बगैर संशोधन चुनाव बहिष्कार, नश्लबाद की खात्मा के लिए हतियार उठानें की चेतावनी
हिमालिनी डेस्क
काठमांडू, २ जून ।
संविधान संशोधन किए बगैर स्थानिय निकाय का चुनाव बहिष्कार करनें के अभियान सुरु किया हैं । तराई मधेश राष्ट्रिय परिषद्द्वारा आज राजधानी के माइतीघर मण्डला में संविधान संशोधन बगैर को चुनाव को बहिष्कार करनें अभियान में बुद्धिजीवि सिके लाल नें पाँच सल्लाह और सुझाव दिया था ।
माइतीघर मण्डला में मधेशी अधिकारकर्मी, बुद्धिजीवि, प्रध्यापक, नागरिक अगुवा लगायत पत्रकारों के उपस्थिती था । विभिन्न पेस्टरों और पम्पलेट प्रर्दशन करतें हुयें बिना संविधान संशोधन के स्थानिय निकाय के चुनाव को बहिष्कार करनें के लिए विरोध प्रर्दशन किया था ।
कार्यक्रम को सम्बोधन करतें हुयें बुद्धिजीवि सिके लाल ने कहा कि शाषकों के सोच परिवर्तन करनें के संघर्ष भले हि लम्बे क्यों ना हो लेकिन जीत हमेशा होता हि हैं । प्रसंग बस उन्होने अल्बर्ट आइन्सटाइन नें एक खोज का प्रतिपादन किया था जो पुरे विश्व के बैज्ञानिकों ने गलत कहा था लेकिन आइन्सटाइन बिना घबराए उस भ्रम को चिर्ने मे सफल हुवा था, इस बात की जिक्र करतें हुयें लाल नें कहा कि अगर हम सच के साथ है तो पिछे हटना नहीं चाहिए चाहे उस का परिणाम जो भी हो – क्यों कि जीत हमेशा सत्य के हि होती हैं ।
साथ हि उन्होनों कार्यक्रम के दौरान युवाओं से संयमता अपनाकर जगह–जगह पर संविधान का संशोधन बगैर का स्थानिय निकाय का चुनाव का कोए अर्थ नहीं हैं एैसी कार्यक्रम को निरन्तरता रखनें के लिए सुझाया था ।
साथ हि उन्होने शाषक वर्ग को निशाना में लेते हुए कहा कि हमारी दिल के घावों को वो लोग पैर पर तेल लगाकर ठिक करना चाहता हैं जो कि संम्भव नहीं है इस लिए अभि भि शाषक वर्ग निन्द से जागकर समस्या का समाधान करनें में हि उनलोगों की भलाई हैं ।
कार्यक्रम में मधेश अधिकार संघर्ष समिती के संयोजक सरोज मिश्र नें कहा कि अब के युवा नेताओं के पिछे नहीं रहेंगें अगर शाषक वर्ग अपना रबैया नहीं सुधारा तो मधेशी युवा हतियार उठा सकतें हैं ।
कार्यक्रम में मधेश अधिकार संघर्ष समिती के संयोजक सरोज मिश्र, मधेश फाउण्डेसन के तुलानरायण साह, पूर्व राजदुत विजयकान्त कर्ण, तराई मधेश राष्ट्रिय परिषद् के सदस्य कासिन्द्र यादव लगायत के बक्ताओं ने अपना विचार रखा था । कार्यक्रम में २ सौं से ज्यादा लोगों की उपस्थिती था ।