नेपाल को अपनी सोंच में परिवर्तन लाना चाहिए : डा.महेन्द्र पी लामा
जवाहरलालनेहरु विश्वविद्यालय दिल्ली के प्राध्यापक तथा नेपाल-भारत सम्बन्ध पुनर्माजित करने के लिए गठित प्रबुद्ध समूह के सदस्य डा.महेन्द्र पी लामा ने कहा कि नेपाल को अपनी सोंच में परिवर्तन लाना चाहिए | टोकियो स्थित इचिगाया के चुकुबा विश्वविद्यालय ने रविवार को नेपाल-भारत सम्बन्ध और १९५० की सन्धि पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया ग्या | इसमें दोनों देशों के सम्बन्ध को और उचाई पर लेजाने पर जोड़ दिया गया |
कार्यक्रम में जवाहरलालनेहरु विश्वविद्यालय दिल्ली के प्राध्यापक तथा नेपाल-भारत सम्बन्ध पुनर्माजित करने के लिए गठित प्रबुद्ध समूह के सदस्य डा.महेन्द्र पी लामा ने कहा कि नेपाल अपनी शक्ति को नही पहचान पाया है | भारत और चीन के बीच नेपाल की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है ।
पी लामा ने कहा कि नेपाल को चाहिए कि १९५० की संधि की जो जो बूंदा नेपाल को पसंद नही है वः लिखित रूप में पेश करें |लेकिन नेपाल नही कर पा रहा है | उनका कहना था कि भारत चाहता है कि नेपाल से उसका सम्बन्ध प्रगाढ रहे | भारत नेपाल की शक्ति को पहचानता है | नेपाल भारत और चीन के वीच का सैण्डविच है उन्होंने कहा कि नेपाल सैंडविच के बिच का बटर है | बटर नही रहे तो सैंडवीच स्वादिष्ट नही होता है | उन्होंने यह भी कहा कि नेपाल को अपनी सोच में परिवर्तन करके नेपाल भारत और चीन के बिच में अपनी भूमिका दिखानी चाहिए | उन्होंने यह भी कहा कि १९५० की संधि से दोनों देशों को फैदा भी होरहा है | किस किस असहमति के बूंदा को परिवर्तन किया जाय यह नेपाल की ओर से अभी तक पेश नही किया जा रहा है |
चुकुवा विश्वविधालय के ही सह-प्राध्यापक डा. कमल लामिछाने ने१९५० की मैत्री सन्धि की कुछ बुँदा राणा शासन की सत्ता टिकाने के लिए बनाया गया था | उन्होंने कहा कि नेपाल का डिप्लोम्याटिक च्यानलमजबूत बनाना पड़ेगा |