सन्शय रहित होकर आन्दोलन घोषित किया जाय : देवेश झा
“दुविधा मे दोनों गए माया मिली न राम”
राजपा के नेतागण यह निर्णय नही ले पा रहे है कि आन्दोलन की घोषणा कब करे । प्रधानमन्त्री के आग्रह पर राजपा ने सरकार को एक दिन का समय और दे दिया है । लेकिन क्यो ? पहले चरण के निर्वाचन मे एमाले का एजेण्डा था कि वह सम्विधान सन्शोधन के विरुद्ध है और उसे अन्य पार्टियो की अपेक्षा बढत भी मिली । तो फिर एमाले अपना एजेन्डा क्यो और कैसे बदल सकता है अर्थात एमाले किसी भी प्रकार के सम्विधान सन्शोधन मे सहयोग नही करेगा । तो फिर सन्शोधन हो ही नही सकता । खबर यह आ रही है की मधेसी बहुल इलाको मे स्थानिय तह की संख्या बढाइ जाएगी । यह आश्वासन प्रचण्ड द्वारा दिया गया है । एमाले अगर इसपर सहमत भी है तो क्या यही है सम्विधान सन्शोधन । स्मरण रहे कि उपेन्द्र यादव बिना सम्विधान सन्शोधन के चुनाव मे भाग लेने के कारण ही संघीय गठबन्धन के अध्यक्ष से हटाए गए थे । मधेस की जनता सन्शोधन का सीधा अर्थ प्रदेश की सीमाओ का सन्शोधन समझती है । जब वो हो ही नही सकता तो फिर दुविधा कैसी ? आज मधेस मुद्दा जिस तरह से क्षीण होता जा रहा उसके लिए विगत मे हुइ त्रुटिया जिम्मेवार है । हमने बार बार आग्रह किया था कि मुद्दे की हत्या नही किया जाय बल्कि आने वाली पीढी को आन्दोलन की मशाल सौप दिया जाय । राजनिती मे दबाव तो आता ही रहता है । कभी परिवार के सदस्यो द्वारा तो कभी पास पडोस का । परन्तु सम्पुर्ण समाज का हित ही सर्वोपरी होना चाहिए । हो सकता है कि किसी कार्यकर्ता ने चुनाव मे जाकर अपने भविष्य के सुनहरे सपने देखे हो । या फिर कोइ मित्र अपना एजेन्डा पुरा कराना चाहता हो । पर यह समय अस्तित्व बचाने का है । इसमे अगर भोतिक या राजनितिक आहूति देनी पडे तो भी हिचकना नही चाहिए । स्वतन्त्र होने से पुर्व अङ्रेजो ने भी भारत मे प्रादेशिक चुनाव कराया था जिसे काङ्रेस ने अस्वीकार कर दिया । फलत: कराए गए प्रादेशिक चुनाव असफल हो गए । चीन द्वारा तिब्बत को अपने अधीन मे लेने के बाद वहाँ भी चुनाव होते रहे है परन्तु दलाई लामा द्वारा अस्विकृत होने के कारण स्वय चीन भी तिब्बत को लेकर सशन्कित रहता है । नेपाल मे भी पन्चायत काल मे चुनाव होते रहे । बस नेपाली काङ्रेस उन चुनावो को अस्वीकार करता रहा । परिणामत: पञ्चायती व्यवस्था का अन्त हो गया । उसी प्रकार से मधेसी दलो की सहभागिता के बिना मधेस मे हुआ चुनाव अर्थहिन होगा । जीवन मे सबके सामने एक बार अवसर जरुर आता है यह दिखाने का कि वो कायर नही है । जरुरी है कि सन्शय रहित होकर आन्दोलन घोषित किया जाय ।