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तराई-मधेश में मोर्चाबन्दी : प्रतिगामी संशोधन मंजूर नहीं


२०८१ सावन ४ गतेः जनकपुरधाम ।
नेपाली काँग्रेस और नेकपा एमाले बीच हुई गठबन्धन और उन दोनों पार्टीयों के बीच राजनीतिक स्थायित्व और सरकार की स्थिरता के लिए संविधान संशोधन करने की सहमति की चर्चा से तराई-मधेश तरंगित हो गई है । नेपाली काँग्रेस और नेकपा एमाले के बीच हुई गठबन्धन को जसपा, जसपा नेपाल, लोसपा, जनमत, नाउपा ने समर्थन किया है । इससे तराई-मधेश के लोग अचम्भित और आक्रोश में हैं । संविधान संशोधन करने की जो बातें बाहर निकल कर आ रही है उसे मधेश के लोग अपने आन्दोलन और मुद्दों के विरुद्ध प्रतिगामी कारबाइ कि योजना के रुप में समझते है । मधेश के अन्य राजनीतिक दल ऐसे किसी भी प्रतिगामी कदम के विरुद्ध लड़ने की तैयारी कर रहे हैं और मोर्चाबन्दी सुरु कर दिया है । तराई-मधेश लोकतान्त्रिक पार्टी, मधेशी राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा,नेपाल तथा नेपाल सद्भावना पार्टी ने ‘संयुक्त मधेश संघर्ष समिति’ का गठन किया है जिसे संविधान सभा के सदस्य शीतल झा के नेतृत्व में नेकपा एकीकृत समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं का समर्थन है । इन नेताओं ने प्रतिनिधि सभा से समानुपातिक प्रतिनिधित्व हटाने, राष्ट्रिय सभा के स्वरुप और भूमिका परिवर्तित करने जैसी बातों का जम कर बिरोध किया है और अगर ऐसा हुआ तो संघर्ष छेड़ देने की चेतावनी दी है । उनका कहना है कि यह प्रस्ताव विभिन्न आन्दोलन और कठिन संघर्ष से प्राप्त मधेशी, थारु, दलित, मुस्लिम आदिवासी-जनजाति के अधिकारों को छिनने का षडयन्त्र है ।
आज जनकपुरधाम के जिल्ला समन्वय समिति के हल में तराई-मधेश लोकतान्त्रिक पार्टी, मधेशी राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा,नेपाल तथा नेपाल सद्भावना पार्टी द्वारा आयोजित प्रेस सम्मेलन में जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, – ‘राज्य के हरेक अंग में समावेशिता की सुनिश्चितता, लोकतन्त्र में समावेशी प्रतिनिधित्त्व के लिए पूर्ण समानुपातिक निर्वाचन पद्धति, प्रदेशों के सीमाङ्कन में पहिचान आधारित सुधार, सभी संस्कृति और भाषा का सम्मान और समान अधिकार सहित के विषयों पर वर्त्तमान संविधान में अग्रगामी संशोधन के लिए मधेशी, थारु, पिछड़ा वर्ग, दलित मुस्लिम आदिवासी-जनजाति मांग और संघर्ष करते आए हैं ।‘
विज्ञप्ति में आगे कहा गया है, -‘ नेपाली काँग्रेस और नेकपा एमाले का यह गठबन्धन स्थायित्त्व के नाम पर संविधान में संशोधन कर जनयुद्ध, संयुक्त जन आन्दोलन और मधेश आन्दोलन से प्राप्त उपलब्धियों को समाप्त कर एकात्मक शासन व्यवस्था लाने के लिए किया गया है । प्रतिनिधि सभा से समानुपातिक समावेशी प्रतिनिधित्त्व समाप्त करने, संघीय संसद में प्रदेश और स्थानीय तह के प्रतिनिधि सदन राष्ट्रिय सभा की वर्त्तमान भूमिका को खत्तम करने, अनुचित थ्रेसहोल्ड में और वृद्धि कर बहुदलीय लोकतन्त्र के वास्तविक स्वरुप को समाप्त कर द्विदलीय स्वरुप में ले जाने का षडयन्त्र स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है ।‘
तमलोपा के अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रीय सभा सदस्य वृषेशचन्द्र लाल, तमलोपा के वरिष्ठ नेता संविधान सभा सदस्य डा. विजय कुमार सिंह, पूर्व मन्त्री तथा मधेशी राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा,नेपाल के इन्चार्ज मातृका यादव, संयोजक जगत प्रसाद यादव, सहसंयोजक नन्दकिशोर यादव, नेपाल सद्भावना पार्टी के अध्यक्ष रामकुमार महतो, महासचिव पवन कुमार साह और एकीकृत समाजवादी के नेता संविधान सभा सदस्य शीतल झा हस्ताक्षरित प्रेस विज्ञप्ति में निर्वाचन पद्धति की वर्तमान विकृतियाँ को समाप्त करने के लिए और समानुपातिक समावेशी प्रतिनिधित्त्व की सुनिश्चितता हेतु प्रदेशों को निर्वाचन क्षेत्र मान कर प्रतिनिधि सभा का चुनाव पूर्ण समानुपातिक पद्धति से करने तथा संघीय संरचना में प्रादेशिक स्वशासन को सुदृढ करने हेतु प्रादेशिक राजनीतिक दलों का संवैधानिक प्रावधान का भी मांग किया गया है ।
विज्ञप्ति में नेपाल के जनता द्वारा जन-आन्दोलन, जनयुद्ध, मधेश आन्दोलन मार्फत अभिव्यक्त आकांक्षाओं के विरुद्ध किसी भी उल्टी संशोधन के दुष्प्रयास के विरुद्ध कडा संघर्ष की चेतावनी दी गई है ।
नव गठित संयुक्त मधेश संघर्ष समिति ने सभी पहिचानवादी संघीयतावादीयों की एकजूटता का अपील करते हुए २०८१ श्रावण २६ गते जनकपुरधाम में बृहत अन्तरक्रिया कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है ।

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