आज से चैत्र नवरात्र प्रारम्भ, माता का आगमन घोड़े पर, जानिए पूजा का शुभ मुहुर्त
काठमान्डू 9 अप्रैल
हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि शुरू हो जाती है. नवरात्रि पर देवी दुर्गा का नौ अलग अलग स्वरूपों की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है. नवरात्रि के 9 दिनों तक लोग उपवास रखते हैं. इस बार नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल, मंगलवार से होने जा रही है.
हिंदू पंचांग के अनुसार 9 अप्रैल, मंगलवार से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. हिंदू धर्म में किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पहले कलश स्थापना की जाती है. नवरात्रि में दुर्गा की घटस्थापना या कलश स्थापना के बाद देवी मां की चौकी स्थापित की जाती है तथा 9 दिनों तक इन देवियों का पूजन-अर्चन किया जाता है. कलश को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है.
मां दुर्गा की पूजा करने से पहले कलश की पूजा की जाती है. नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है. सालभर में कुल 4 नवरात्रि आती हैं जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि का महत्व काफी ज्यादा होता है. माना जाता है कि नवरात्रि में माता की पूजा-अर्चना करने से देवी दुर्गा की खास कृपा होती है. मां दुर्गा की सवारी वैसे तो शेर है लेकिन जब वह धरती पर आती हैं तो उनकी सवारी बदल जाती है और इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर धरती पर आएंगी.
चैत्र नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि मंगलवार, 9 अप्रैल 2024
घटस्थापना मुहूर्त- सुबह 6 बजकर 02 मिनट से सुबह 10 बजकर 16 मिनट तक
अवधि- 4 घंटे 14 मिनट्स
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक
चैत्र नवरात्रि की तिथि
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट से शुरू होगी
प्रतिपदा तिथि समापन- 9 अप्रैल को रात 8 बजकर 30 मिनट तक
चैत्र नवरात्रि पूजन विधि
घट अर्थात मिट्टी का घड़ा. इसे नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त के हिसाब से स्थापित किया जाता है. घट को घर के ईशान कोण में स्थापित करना चाहिए. घट में पहले थोड़ी सी मिट्टी डालें और फिर जौ डालें. फिर इसका पूजन करें. जहां घट स्थापित करना है, उस स्थान को साफ करके वहां पर एक बार गंगा जल छिड़ककर उस जगह को शुद्ध कर लें. उसके बाद एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं.
फिर मां दुर्गा की तस्वीर स्थापित करें या मूर्ति. अब एक तांबे के कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग पर लाल मौली बांधें. उस कलश में सिक्का, अक्षत, सुपारी, लौंग का जोड़ा, दूर्वा घास डालें. अब कलश के ऊपर आम के पत्ते रखें और उस नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर रखें. कलश के आसपास फल, मिठाई और प्रसाद रख दें. फिर कलश स्थापना पूरी करने के बाद मां की पूजा करें.
नवरात्रि घटस्थापना सामग्री
हल्दी, कुमकुम, कपूर, जनेऊ, धूपबत्ती, निरांजन, आम के पत्ते, पूजा के पान, हार-फूल, पंचामृत, गुड़ खोपरा, खारीक, बादाम, सुपारी, सिक्के, नारियल, पांच प्रकार के फल, चौकी पाट, कुश का आसन, नैवेद्य आदि.
नवरात्रि की तिथि
प्रतिपदा (मां शैलपुत्री): 9 अप्रैल 2024
द्वितीया (मां ब्रह्मचारिणी): 10 अप्रैल 2024
तृतीया (मां चंद्रघंटा): 11 अप्रैल 2024
चतुर्थी (मां कुष्मांडा): 12 अप्रैल 2024
पंचमी (मां स्कंदमाता): 13 अप्रैल 2024
षष्ठी (मां कात्यायनी): 14 अप्रैल 2024
सप्तमी (मां कालरात्रि): 15 अप्रैल 2024
अष्टमी (मां महागौरी): 16 अप्रैल 2024
नवमी (मां सिद्धिदात्री): 17 अप्रैल 2024