वाग्ले कि सजा ने किस किस को होस ऊडा
एम जे गस्त गुड्डु
पिछले दिनों सर्वोच्च अदालत के एक फैसले ने पर्ूव मंत्री चिरंजीवी वाग्ले को भ्रष्टाचार के आरोप में दो साल की कैद तथा लगभग पौने तीन करोड रुपये जर्माना लगाया तो भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अन्य पर्ूव मंत्रियों व उच्च सरकारी अधिकारियों तक की नींद ऊड गई, जिनका मामला सर्वोच्च अदालत में लटका हुआ है । मंत्री पद पर रहते हुए वाग्ले पर आय स्रोत से अधिक संपति इकट्ठा करने का आरोप है । अदालती फैसला आने के अगले ही दिन चिरंजीवी वाग्ले को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है । विभिन्न सरकारों में सात बार तक मंत्री रह चुके वाग्ले को पहले भी विशेष अदालत तथा पुनरावेदन अदालत दोषी करार देते हुए सजा सुनाई गई थी । लेकिन अपने ऊपर साबित हुए आरोप को चुनौती देते हुए वाग्ले ने सर्वोच्च अदालत में इस फैसले के खिलाफ अपील की थी । सर्वोच्च द्वारा फिर से पूरे मामले की जाँच कर वाग्ले को दोषी तो ठहराया ही विशेष अदालत द्वारा दिए गए डेढ वर्षकी सजा को बढÞाकर दो वर्षकर दिया । चिरंजीवी वाग्ले पर भ्रष्टाचार मामले का फैसला देते समय सर्वोच्च अदालत के न्यायाधीशों ने कई ऐसी अहम टिप्पणीयाँ की जिससे भ्रष्टाचार, आर्थिक अनियमितता और आय से अधिक संपत्ति आर्जित करने के मामले में रही कई पेंचीदगियाँ सुलझ गया है । अपने फैसलों में अदालत ने साफ कहा है कि किसी भी समय किया गया भ्रष्टाचार संबंधित व्यक्ति के जीवित रहने तक उस पर मुकदमा चलाया जा सकता है । दूसरी अहम बात जो अदालती फैसले में उल्लेख है वह यह से स्वयं आयकर घोषणा के तहत बेनामी और आय से अधिक संपति मामले में कर का भुगतान किए जाने से उस संपत्ति को वैध नहीं ठहराया जा सकता है और उस संपत्ति को भी भ्रष्टाचार में गिनती कर मुकदमा चलाया जा सकता है । अदालत द्वारा इस तरह का फैसला शायद पहली बार दिया गया है जब किसी पर्ूव मंत्री को जेल की चार दिवारी के भीतर भेजा है । इससे अदालत के प्रति लोगों का सम्मान तो बढÞा ही है साथ ही अब तक सिर्फनिम्न स्तर के कर्मचारी या अधिकारी को ही मिल रही सजा के बाद सबको यह विश्वास होने लगा है कि अब बारी बडेÞ ओहदे वालों की है । सर्वोच्च अदालत के इस ऐतिहासिक फैसले ने भ्रष्टाचार विरोधी जाँच करने वाली केन्द्रीय संस्था अख्तियार दुरुपयोग अनुसंधान आयोग के भी हौसले बुलंद हुए हैं । अब तक अख्तियार द्वारा कई बडÞे नेता, नौकरशाह, पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जाँच की गई लेकिन अदालत की धीमी कार्रवाही के कारण दोषियों को सजा नहीं मिल पाने से अख्तियार के काम पर भी प्रभाव पडÞा था । लेकिन वाग्ले को सर्वोच्च अदालत ने सजा देकर अन्य भ्रष्टाचारियों को जेल पहुँचाने का रास्ता साफ कर दिया है । अगले दो-तीन महिनों के भीतर ही सर्वोच्च अदालत के सामने कुछ ऐसे मामले की पेशी है, जिन पर पूरे देश की निगाहें होंगी । इस समय आम लोगों के मन में एक ही सवाल गूँज रहा है कि आखिरकार वाग्ले के बाद कौन – तो जान लीजिए कि वाग्ले को जेल होने के बाद अब जेल जाने की बारी में कुछ पर्ूव मंत्री, सरकार के पर्ूव सचिव व पुलिस के कुछ आला अधिकारी भी शामिल हैं । इनमें पर्ूव गृहमंत्री खुम बहादुर खड्का व पर्ूव मंत्री गोविन्द राज जोशी शामिल है । दोनों नेपाली कांग्रेस के केन्द्रीय सदस्य है । इसी तरह पर्ूव मंत्री जय प्रकाश प्रसाद गुप्ता पर भी कानूनी शिकंजा कस सकता है । गुप्ता इस समय फोरम नेपाल के सह अध्यक्ष है लेकिन पहले वो भी कांग्रेस के केन्द्रीय स्तर के नेता थे । भ्रष्टाचार के मुकदमें से जूझ रहे गोकर्ण्र्ााौडेल भी कांग्रेसी नेता है । पौडेल लम्बे समय तक पर्ूव प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला के निजी सचिव रह चुके हैं । पुलिस के जिन आला अधिकारियों पर भ्रष्टाचार करने का मामला अदालत में लंबित है, उनमें नेपाल पुलिस के पर्ूव प्रमुख अच्युत कृष्ण खरेल, पर्ूव आइजीपी प्रदीप शमशेर जबरा भी शामिल हैं । इसी तरह पर्यटन मंत्रालय के पर्ूव सचिव नागेन्द्र प्रसाद घिमिरे, नेपाल वायुसेवा निगम के पर्ूव महाप्रबंधक रामाज्ञा प्रसाद चतर्ुर्वेदी, पर्ूव सचिव चक्रबन्धु अर्याल, पर्ूव सचिव पदमराज पोखरेल, अर्थ मंत्रालय के सह सचिव सावित्री राज भण्डारी, भौतिक योजना तथा निर्माण मंत्रालय के सह सचिव आनन्द प्रसाद खनाल, अर्थ मंत्रालय के उपसचिवर् इश्वर पोखरेल, उपसचिव केशरजंग खड्का, कष्टम विभाग के डाइरेक्टर खेमराज भट्टर्राई तथा पर्ूव सह सचिव अरुण कुमार रंजितकार पर सर्वोच्च अदालत में भ्रष्टाचार का मामला लंबित है और इनके भविष्य का फैसला जल्द ही आ सक
