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पन्द्रह दिवसीय ऐतिहासिक मिथिला माध्यमिक परिक्रमा आज से शुरु



काठमांडू, फागुन २७ –
पन्द्रह दिवसीय ऐतिहासिक मिथिला माध्यमिक परिक्रमा आज से धनुषा के कौचरी से विधिवत शुरुआत हुई है । नेपाल और भारत के हजारों सख्या में श्रद्धालुओं की सहभागिता होती है इस परिक्रमा में । विभिन्न १५ स्थान में विश्राम कर एक सौ ३३ किलोमीटर पैदलयात्रा की जाती है । इसी यात्रा के लिए आज सुसबह धनुषा के मिथिला विहारी नगरपालिका– ८ कौचरी स्थित मिथिला विहारी मन्दिर से झाँकी कीर्तन सहित श्रद्धालुओं ने प्रस्थान किया है ।


कौचरी के मिथिला विहारी, जनकपुर के सुन्दर सदन मन्दिर से किशोरी जी और रामजानकी सहित जनकपुर के अन्य डोला हनुमानगढ़ी में आज जमा  होंगे ,  मिथिला विहारी मन्दिर के महन्त रामनरेश शरण ने  यह जानकारी दी है । आज सभी श्रद्धालु हनुमानगढ़ में जमा होंगे ।
फागुन २८ गते की सुबह कल्याणेश्वर के लिए यात्रीगण प्रस्थान करेंगे । वही २९ गते भारत के फुलहर स्थित गिरिजा स्थान में पहुँचकर परिक्रमा के यात्रीगण विश्राम करेंगे । फागुन ३० गते ऐतिहासिक स्थान महोत्तरी के मटिहानी पहुँचेंगे । इसी तरह चैत १ गते जलेश्वरनाथ महादेवस्थान में विश्राम करेंगे । २ गते मडै, ३ गते ध्रुवकुण्ड पहुँचकर विश्राम करेंगे । चैत ४ गते कञ्चनवन पहुँचकर वहाँ होली खेलेंगे । ऐसी मान्याता है कि त्रेतायुग में राम और सीता ने यहाँ होली खेली थी इसी लोक मान्यता अनुसार यहाँ यात्री रुककर होली महोत्सव मनाते आ रहे हैं ।


चैत ५ गते धनुषा के पर्वता अर्थात् क्षीरेश्वरनाथ महादेव स्थान में विश्राम करेंगे । चैत ६ गते धनुषाधाम में धनुषा मन्दिर में पहुँचकर विश्राम करेंगे । चैत ७ गते सतोखर, ८ गते औरही और ९ गते पुनः भारत के बिहार स्थित करुणा स्थान में विश्राम तथा १० गते बिसौल में पहुँचकर विधिवतरूप में मध्यमा परिक्रमा समाप्त की जाएगी । जो लोग इस १५ दिवसीइ परिक्रमा में भाग नहीं ले पाते हैं वो अन्तिम दिन जनकपुर नगर के पाँचकोसे अन्तरगृह परिक्रमा करते हैं । इस तरह परिक्रमा समाप्त होती है । परिक्रम में सहभागी श्रद्धालु परम्परागत बाजा गाजा, झाँकी कीर्तन सहित के मौलिक परिधान में सहभागी होते हैं । ये परिक्रमा न केवल नेपाल वरन भारत के दो स्थानों को मिलाकर तय की जाती है । जिसमें नेपाल के धनुषा और महोत्तरी के १३ तथा भारत में दो करके १५ विश्राम स्थल में रात्रि बास की जाती है ।


१८वीं शताब्दी से यह धार्मिक यात्रा माध्यमिकी परिक्रमा के रूप में मनाते आ रहे हैं । धार्मिक यात्रा १५ दिन के भीतर जनकपुर पहुँचकर होली खेलकर फागु पूर्णिमा तिथि को समापन करने की परम्परा है ।

 

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