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मिथिला क्षेत्र में आज सोमवती अमावस्या का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा

काठमान्डू 8अप्रैल

मिथिला क्षेत्र में आज सोमवती अमावस्या का पर्व मनाया जा रहा है. पूरे मिथिला क्षेत्र में आज सुबह के पहले पहर से ही धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण नदियों, तालाबों और सरोवरों में स्नान करने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी है. महोत्तरी के मुख्यालय जलेश्वर में स्थित पुरंदर, वरुण और भार्गव (भृगु) सर (झील, तालाब) सोमवती अमावस्या पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं से भरे रहते हैं।

इसी तरह रातू नदी के तट और जिले के ध्रुवकुंड, कंचनवन, टुटेश्वरधाम धाम और मटिहानी-7 स्थित लक्ष्मीसागर तीर्थस्थलों के पास के जलाशयों में भी श्रद्धालु स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं. मिथिला में सोमवती अमावस्या के दिन किया गया स्नान, दान और श्राद्ध विशेष फल देने वाला माना जाता है। मैथिल रीति-रिवाज के अनुसार सोमवार के दिन सुबह बिना किसी से बात किये पवित्र जलाशय में स्नान करने की परंपरा है.सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र जलाशय में स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ के नीचे जल चढ़ाने, पीपल के पेड़ के चारों ओर धागा बांधने, दीपक जलाने, आरती करने और फूल चढ़ाने का शास्त्रीय विधान है।

मैथिल लोक मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन यह कार्य करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और ग्रह बाधाएं दूर होकर सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। सोमवार के पहले दिन पवित्र जलाशय में स्नान करने की प्रथा पूर्वी वैदिक परंपरा है, क्योंकि पीपल के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वास होता है।

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शास्त्रों में उल्लेख है कि पीपल के वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वास होता है।  शास्त्रीय मान्यता के अनुसार पीपल के पेड़ की जड़ ब्रह्मा, मध्य भाग विष्णु और अग्र भाग शिव हैं, सोमवार को यहां की गई पूजा, दान, श्राद्ध और आरती पुण्यदायी होती है।

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