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इस बार का मेरा भारत भ्रमण ऐतिहासिक महत्व का है। नेपाल इस समय मुख्य रूप से राजनीतिक संक्रमण से गुजर रहा है। हमने विगत के ६० से सामन्तवादी निरंकुशता तथा राजतंत्र के विरूद्ध और सामाजिक आर्थिक रूपान्तर के लिए संर्घष् किया। ये संर्घष् कभी शान्तिपर्ण् रहा तो हिंसात्मक। लेकिन जिस प्रकार का संर्घष्ा होने पर लक्ष्य एकमात्र था सामन्तवादी निरंकशता और राजतंत्र का अन्त और राज्य तथा समाज का प्रजातांत्रिकरण करना ही था। इसी लक्ष्य के साथ सन २००६ में मुख्य राजनीतिक माओवादी और परम्परावादी संसदीय दलों के बीच महत्वपर्ूण्ा सहमति हर्ुइ थी। यह सहमति संविधान सभा से राजतंत्र को अन्त कर प्रजातंत्र को संस्थागत करने के लिए किया गया था।
शान्ति, संविधान और भारत
हम राजतंत्र का अन्त करने में सफल हुए और नएं प्रजातांत्रिक युग में प्रवेश किया। इस समय संविधान सभा से प्राप्त उपलब्धि को संस्थागत करने और सामाजिक आर्थिक रूपान्तरण के साथ ही राज्य की संघीय पर्ुनर्संरचना करने की प्रक्रिया में हैं। माओवादी और तत्कालीन सरकार के बीच सन २००६ में हुए वृहत शान्ति समझौता के अनुसार अभी हम सेना समायोजन सहित शान्ति प्रक्रिया के अन्य महत्वपर्ूण्ा विषयों को पूरा करने का प्रयास कर रहे है। इसके साथ ही हम संविधान सभा से संविधान लिखने के काम को भी पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। यह सब प्रक्रिया पूरा होने के बाद ही अब तक के प्राप्त उपलब्धियों को संस्थागत किया जा सकता है और हम विकास तथा परिवर्तन सहित नेपाल में प्रजातंत्र के नए युग में प्रवेश कर सकते हैं।
इन सभी प्रक्रिया में भारत की भूमिका अत्यन्त ही महत्वपर्ूण्ा है। नेपाल और भारत के बीच अद्वितीय संबंध है। नेपाल दो बडे देश भारत और चीन के बीच में है। और खास कर भारत से तीन दिशाओं से हमारी सीमा जुडी हर्ुइ है। खुली सीमा होने की वजह से भी भौगोलिक रूप से हम तीन तरफ से भारत से घिरे हुए हैं। हमारी अधिकांश आर्थिक और सामाजिक सम्बंध भारत से ही जुडा हुआ है। हमारे वाषिर्क व्यापार का दो तिहाई हिस्सा भारत के साथ ही होता है जबकि चीन के साथ सिर्फदस प्रतिशत होता है। भारत के साथ इस ऐतिहासिक झुकाव का कारण भी हमारा द्विपक्षीय संबंध अद्वितीय है। एक बात क्या है कि जहां अधिक संबंधों में निकटता होती है और अधिक सामीप्यता होती है समस्या और तनाव भी वहीं पर अधिक उत्पन्न होता है। इस समय नेपाल और भारत के बीच के संबंधों में विभिन्न विषयों पर कुछ भ्रम होने के साथ सोच में भी अन्तर है। इनमें से कुछ सही भी हो सकता है तो कुछ गलत भी ।
भारत ने नेपाल की शान्ति और प्रजातंत्र की पर्ुनर्बहाली में से लेकर संक्रमणकालीन अवस्था में सकारात्मक भूमिका अदा की है जिसकी शायद कोई भी तुलना नहीं की जा सकती है। नेपाल में इस समय जारी शान्ति प्रक्रिया और संविधान निर्माण के काम में भी भारत की अत्यन्त ही महत्वपर्ूण्ा भूमिका है। मेरे भारत भ्रमण के दौरान इन विषयों पर भी खुल कर चर्चा होने के अलावा इसका असर भी नेपाल पर पडने की संभावना है। यद्यपि नेपाल की शान्ति प्रक्रिया के सूत्रधार नेपाल के ही राजनीतिक दल हैं तथापि इसकी सफलता के लिए भारत सहित अन्य अर्न्तर्राष्ट्रीय समुदाय की सदासयता काफी अहम मायने रखता है।
सुरक्षा र विकास
नेपाल और भारत दोनों देशों के लिए महत्वपर्ूण्ा द्विपक्षीय विषय राजनीति और सुरक्षा से संबंधित है। हिमालय की गोद में बसा हमारा सुंदर देश नेपाल एशिया के दो बडी महाशक्तियों की सीमा से जुडा हुआ है। इसलिए भी भूराजनीतिक यथार्थ को भी हमें ध्यान देना होगा। हमारे पडोसी देशों को हमारी राजनीति और सुरक्षा सम्बंधी चिंता होना जायज है। इसमें नेपाल भी साझा हितों पर ध्यान दे रहा है। नेपाल के पडोसी देशों के विरूद्ध होने वाली किसी भी प्रकार की गतिविधि को रोकने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। हम अपनी भूमि से किसी भी पडोसी देश के विरूद्ध प्रयोग नहीं होने देंगे।
दूसरा मुख्य विषय आर्थिक विकास और साधन श्रोत का विकास है। अभी तक वर्तमान में विश्व के हर देश का अर्थतंत्र दूसरे देश के साथ अन्तर संबंध रखता है। यदि हमे समृद्ध बनना है तो इसके लिए दूसरे देशों के साथ खासकर पडोसी के साथ सहकार्य करना ही होगा। पडोसी देश की गरीबी और पिछडेपन का असर दूसरे पडोसी देश पर अवश्य ही पडता है।
भारत और चीन तीव्र आर्थिक विकास की गति से आगे बढ रहा है। इस तरह दो तीव्र रूप से आर्थिक विकास कर रहे देशों के बीच में रहा नेपाल भी पिछडा और अविकसित होकर नहीं रह सकता है। इसलिए हम दोनों पडोसी देश खासकर भारत के साथ सहकार्य कर आगे बढना चाहते हैं। हमें नेपाल और भारत के साझा फायदों के लिए आर्थिक सहकार्य क्षेत्र पता लगाना आवश्यक है। इनमें से एक क्षेत्र ऐसा है जिससे दोनों देशों को फायदा पहुंच सकता है और वह क्षेत्र है जलश्रोत का उपयोग । दूसरा नेपाल में विदेशी निवेश को लाना है और इस बार भ्रमण का सबसे महत्व्पर्ूण्ा अंग भारतीय उद्योगपतियों को नेपाल में निवेश के लिए आकषिर्त करना है। इसके लिए हमने निवेशकों की सुरक्षा को उच्च प्राथमिकता में रखा है और भारत के साथ बीपा समझौता करना प्रमुख एजेण्डा है। वैसे दोनों देशों के बीच अभी असंतुलित व्यापार है। भारत के साथ हमारा व्यापार घाटा उच्च है। आयात निर्यात का अनुपात ७ः१ का है जो कि चिन्ताजनक है।
व्यक्तिगत रूप में कहना पडे तो मैंने भारत में अध्ययन करने का अवसर पाया और मेरी रूचि का क्षेत्र आर्थिक विकास है। इसलिए भी भारत के साथ मेरे संबंधों को मैंने द्विपक्षीय संबंध विकास और आर्थिक हित के लिए प्रयोग करने का मन बनाया है। यदि नेपाल तीव्र गति में विकास कर सका तो भारत के साथ विकास साझेदार भी बन सकता है। भारत के लिए भी विकसित नेपाल उसकी सुरक्षा के लिए उपयुक्त है। क्योंकि विकास, शान्ति और स्थिरता होने पर ही सुरक्षा संभव है। सुरक्षा की चिंता को अलग कर नहीं देखा जा सकता है। इसको समग्रता में ही देखा जाना चाहिए। सुरक्षा और आर्थिक विकास के साथ साथ देखना आवश्यक है।
विश्वास र सद्भाव
मेरा भारत भ्रमण नेपाल और भारत दोनों देशों और दोनों देशों की जनता के बीच का सुमधुर संबंध के विकास में केन्द्रित है। इसलिए इस भ्रमण को सद्भावना भ्रमण के रूप में ही देखा जाना चाहिए। इसके लिए मेरे समकक्षी से खुले रूप से बातचीत होगी। २०वीं शताब्दी विकसित संबंध और होने वाले समझौता को अभी २१वीं शताब्दी की आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम नहीं होगा। इसलिए इस संबंध में रहे भ्रम तथा मतभेदों को हटाने की बात पर जोड दिया। बेलायती उपनिवेश काल में दक्षिण एशिया के देशों के बीच संबंधों में खटास आई थी लेकिन अब इस समय संबंधों को और मजबूत करने का समय है। पुराने विवादों को त्याग कर नेपाल भी आगे बढना चाहता है और इसलिए सहकार्य का वातावरण सिर्जना करना है।
अभी कुछ महत्वपर्ूण्ा राजनीतिक विषय है जिन पर बातचीत होना आवश्यक है। हम इसके लिए स्वतंत्र रूप से और खुले रूप से चर्चा करने और उस चर्चा को भविष्य में भी निरन्तरता दिया जा सकता है। मुख्य बात यहां की सरकार और जनता के बीच विश्वास का वातावरण बनाना है। जब विश्वास का वातावरण बनेगा और हम गम्भीर होंगे तब जाकर कठिन से कठिन विषय भी सहजता के साथ समाधान किया जा सकता है।
एक नयां युग
इस पूरे भ्रमण के दौरान सभी विषय पर मैत्रीपर्ूण्ा वातावरण में बातचीत करने के पक्ष में हूं। मेरे भ्रमण के दौरान सरकार के अलावा नागरिक समाज, मीडिया और बुद्धिजीवी वर्ग के साथ भी बातचीत होगी। दिल्ली के साथ मेरे पुराने संबंध के कारण उसको ताजगी देने का मौका भी मिलेगा। मैं एक बात में आश्वस्त हूं कि मेरे भारत भ्रमण से हमारे द्विपक्षीय संबंढों को नए युग में प्रवेश करने की चाह पूरा होने वाली है। हमारा द्विपक्षीय संबंधों जिस मजबूत विकास के दायरों पर आधारित होने वाला है उससे शान्ति और समृद्धि आना निश्चित है।
मेरा सपना नेपाल में समावेशी प्रजातंत्र स्थाई शान्ति और समृद्धि स्थापना करना हैं । नेपाल के सभी दक्षिण एशिया के देशों के बीच अच्छे संबंधों का विकास के लिए प्रयास करना होगा। नेपाल और भारत के बीच पडोसी देशों के बीच के सहकार्य का एक नायाब उदाहरण के रूप आगे बढाना होगा। मेरे भ्रमण के बाद नेपाल और भारत के विभिन्न परम्परागत आशंका और विवाद का समाधान होने और २१वीं शताब्दी के विकास के लिए उन्नत साझेदारी का आधारशिला के रूप में तैयार होने के प्रति मैं पर्ूण्ा रूप से विश्वस्त हूं। ±±±
-भारत भ्रमण के दौरान विभिन्न भारतीय अखबारों में प्रकाशित लेख का अनुवाद)



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