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चीन का प्रधानमन्त्री बेन जिआबाओ दिसम्ब के तीसे सप्ताह में काठमांडू आ हे हैं। उनके नेपाल भ्रमण के दौरान दोनों देशों के पस् प हित से जुडे विषयों प बातचीत होगें ही कतिपय अन्य विषय प भी विचा विमर्श होने की सम्भावना है।
चीन का प्रधानमन्त्री का नेपाल आना तय है, पन्तु उस समय अर्थात दिसम्ब के तीसे सप्ताह में नेपाल के प्रधानमन्त्री कौन होंगे यह कहना मुश्किल है। क्योंकि नेपाल में जनीतिक अस् िथता बका है यह कहना मुश्किल है कि डा. बाबुराम भर्ट्टाई ही नेपाल के प्रधानमन्त्री के पद प बने होंगे। वैसे नेपाल की माओवादी कम्युनिष्ट पार्टर्ीीबसे ाष्ट्रीय ाजनीति में आई है, तभी से चीनी अधिकायि का नेपाल  भ्रमण जा हे। विगत के दिनों की चर्चा न कें तो भी पिछले दो तीन महिनों से यह क्रम कम नहीं है।
चीन की कम्युनिष्ट पार्टर्ीीे पोलिटव्यूो सदस् य औ बीजीङ मुनिसिपल कमिटी के सचिव ली क्यू नोभेम्ब के प्रथम सप्ताह मे बीस सदस् यों की जम्बो टोली के साथ नेपाल आए। ये टोली लुम्बिनी, काठमांडू औ पोखा का भ्रमण किया। चीन से जो भी अधिकाी नेपाल आते हैं, उनका यही कहना होता है कि नेपाली की मिट्टी से चीन विोधी गतिविधि ना हो तथा नेपाल प आनेवाले किसी भी खते से मुकाबला के लिए चीन नेपाल को आवश्यक सहयोग कने को चीन तैया है। नेपाल  आनेवाले ह चीनी अधिकाी इस बात को दुहाते हैं। जबकि नेपाल के ऊप किसी भी तह का बाहृय खता नहीं है अग है भी तो एभेष्ट सुक्षित नहीं है।
सन् १९९६ में चीन के प्रधानमन्त्री जीआंग जेमीन नेपाल आए थे। उसके बाद सन् २००१ में झु ोंग जी नेपाल आए उसके वाद से चीन को कोई भी प्रधानमन्त्री नेपाल नहीं आए। जाहि है नेपाल उनके आगमन को सफल बनाने की पूी कोशिश केगा। चीन के प्रधानमन्त्री का भ्रमण सफल बनाने के लिए एवं आवश्यक तैयाी हेतु चीन की जनमुक्ति सेना के मिलिटी कमिशन का नेपाल भ्रमण औ नेपाल के विदेश मन्त्री एवं उपप्रधानमन्त्री नाायणकाजी श्रेष्ठ चीन भ्रमण किया।
ली क्यू के भ्रमण के दौान ाजधानी के कलंकी में कन्फयुसियस शिक्षा केन्द्र के शाखा कार्यालय का उद्घाटन हुआ। इस शाखा को वीजिंग स् िथत केन्द्रीय कार्यालय आवश्यक सहयोग मुहैया काएगा। कन्फ्युसियस चीन के दार्शनिक थे, उनके विचा उत्तम हैं, पन्तु चीन उनके नाम प जो संस् था खोल हा है – शायद उस का उद्देश्य कन्फ्युसियस जैसा पवित्र औ विबादहित नहीं है। कन्फ्युसियस शिक्षा केन्द्र के एक शाखा का उद्घाटन पर्ूर्वी नेपाल ताई के धान में भी खुल चुका है। चाईना स् टडी सेन्ट के पूक के रुप में इसे खोला गया है।
नभेम्ब के ही दूसे सप्ताहान्त में काठमांडू में चाईना स् टडी सेन्ट के द्वाा एक संगोष्ठी आयोजित हुआ, जिसका विषय था, ‘नेपाल चीन सम्बन्ध’ संगोष्ठी के मुख्य अतिथि थे, दोंग म्यानुआन जो कि चीन के विदेश मन्त्रालय के थींक टैंक माने जाने वाले संस् था चाइना इस् टीच्यूट अफ इन्टनेशनल के स् टडीज के भिजिटिंग प्रोफेस है। उन्होंने अपने सम्बोधन में भले ही पञ्चशील का जीक्र किया औ कहा कि नेपाल एवं चीन का सम्बन्ध समानता औ विश्वास प आधाति है  तथा चीन के साथ का सम्बन्ध नेपाल के लिए अवसों से भा है, पन्तु यथार्थ में अवस नेपाल को नहीं चीन को प्राप्त हो हा है।
बेन जिआबाओ के नेपाल भ्रमण से चीन नेपाल प दवाब बनाने का प्रयास केगा कि तिब्बती शणार्थियों प किसी तह का नमी न बता जाय तथा नेपाल की मिट्टी से उन्हें कोई पर््रदर्शन या भूमिका नहीं कने दिया जाए। बेन जिआबाओ के समक्ष नेपाल के व्यापाी एवं उद्यमी यह प्रयास जरु केंगे कि चीन के साथ के द्विपक्षीय व्यापा में नेपाल जो व्यापा घाटा भूगत हा है, उसमें कमी आए क्योंकि नेपाल एकतफा रुप में व्यापा घाटा भुगत हा है। खासा तातो पानी नाका प चीनी सुक्षाकर्मी वेबजह नेपाली व्यापाी को प्रताडित कते है। इसके अलावे सडÞक एवं ेल यातायात जैसे विषय भी चर्चा में आऐंगे। वहीं बेन जिआबाओं लुम्बिनी विकास के नाम प अपनी महानता साबित कने का प्रयास केंगे। अग चीन की ओ से एभेष्ट की उँचाई, सुपर्ुदगी सन्धि जैसा प्रस् ताव आए तो आर्श्चर्य नहीं। बेन जिआबाओं काठमांडू में आक युोपेली संघ, अमेकिा औ चीन को यह सन्देश देना चाहेंगे कि नेपाल के ऊप औ खास कके तिब्बत के मामलों में किसी का भी किसी तह का दखल अन्दाजी चीन को पहेज नहीं हो सकता। बेन जिआबाओं का नेपाल भ्रमण काफी महत्व खता है। चीन, नेपाल, तिब्बत औ इस क्षेत्र के लिए भी चीन-नेपाल के जए िर्सार्क में पाँव फैलाने एवं मुख्ता बनने का सोच भी खता है।





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