विद्रोह करना कोई अपराध नहीं : विशेश्वर प्रसाद कोईराला
विना विद्रोह संसार में कुछ भी निर्माण होना असंभव है । गौर करें तो ब्रम्हाण्ड खुद एक प्राकृतिक विद्रोह है । आपसी टकराव और विद्रोह के कारण ही पहाड, द्वीप, महाद्वीप और सागरों का निर्माण हुआ है । एक ही पृथ्वी का अनेक टुकडों में सैकडों राष्ट्र बने हैं । करोडों परिवार बने हैं । दुनियाँ इतना विकासमय बना है । विज्ञान और प्रवृद्धियों की विकास हुई है । विद्रोह के नीम पर शासकों का राजसत्ता निर्मित है । फिर विद्रोह अपराध कैसे हो सकता है ?
विद्रोह शक्ति का प्रतिक है । विद्रोह शक्ति का प्रदर्शन भी है । विज्ञान स्वयं में एक विद्रोह है और इसिलिए विद्रोह एक विज्ञान भी है । विज्ञान ने बिजली आविष्कार की मानव जीवन को आरामपूर्ण, सक्षम और सुविधापूर्ण बनाने के लिए । अन्धेरे को खत्म करने के लिए प्रकाश बालना भी एक विद्रोह है । प्रकाश से समाज को प्रकाशपुञ्जित करना उस विद्रोह का धर्म है । मगर इसका प्रयोग कोई किसी के घर जलाने में करें तो फिर वह विद्रोह नहीं हो सकता । वह सनक है । विद्रोह करने से पहले एक शख्स को निडर होना पडता है । निडर लोग ही विद्रोह को जन्म दे सकता है और उसे समझ भी सकता है । बिना समझे विद्रोह करना भी खतरापूर्ण है ।
विद्रोह एक कला है । एक विश्वास भी है । आत्म चिंतन है और आत्मविश्वास भी है । राम, कृष्ण, बुद्ध, जिसस, मोहम्मद, वासिंङ्गटन, स्यामुएल च्याप्लेन, गाँधी, सन् यात्सेन, माक्र्स, लेनिन, एंङ्गल्स, हिटलर, न्यापोलियन, मुसोलिनी, मण्डेला, बी.पी, गणेशमान, पुष्पलाल, ओली, प्रचण्ड आदि सब विद्रोही हैं । उन सबने विद्रोह ही की है । उनमें भी आत्म विश्वास थी और उनके उन्हीं आत्म विश्वासों ने उन्हें पहचान दिलायी जिनके नाम पर संसार आज बडे बडे धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक और विचारीय अनुष्ठान करती है, लोग अपने जान और धनतक की कुर्बानियाँ देने को तैयार हो जाते हैं ।
शिव से लेकर रामतक, राम से लेकर मोहम्मद तक, वासिंङ्गटन से लेकर गाँधी तक और गाँधी से लेकर प्रचण्ड तक सबने विद्रोह ही तो कीया है । जब उनके विद्रोह सही है तो मधेश विद्रोह गलत हो ही नहीं सकता । जब उनके सशस्त्र विद्रोह देश हित में हो सकता तो शान्तिमार्ग के स्वतन्त्र मधेश का विद्रोह गलत कैसे हो सकता ?
विद्रोह करना मानव अधिकार है और विद्रोही बनना सौभाग्य । विद्रोह न होता तो अमेरिका, रुस, जापान, फ्रान्स, भारत, चीन और अष्ट्रेलिया न होते । विद्रोह न होता तो आज का ज्ञान न होता । विद्रोह न होता तो आदमी चाँद पर न जा पाता । विद्रोह न होता समाजवाद, उदारवाद, साम्यवाद, गणतन्त्रवाद आदि न होता । विद्रोह न होता तो आज का नेपाल न होता । और मधेश को होने के लिए भी विद्रोह होना जरुरी है । विद्रोही बनना आवश्यक है ।
