विभाजन की ओर माओवादी
ज्योति पाठक
मार्च के अंतिम सप्ताह में माओवादी पार्टर् विभाजन का हो हल्ला खुब जोर शोर से चला । विभाजन का समाचार एसएमएस के द्वारा र्यकर्ताओं के बीच तेजी से फैला । कुछ बडे नेता भी विभाजन पर चर्चा करते सुने गए । यहाँ तक की प्रचण्ड ने अपने निकट के विश्वस्त सहयोगियों को बुलाकर इस पर चर्चा भी की । र्सार्वजनिक रुप से ही प्रचण्ड ने पार्टर्ीीवभाजन के षड्यन्त्र होने का बयान देकर खलबली मचा दी । इशारों-इशारों में प्रचण्ड ने बाबूराम भट्टर्राई पर पार्टर् विभाजन लाने का अरोप लगाया था । प्रचण्ड के आरोप पर भट्टर्राई भी कहाँ रुकने वाले थे । गोरखा मंे रहे भट्टर्राई ने भी तुरंत मीडिया के मार्फ प्रचण्ड के आरोप का करारा जवाब देते हुए प्रचण्ड पर विभाजन की नींव रखने और इसके लिए वातावरण बनाने का आरोप जडÞ डाला ।
इन दिनों पार्टर्ीीें अंतरसंर्घष्ा इस कदर व्याप्त हो गया है कि उसका सीधा असर वर्तमान सरकार से लेकर पार्टर्ीीे भातृ संगठनों पर भी देखने को मिल रहा है । पार्टर्ीीे शर्ीष्ा नेतृत्व के बीच चल रही तनातनी इस कदर बढÞ गई है कि मजदूर संगठन तीन टुकडÞो में बँट गया । नेताओं के बीच विवाद इतना गहरा गया है कि पार्टर्ीीे फण्ड से चलने वाली मीडिया बंद करना पडÞा । तीन शर्ीष्ा नेताओं के बीच कडÞवाहट इतनी अधिक बढÞ गई है कि दूसरे के प्रभाव वाले क्षेत्रों में अपने ही कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध का सामना करना पडÞ रहा है ।
ज्ानकारों का मानना है कि पार्टर्ीीे मजदूर संगठन में आए विभाजन ने पार्टर्ीीें भी विभाजन की नींव रख दी है । पार्टर्ीीध्यक्ष प्रचण्ड ने अपने सिपहसालारों को नयाँ बजार स्थित निवास में बुलाकर भट्टर्राई द्वारा पार्टर्ीीें विभाजन लाने के बारे में चर्चा की । प्रचण्ड से काफी निकट रहे एक नेता के मुताबिक प्रचण्ड ने उस गोप्य बैठक में साफ कह दिया है कि इस तरह से वो पार्टर्ीीहीं चला सकते हैं । प्रचण्ड के ही शब्दों में ‘अब समझौता कर पार्टर्ीीहीं चला सकता । अगर किसी को अलग होकर नई पार्टर्ीीनानी है तो जल्दी बनाए । मुझे पक्की खबर है कि पार्टर्ीीें विभाजन की पूरी तैयारी कर ली गई है । पार्टर्ीीें विभाजन होने पर ८ से १० प्रतिशत तक नुकसान होगा । में रिकवर कर लूँगा ।’ चैत्र ११ गते केन्द्रीय परिचालन ब्यूरो में आए विवाद, पार्टर्ीीवभाजन की हल्ला के बाद प्रचण्ड से मिलने गए कुछ युवा नेताओं ने प्रचण्ड से इस तरह की बात की अपेक्षा नहीं की थी । इस टोली में भट्टर्राई निकट माने जाने वाले देवन्द्र पौडेल के तरफ संकेत करते हुए प्रचण्ड ने सीधा प्रश्न किया कि क्यों आप लोग पार्टर्ीीवभाजन की तैयारी में लगे है – प्रचण्ड के इस प्रश्न पर पौडेल चकित रह गए थे ।
फूट की नीति पर प्रचण्ड
प्रचण्ड का एक खास स्वभाव है । पार्टर्ीीे नेताओं के बीच फूट डालकर वो हमेशा अपनी स्थिति को मजबूत करने में लगे रहते हैं । जब उन्हें भट्टर्राई से खतरा महसूस होने लगा तो मोहन वैद्य को अपने पक्ष में मिलाना, जब वैद्य से खतरा होने लगता तो भट्टर्राई के पास उनकी बुर्राई करना, जब रामबहादुर थापा और नेत्र विक्रम चन्द ने प्रचण्ड का विरोध किया तो वैद्य और भट्टर्राई दोनों को अपने पक्ष में कर अपना उल्लु सीधा करते गए । इस समय भी प्रचण्ड अपने निकटस्थ नेताओं के माध्यम से भट्टर्राई और वैद्य पर पार्टर्ीीवभाजन का आरोप लगाते हुए यह अफवाह फैला रहे हैं । माओवादी के कुछ नेताओं का मानना है कि दरअसल प्रचण्ड ही पार्टर्ीीें विभाजन करने का दुष्प्रयास कर रहे हैं । पार्टर्ीीनकट सूत्रों के मुताबिक पार्टर्ीीें विभाजन की बात लगभग तय हो जाने के बाद अपने विरोधी नेताओं तथा अन्य भातृ संगठनों पर नजर रखने के लिए प्रचण्ड ने अपने कुछ खास सहयोगियों को मिशन पर लगाया है । यह जिम्मेवारी वर्षान पुन अनन्त, जनार्दन शर्मा प्रभाकर, झक्कु सुवेदी, शालिकराम जमकट्टेल, चन्द्र कुमार थापा सागर जैसे विश्वस्त नेताओं को सौंपी गई है ।
इतना ही नहीं प्रचण्ड ने अब बाबुराम भट्टर्राई और मोहन वैद्य के निकट माने जाने वाले कुछ नेताओं में भी आपसी फूट डालने का प्रयास किया और बहुत हद तक सफल भी रहे । मोहन वैद्य किरण के मन में भट्टर्राई के प्रति विद्वेष लाने के लिए किरण के नजदीकी माने जाने वाले नेता देव गुरुङ को भट्टर्राई के निकट रहे नेत्र विक्रम चन्द विप्लव के खिलाफ कान भरी । सरकार में गृहमंत्री को लेकर माओवादी के भीतर काफी गहमा गहमी चली । मोहन वैद्य के कडेÞ विरोध के बाद वर्षान पुन को गृहमंत्री ना बनाए जाने के कारण बौखलाए प्रचण्ड ने किरण निकट गुरुंग को बुलाकर भट्टर्राई व उनके निकट रहे विप्लव पर यह आरोप लगाया है कि उन्होंने गुरुंग को गृहमंत्री ना बनने देने का दबाव बनाया । इतना ही नहीं प्रचण्ड ने जनस्वयंसेवक ब्यूरो को अपने नियंत्रण में लेने, पार्टर्ीीवभाजन के लिए मजदूर संगठन में विभाजन करने का षडयंत्र कर रहे हैं । इसके साथ ही वाईसीएल का भी विभाजन करने का आरोप विप्लव पर लगाया ।
प्रचण्ड के इन सभी बात, विचार व व्यवहार से यह स्पष्ट है कि वो पार्टर्ीीें विभाजन लाने की पूरी तैयारी कर चुके हैं । माओवादी के कुछ बडÞे नेताओं का मानना है कि प्रचण्ड पार्टर्ीीे भीतर ऐसा वातावरण बना देंगे, जिससे असंतुष्ट नेता अलग पार्टर्ीीोलने को मजबूर हो जाएँगे । और प्रचण्ड यह कहेंगे कि मैं तो व्रि्रोह की बात कर रहा था लेकिन भट्टर्राई और वैद्य ने पार्टर्ीीे विभाजन लाकर व्रि्रोह को विफल कर दिया, मैं क्या करुँ । अपनी गलती अपने षडयंत्र को वो दूसरो पर थोप देंगे । जैसा कि वो हमेशा से करते आ रहे हैं ।
पार्टर्ीीनकट मजदूर संगठन में विभाजन होना, पार्टर्ीीे तरफ से सरकार में शामिल होने वाले मंत्रियों के नाम पर निर्ण्र्ााना ले पाना, भट्टर्राई के र्सार्वजनिक कार्यक्रम का विरोध होना, लम्बे समय तक पार्टर्ीीी केन्द्रीय स्तर की बैठक ना होना, खुलेआम एक दूसरे नेता पर पार्टर्ीीmोडÞने के षड्यन्त्र का आरोप लगाना, इन सब कारणों से यह तो तय है कि निकट भविष्य में ही माओवादी में विभाजन आना तय हो गया है । ऊपर से विवाद को सुलझाने के लिए भट्टर्राई और मोहन वैद्य द्वारा प्रचण्ड को कई बार समझाया गया कि इस पर गंभीर चर्चा होनी चाहिए लेकिन प्रचण्ड को जैसे कि इससे कोई मतलब ही नहीं है । विवाद को सुलझाने के बजाए वो वैद्य और भट्टर्राई पक्षधर नेताओं को अपने खेमे में मिलाने के लिए सारी तिकडÞम कर रहे हैं ।