा दिलाने की व्यवस्था हों ।

१४. मधेश के साथ सम्पन्न २२ और ८ बूंदे राजनीतिक सहमतियों को हु–बहु कार्यान्वयन हों ।

१५. जनता द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचित कार्यकारी प्रमुख (राष्ट्रपति या प्रधानमन्त्री) का चुनाव हों ।

१६. संसद और सरकार पृथक पृथक हो । सांसदों को सरकार में मन्त्री बनने÷बनाने की पद्धति समाप्त किया जाय ।

१७. संसदीय कोष खारीज हों ।

१८. संवैधानिक और राजनीतिक सार्वजनिक पदों पर आसीन व्यक्ति और पारिवारिक सदस्यों को विदेशी बैंक में खाता खोलने पर प्रतिबन्ध हों ।

१९.. भूमि सुधार के साथ ही सम्पत्ति सुधार नीति समेत का निर्माण हों ।

२०. देश अहित में रहे सम्पूर्ण राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सन्धि सम्झौतों को निस्तेज किया जाय ।

२१. वर्षों से अस्थायी सेवा कर रहे शिक्षक और कर्मचारियों को स्थायी करने की व्यवस्था हों ।


जनता के जैविक मुद्दें ः
१. भूमिहीनों को अनिवार्य १० धुर जमीन के साथ दो रुम सहित ट्वायलेट–बाथरुम और रसोई घर सहित की सरकारी पक्की घर की व्यवस्था हो ।
२. घर विहीन, झोपडपट्टी, झुग्गी और खपरैल घर बाले गरीब नागरिकों को ट्वायलेट–बाथरुम और रसोई घर सहित की सरकारी पक्की घर की व्यवस्था हो ।
३. सड़कों में जाने बाले जमीनों की सरकारी मुआबजा देने की व्यवस्था हो ।
४. कामदार की क्षमता और योग्यता अनुसार हर घर को काम÷रोजगार की व्यवस्था हो । इसके साथ ही ३८ बूंदे मांग सरकार से की गई है ।
द्रष्टव्य ः नेपाल में समानुपातिक निर्वाचन÷प्रतिनिधित्व या समानुपातिक आरक्षण प्रणाली नहीं है । यह भ्रष्ट मिश्रित प्रणाली है ।
आन्दोलन शुरुआत करने वाले जिलाओं में –सुनसरी, सप्तरी, सिरहा, धनुषा, महोत्तरी, नवलपरासी आदि । धीरे–धीरे अन्य जिलों और संगठनों के साथ सहकार्र्य करने की योजना है ।



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