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लुभावने वादे के साथ २०८१/८२ के लिए नीति कार्यक्रम की घोषणा : श्वेता दीप्ति

लुभावने वादे के साथ २०८१÷८२ के लिए नीति कार्यक्रम की घोषणा



डॉ श्वेता दीप्ति (सम्पादकीय) हिमालिनी, अंक मई 2024। सरकार द्वारा आगामी वर्ष २०८१/८२ के लिए नीति एवं कार्यक्रम की घोषणा की गई है । वैसे देखा जाए तो इस वर्ष भी जो घोषणाएँ हुई हैं उनमें नया कहने के लिए बहुत कुछ नहीं है । हर साल आम जनता को लुभाने वाली सैकड़ों कार्यक्रमों की लगातार घोषणा की जाती रही है । जिनके कार्यान्वयन की आशा में ही वर्ष गुजर जाता है । एकबार फिर से सरकार नीतियों का पुलन्दा लेकर आई है । किन्तु इस घोषणा को अगर गहनता से देखा जाए तो स्पष्ट पता चलता है कि सरकार कोई मूल कार्यक्रम और विजन तैयार नहीं कर पाई है, इस बार भी इनमें वही मुद्दे शामिल हैं जो वर्षों से शामिल होते रहे हैं । वैसे एक अस्थिर सरकार से इससे अधिक की उम्मीद भी नहीं की जा सकती है । नीति एवं कार्यक्रम नये वित्तीय वर्ष के लिए तैयार किये जाने वाले बजट का दर्पण होता है । इसके आधार पर सरकार नए वित्तीय वर्ष का बजट तैयार करती है । अर्थात राष्ट्रपति पौडेल द्वारा सुनाई गई अधिकांश नीति और कार्यक्रम घोषणाएं अगले वित्तीय वर्ष २०८१/८२ के बजट में शामिल किए जाएंगे । घोषित नीतियों और कार्यक्रमों को देखते हुए इसमें कोई संदेह नहीं है कि आगामी बजट पिछले वर्षों की तरह लोकलुभावन होगा ।

मानव–मन की एक बहुत अच्छी विशेषता यह है कि, वह नाउम्मीदी में भी उम्मीद की किरण को तलाश कर लेता है । देश में जिस तरह से युवा शक्ति का पलायन जारी है, वह मन में नैराश्य की भावना जाग्रत करता है । बच्चे देश में रहना नहीं चाहते हैं क्योंकि उन्हें यहाँ अपना कोई भविष्य नहीं दिखता है । अच्छी नौकरी की तलाश हो या फिर मजदूरी की, या मजबूरी में दूसरे देश की सेना में भर्ती होने की विवशता, बस युवा हर हाल में बाहर जाना चाह रहे हैं । इस विषय को सरकार संबोधित तो नहीं कर पाई है किन्तु, आगामी वर्ष में अलग–अलग क्षेत्रों में १००० युवाओं को छात्रवृत्ति देने की घोषणा अवश्य की गई है । संघीय संसद की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल ने कहा कि सरकार अगले वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के माध्यम से युवा कार्यबल की क्षमता में वृद्धि करेगी । विभिन्न क्षेत्रों में एक हजार प्रतिभावान युवाओं को छात्रवृत्ति दिलाने की व्यवस्था की जायेगी । युवाओं को फेलोशिप प्रदान कर निजी क्षेत्र में उन्हें कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा । देखा जाए तो १००० की संख्या देश की व्यवस्था को देखते हुए बिल्कुल नगण्य है, फिर भी अगर इसे ईमानदारी से कार्यान्वित किया जाए तो कुछ सकारात्मक पहल दिख सकती है । इसी प्रकार, युवा जनशक्ति को संगठित करने और क्षमता बढ़ाने के लिए ‘राष्ट्र निर्माण में युवा स्वयंसेवक’ कार्यक्रम संचालित करने का भी नीति और कार्यक्रम में उल्लेख किया गया है । इतना ही नहीं सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष में कम से कम १,००० युवाओं को स्टार्टअप–आधारित व्यवसाय चलाने के लिए रियायती ऋण प्रदान करने की भी घोषणा की है । सरकार ने नीतियों और कार्यक्रमों के माध्यम से नवाचार आधारित व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए १००० युवाओं को स्टार्टअप व्यवसाय चलाने के लिए रियायती ऋण प्रदान करने की घोषणा की है । सरकार ने यह भी कहा है कि विदेशी रोजगार से लौटे युवा दलितों, महिलाओं और हाशिये पर रहने वाले समुदायों की उद्यमशीलता का विकास किया जाएगा । राष्ट्रपति पौडेल ने कहा कि सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष में १,००० छोटे घरेलू उद्यमियों को सब्सिडी और प्रौद्योगिकी प्रदान करने की नीति अपनाई है ।

कहने का तात्पर्य यह कि अगर सरकार की घोषणाओं पर यकीन करें तो कुछ बेहतर की संभावना नजर आती है । कृषि क्षेत्र के लिए भी सरकार ने घोषणा की है कि वित्तीय वर्ष २०८१/८२ को ‘कृषि में निवेश दशक’ घोषित किया जाएगा । कहा जा रहा है कि कृषि में निवेश दशक की घोषणा की जाएगी और सरकारी, निजी, सहकारी और विकास भागीदारों का निवेश बढ़ाया जाएगा और कृषि क्षेत्र के उत्पादन, उत्पादकता वृद्धि, आधुनिकीकरण, व्यावसायीकरण एवं विपणन का स्पष्ट रोडमैप तैयार कर क्रियान्वित किया जायेगा । उत्पादन से विपणन तक कृषि पारिस्थितिकी तंत्र सुधार कार्य योजना लागू की जाएगी और भूमि उपयोग आधारित कृषि प्रणाली विकसित की जाएगी ताकि कृषि, पशुपालन और वानिकी के बीच अंतरसंबंध स्पष्ट हो सके । सरकार की योजना फल नर्सरी और फल बागानों का बड़े पैमाने पर विस्तार करके पांच साल के भीतर देश को फलों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की है । कहा जा रहा है कि देश में टिश्यू कल्चर तकनीक से पौधे तैयार करने के लिए एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला स्थापित की जाएगी । ये दावे मन को भा रहे हैं किन्तु हकीकी तौर पर इसे कैसे और कब लागू किया जाएगा यह भविष्य के गर्भ में है । देश के युवा और देश की कृषि पर अगर सरकार ईमानदारी से ध्यान दे तो हालात अवश्य सकारात्मक होंगे ।

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