सुनामी ने जापान में भारी तबाही मचाई
उज्ज्वलकुमार झा
प्रकृति सबकी देखभाल अपने बच्चों की तरह करती है । लेकिन यह अपने विध्वंसक रुप में आ जाए तो परिणाम कितना भयानक हो सकता है, यह वही जान सकता जो ११ मार्च २०११ को जापान में उपस्थित था और खासकर उसके तटीय इलाकों में । किसी तरह तकनीक के शहरों दुनिया भर में राज करने वाले देश को प्रकृति ने अपनी मार के आगे झुका दिया यह पूरी धरती ने देखा । मौत और विनाश की ऐसी लीला पिछले कई सौ सालों में जापान ने तो क्या दुनिया ने भी नहीं देखा था । यूँ तो जापान को सुनामी और भूकंप का देश माना ही जाता है क्योंकि हर चार या पाँच साल में एक ना एक बार जापान को प्राकृतिक आपदा का सामना करना ही पडÞता है । जापान अपनी तकनीक और कार्यकुशल के लिए हमेशा से ही दुनिया में अव्वल रहा है लेकिन जब बात प्रकृति से लडÞने की आती है तो वह बुहत लाचार दिखता है, लेकिन हमें यहाँ जापान की आपदा प्रबंधन की तारीफ भी करनी होगी जो उसने इस प्रलय के पल भर में ही अपने आप को संभालना शुरु कर दिया और दुनिया के सामने एक उदाहरण रखा कि कैसे आग लगने से पहले ही कूँआ खोदना बेहतर होता है । उगते सूरज के देश में कुदरत का कहर बरपा । शक्तिशाली भूकंप और उसके बाद आई विनाशकारी सुनामी ने जापान में भारी तबाही मचाई है । रिक्टर पैमाने पर ८. तीव्रता वाले भूकंप का केंद्र देश के उत्तरपर्ूर्वी तट से १२५ किमी दूर प्रशांत महासागर में १० किमी की गहर्राई में स्थित था । देश में पिछले १४० साल में आया यह सबसे भीषण भूकंप है । इसके असर से समुद्र में ३० फीट से ज्यादा ऊंची लहरें उठीं । इन लहरों में मकान, जहाज, कार, और बस खिलौनों की तरह बहे जा रहे थे । इस विनाशलीला में सैकडÞों लोगों के मारे जाने की आशंका है ।
भूकंप के कारण पैदा हर्ुइ सुनामी लहरों के सैलाब ने जापान के मियागी और फुकुशिमा क्षेत्रों में खेतों, रिहायशी इलाकों को जलमग्न कर दिया । मियागी के तटीय शहर सेर्ंदई में सैलाब ने कहर ढÞाया । संर्ेदई एयरपोर्ट लहरों में डूब गया । भूकंप के कारण जापान के पाँच परमाणु संयंत्र स्वतः बंद हो गए । परमाणु आपातकाल लागू किया गया है । उडÞानें रोक दी गई हैं, बुलेट भी रुक गई । सुनामी से मियागी की राजधानी सेर्ंदई पूरी तरह तबाह हो गया है और सुनआ में भयंकर आग लगी । दो प्रांत मिगा और फुकुशिया में जबर्दस्त बर्बादी हर्ुइ है । यह सब कुछ इस कदर हुआ कि लोगों के पास संभलने का मौका भी नहीं मिला । जब तक देश में सुनामी की सूचना दी जाती तब तक सुनामी की लहरें उगते सूरज के देश में प्रलय मचाने पहुँच चुकी थी । ऐसा माना जा रहा है कि हिरोशिमा और नागाशाकी पर हुए परमाणु हमलों के बाद जापान में पहली बार इतनी बडÞी आपदा आई है । अभी तक मरने वालों की कोई सही संख्या तो प्राप्त नहीं हर्ुइ है पर ऐसा माना जा रहा है कि यह सीमा बहुत ज्यादा होगी । हम चाहे तकनीक के सहारे कितना भी आगे निकल जाए पर हम प्रकृति के सामने बौने ही रहेंगे यह हमें मानना ही पडÞेगा । जापान में तकनीक के सहारे आगे बढÞने की चाहत में वहाँ की प्राकृतिक संरचना के साथ बहुत खिलवाडÞ हुआ था । आज जापान का हाल ऐसा है कि वहाँ हर तरफ बडÞी इमारते और ऊंची ऊंची बिल्डिÞगें ही दिखाई देती हैं । जो कहीं न कहीं भूकंप जैसे आपदाओं को निमंत्रण देती नजर आती हैं । इसी भारी आपदा ने हमारे सामने सवाल खडÞा कर दिया है कि क्या हमारे पास ऐसी कोई तकनीक नहीं है जिससे सुनामी जैसी गंभीर विपदा का हम पर्ूवानुमान लगा सकें । यहाँ हमें हमेशा की तरह प्रकृति के आगे यूँ ही घूटने टेकते रहना पडेÞगा ।
भूकंप और सुनामी के बाद अब जापान को एक और त्रासदी झेलनी पडÞ रही हैं । जापान के फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट के चौथे रिएक्टर में रेडिएशन इतना बढÞ गया कि वहाँ मरम्मत का काम रोक दिया गया और कर्मचारियों को हटा दिया गया । जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव युकियो इदानो ने कहा कि इकाई संख्या तीन के आंतरिक कवच के संबंध में सूचना मिली है । उनके अनुसार यह कवच क्षत्रि्रस्त हो गया और इस बात की संभावना है कि इस क्षत्रि्रसत हिस्से से रेडियोधर्मी भाप निकल रही है । सुनामी के बाद न्यूक्लियर रेडिएशन ने न सिर्फजापान बल्कि पूरे विश्व को दहशत में ला दिया है । टोकियो की तरफ हवा का रुख होने की वजह से खतरा है कि कहीं हवाओं के द्वारा रेडिएशन फुकुशिमा से होकर टोकयो ना पहुँच जाए । फुकिशिमा से २५० किलोमिटर दूर टोक्यो के चीबा इलाके में विकिरण की मात्रा सामान्य से करीब २० गुना अधिक मापी गई । सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह रेडिएसन जानलेवा स्तर तक पहुँच गया है । इन न्यूक्लियर विकिरणों ने दुनिया भर में न्यूक्लियर सेफ्टी के पैमाने की तरफ सबका ध्यान खींचा है । एक बार फिर उन प्राइवेट कंपनियों की तरफ भौंहें टेढÞी हो गई हैं जो कहते हैं कि हमें न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाने का काम दे दो पर सुरक्षा के नाम पर उनके पास कोई जवाब नहीं होता ।
जापान में भूकंप और सुनामी के बाद फैल रहा परमाणु विकिरण खतरनाक रुप ले रहा है । फुकिशिमा में खाने-पीने की चीजों में रेडिएशन और खतरनाक रसायन का स्तर अधिक हो गया है । फुकुशिमा शहर में सप्लाई होने वाले पानी में रेडियोएक्टिव आयोडिन का स्तर सुरक्षित स्तर से ज्यादा पाया गया । टोक्यो सहित फुकुसिया के कई पडÞोसी शहरों से भी ऐसी ही खबर है । फुकुशिमा में सब्जियों और दूध में रेडिएसन का स्तर पहले ही सुरक्षित लेवल से ज्यादा रिकार्ँड किया जा चुका है । रेडिएशन जापान से बाहर भी फैल रहा है । यह अमेरिका के कैलिफोर्निया तक पहुँच गया है । करीब १० दिन पहले आए भूकंप और सुनामी के बाद मरने वालों की संख्या लगतार बढÞ रही है । जापानी पुलिस का कहना है कि भूकंप और सुनामी से अकेले मियागी परफैक्चर में ही १५००० लोग मारे गए हैं । और कई हजार लापता हैं । यही नहीं उत्तरी पर्ूर्वी क्षेत्र में १२ हजार से अधिक लोग अभी भी लापता है । और ७६० लोगों के मारे जाने की पुष्टि की गई है ।
फुकुशिमा परमाणु संयत्र में विकिरण खतरे को काबू में करने के लिए जुझ रहे वैज्ञानिकों ने कुछ कामयाबी हासिल की । लेकिन रिएक्टर नंबर तीन में फिर से तापमान बढÞने के बाद रेडियोएक्टिव गैसों का हवा में छोडÞे जाने की खबर है । एक प्रेस वार्ता में जापान की परमाणु और औद्योगिक सुरक्षा एजेंसी के प्रवक्ता हिदेहिको निशियामा ने कहा कि रिएक्टर नंबर तीन में ओवरहीटिंग के कारण कुछ रेडियोएक्टिव गैसों को छोडÞना पडेÞगा । यह बडÞी त्रास्दी से बचने के लिए जरुरी है । इस कारण टोकियो पावर कंपनी और सेल्फ डिफेंस फोर्सर्ेेके कर्मचारियों द्वारा रिएक्टर के कूलिंग सिस्टम तक बिजली पहुँचाने के प्रयासों को भी झटका लगेगा । गौरतलब है कि ११ मार्च को आई सुनामी के बाद से ही जापान के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से विकिरण रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं । ३०० कुशल इंजिनियर और वैज्ञानिक ज्ञान की बाजी लगाकर यूक्रेन के चनोंबिल परमाणु हादसे के बाद से इस सबसे बडेÞ परमाणु हादसे को रोकने का प्रयास कर रहे हैं ।
सुनामी का आना जापान की अर्थव्यवस्था पर भी भारी पडÞी है और जापान को करीब २०० मिलियन डाँलर का नुकसान हुआ है । यही नहीं द्वितीय विश्वयुद्ध में तबाह होने के बाद जापान ने जिस स्तर पर पुननिर्माण किया था, उससे भी ज्यादा पुनर्निमार्ण्र्ााी आवश्यकता पडेÞगी । mmm
