कृष्णनगर में पुनः बन्दी हुआ शख्त, आज ही होगा बन्दी का स्वरुप निर्धारण
सतेन्द्र कुमार मिश्र,, कपिलबस्तु — १६, अक्टूबर,
कपिलबस्तु के क्षेत्र नं.५ कृष्णनगर में संयुक्त लोकतान्त्रिक मधेशी मोर्चा ने कल्ह मशाल जुलूश निकाला था । कृष्णनगर में आन्दोलन शुरु हुए आज ६५ दिन बीत चुके हैं । स्थानीय जनता, ब्यापारीवर्ग एवं यातायात व्यवसायीयों के बारम्बार अनुरोध एवं त्योहारों को मद्देनजर करते हुए संयुक्त लोकतान्त्रिक मधेशी मोर्चा ने करिब एक हप्ते से बन्दी को हटा दिया था । जिसको आज से पुनः निरन्तरता देने के लिए कल्ह मशाल जुलूश निकाला गया था । साथ ही बन्दी के स्वरुप के बारे में आज उद्योग बाणिज्य संघ में बैठक किए जाने की बात भी मोर्चा ने बतायी है ।
मशाल जुलूश कृष्णनगर विनोद मिष्ठान्न से निकलकर गोलघर, दुर्गा मन्दिर, भन्सार शिव मन्दिर काली मन्दिर होते हुए गोलघर पर पहुंचकर पुनः कोणसभा में परिणत हो गया । मशाल जुलूश मधेश बिरोधी संबिधान खारेज कर, केपी शर्मा ओली मुर्दाबाद, शुसील कोईराला मुर्दाबाद, प्रचण्ड मुर्दाबाद, मधेशी मांग पूरा कर, हमसे जो टकराएगा चूर—चूर हो जाएगा जैसे नारों की गूंजो के साथ गोलघर पर पहुंची थी । जुलूश में तराई मधेश लोकतान्त्रिक पार्टी के केन्द्रिय सदस्य एवं पूर्वमन्त्री ईश्वर दयाल मिश्र, सद्भावना पार्टी के केन्द्रिय सदस्य रविदत्त मिश्र, सद्भावना के नेता राम प्रकाश चौधरी, समाजसेवी एवं युवा नेता दीपक शुक्ला, दिनेश चन्द्र गुप्ता, राहुत सिंह, जीतेन्द्र उपाध्याय लगायत हजारों लोगों की तादात में लोग उपस्थित थे ।
सद्भावना के केन्द्रिय सदस्य रविदत्त मिश्र ने कोण सभा में उपस्थित संयुक्त लोकतान्त्रिक मधेशी मोर्चा के नेतागण एवं कार्यकर्ता, युवा वर्ग, व्यापारी वर्ग एवं समस्त सज्जन बृन्द को क्रान्तिकारी अभिवादन (जय मातृभूमि) करते हुए कहा कि,“ढाई सौ सालों से नेपाल सरकार के द्वारा बन्दूक की नोकों के बलबूते पर मधेश को उपनिवेश बनाया गया है । जिससे निजात पाने के लिए हमने यह आन्दोलन का रास्ता चुना है । ७० सालों से जो हम लोगों ने सपना सजाकर रखा था कि जनता का संबिधान बनेगा, सबके हक अधिकारसहित का संबिधान बनेगा । उसे इन खस मानसिकता के लोगों ने चूर—चूर कर दिया है । यह आन्दोलन हम लोगों का शौक नही है अपितु बडे दुख के साथ हमें अपने अधिकार, सम्मान और स्वाभीमान तथा मधेशी भूमि की अस्मिता बचाने के लिए करना पड रहा है ।”
साथ ही उन्होने कहा कि,“ खस, जनजाती एवं मधेशी समुदाय के इस देश में खसबादी शासक खस एवं साम्प्रदायिक मानसिकता से ग्रसित होकर देश में अपना अधिपत्य कायम करने की निराधार कोशिस कर रहे हैं । संबिधान जारी होनेपर पहाडो में लोग खुशियाली मना रहे थे तो वहीं मधेशवासी मधेशी शहीदों की चिता जला रहे थे । नेपाल के आधे से अधिक आवाम ने उसी दिन काला दिवस मनाते हुए ब्लैक आउट भी किया था । ऐसा संबिधान भला जनता के लिए कैसे हो सकता है ? अगर है तो, यह केपी शर्मा ओली, माधव नेपाल, शुसील कोईराला, प्रचण्ड जैसे खसबादी शासकों के लिए है यह संबिधान । जो हरगिज हम लोगों को स्वीकार्य नही होगा ।” साथ ही उन्होने क्रान्तिपथ बहोत ही दुर्गम होने की बात को दर्शाते हुए अपने पथ से कभी भी पीछे न हटने की प्रतिबद्धता भी जाहिर की ।
सम्बोधन के दौरान ही तराई मधेश लोकतान्त्रिक पार्टी के केन्द्रिय सदस्य एवं पूर्व मन्त्रि ईश्वर दयाल मिश्र ने कहा कि,“स्थानीय जनता, व्यापारी तथा उद्योग व्यवसायियों के कहे जाने तथा त्योहारों को मद्देनजर करते हुए हम लोगों ने जो बन्दी और नाकाबन्दी खोलने तथा यातायात चलाने को निर्णय लिया, वह मधेशी जनता, मधेशी भूमि तथा मधेशी शहिदों के शव के साथ बहोत बडी गद्दारी थी । जिसके वजह से मोर्चा के सन्दर्भ में कई तरह की अफवाहें भी सुनने में आ रही हैं, जोकि निर्मूल हैं । यह निर्णय हम लोगों ने स्थानीय जनता के बारम्बार आग्रह, सुबिधा एवं त्योहारों को देखते हुए लिया था ।”
इतना कहते हुए मिश्र ने कहा कि,“जब मधेशी समुदाय तीन शीखण्डी दलों से नही डरी तो भला, अब के दो शीखण्डी दलों से क्या डरेगी ? आन्दोलन हमारा कर्म और धर्म है । मधेश उपनिवेशिता हम खत्म करके ही रहेंगे । इसके लिए हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तत्पर रहेंगे ।”
खुले मञ्च से ही पूर्व मन्त्री मिश्र ने सभी व्यापारी एवं स्थानीय लोगों को कल उद्योग बाणिज्य संघ में अपने सुझाव, सलाह रखने के लिए आहवान करते हुए, जारी मधेश आन्दोलन में सहयोग करने का आग्रह भी किया ।