Fri. Mar 29th, 2024

एक समय ऐसा था, जब नेपाल के औद्योगिक नगरी विराटनगर में दर्जनों जूटमिल निर्वाध रूपसे संचालन में थी । नेपाल भारत के हजारों लोग इन मिलों में काम करते थे । लोडसेडिंग, हड़ताल, राजनीतिक अस्थितरता के कारण आधा दर्जन मिलें पहले ही बंद हो चूके हैं । जो संचालन में है, वह भी बंद के कगार पर है । इसी सन्दर्भ में हिमालिनी की संवाददाता माला मिश्रा ने नेपाल जूटमिल एसोशिएसन के अध्यक्ष राजकुमार गोल्छा से बातचीत की । प्रस्तुत है– बातचीत का संपादित अंश–
० जूटमिल बंद हो रहे हैं, क्या कारण है ?
– कारण तो कई हैं । लेकिन मुख्य कारण तीन माह पूर्व भारत सरकार का एक फरमान है, जिसके चलते फैक्ट्री बंद करने पर विवश हो रहे हैं



Rajkumar golchha
राजकुमार गोल्छा


० क्या है वह फरमान ?
– तीन माह पूर्व भारत सरकार के सेन्ट्रल एक्साइज द्वारा जूट से उत्पादित बोरे व अन्य सामग्रियां पर १२.५ प्रतिशत (सीभीडी) अन्तशुल्क के साथ–साथ डम्पींग ड्यूटी लगा दी । नये कर थोपे जाने के बाद फैक्ट्री बंद करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं रहा ।
० यह ड्यूटी हटाने के लिए पहल की या नहीं ?
– जी, नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल जी से हम सभी जूटमिल के संचालकों ने मिल कर अपनी समस्याएं रखी हैं ।
० ड्यूटी लगाने की वजह क्या हो सकती है ?
– पता नहीं । भारत में उत्पादित जूट के अनुपात में हम तीन प्रतिशत भी निर्यात नहीं कर पाते हैं । हमारे यहाँ से निर्यात होने वाले जूट से बने बोरा व अन्य सामग्रियां भारतीय बाजार में समुद्र से एक लोटा पानी निकालने के समान है ।
० अब क्या करेंगे ?
– फिलहाल तो मजदूर की कटौती कर रहे हैं । अगर इसमें सुधार नहीं हुआ, तो धीरे–धीरे मील बंद करने के अलावा और कोई दूसरा रास्ता भी नहीं रह जाता है ।
० भारतीय सरकार को ध्यान आकृष्ट हेतु कहां तक पहल की गई है ?
– जी, हमलोग भारत सरकार के जूट कमिश्नर (कलकत्ता) को गुहार लगा चुके हैं । इसके अलावा भारतीय दूतावास को भी अवगत करा चुके हैं । हमारा कहना है कि मील बंद होने से बड़ी संख्या में मजदूर और कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे ।
० सुनते है कि आपके कारखाना में अधिकांश मजदूर भारतीय हैं ?
– जी, सही कहा आपने । हमारे कारखाना में अधिकांश मजदूर भारतीय हैं । मिल के पाट–पूर्जे भारत से आते हैं । ७० प्रतिशत कच्चा जूट भारत के किसान उपलब्ध कराते हैं । इससे तैयार किया गया जूट के बोरे का निर्यात भी भारतीय बाजार में होता है ।
० अंत में कुछ कहना चाहेंगे आप ?
– हम लोग भारत सरकार को बताना चाह रहे हैं कि लगभग सात दशक पूर्व भारत के सहयोग से ही नेपाल में जूट मिलों की स्थापना हुई थी । यह कर लागू करना भारत–नेपाल के बीच पूर्व में हुई संधि की एक तरफ से अवहेलना भी है । नये अन्तशुल्क कर लगाने से हमलोग भारतीय बाजार में टीक नहीं पायेंगे । मिल बंद होता है, तो बड़ी संख्या में मजदूर, कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे । हम लोग भारत सरकार का नये आदेश पर पुनः विचार करने हेतु ध्यान आकृष्ट करा रहे हैं ।



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