बालू से तस्वीर बनाकर गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर को सैंड आर्टिस्ट ने किया नमन
*_रिपोर्ट-मधुरेश प्रियदर्शी_* *मोतिहारी.ताजा हाल़*–मेरा घर सब जगह है,मैं इसे उत्सुकता से खोज रहा हूँ। मेरा देश भी सब जगह है,इसे मैं जीतने के लिए लडूंगा। प्रत्येक घर में मेरा निकटतम संबंधी रहता है,मैं उसे हर स्थान पर तलाश करता हूं। गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर के इस कथन का स्मरण करते बिहार के पूर्वी चम्पारण जिला अन्तर्गत नेपाल सीमावर्ती शहर घोड़ासहन में सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने बालू की रेत पर गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की प्रतिमा उकेर कर 156 वीं जयंती मनाई। जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रही। यहां बता दें कि महान साहित्यकार-चित्रकार और विचारक “रविन्द्र नाथ टैगोर” का जन्म 7 मई सन 1861 को कोलकाता में हुआ था। इस पावन मौके पर बीएमसी मुनेन्द्र कुमार, पूर्व प्रधानाध्यापक विद्यानंद प्रसाद, शिक्षक ललन प्रसाद, सिकंदर पटेल, सुनील कुमार, चन्दन कुमार, बाल कलाकार पूजा कुमारी, आशु, नीलेश, दीपांशु, रौशन, कुंदन, अभिषेक, समेत सैकड़ों शिक्षाविद लोगों ने मधुरेंद्र के कला की प्रसंशा करते हुए महान संत-विचारक एवं रचनाकार रविन्द्रनाथ टैगोर के जन्म दिवस पर उन्हें शत-शत नमन किया। यहां बता दें कि चंपारण के लाल सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र ने बिहार विश्वप्रसिद्ध सोनपुर मेला समेत कई सरकारी महोत्सव के अवसर पर तथा पड़ोसी देश नेपाल में भी विभिन्न अवसरों पर रेत से कलाकृति बनाकर हजारों लोगों का दिल जीत लिया है। मधुरेंद्र द्वारा विभिन्न अवसरों पर बनायी गयी कलाकृति की सराहना बिहार के सीएम नीतीश कुमार एवं बिहार विधानसभाध्यक्ष विजय कुमार चौधरी समेत कई प्रशासनिक अधिकारी और राजनेता कर चूके हैं।