स्रष्टा सम्मान तथा बहुभाषिक गजल गोष्ठी कार्यक्रम सम्पन्न
नेपालगन्ज÷(बाँके) पवन जायसवाल, २०७४ श्रावण २३ गते ।
बाँके जिला के नेपालगन्ज उद्योग बाणिज्य संघ के सभा हाल में भारत और नेपाल के तीन स्रष्टाओं को श्रावण २१ गते शनिवार को सम्मानित किया गया ।
१५२ वीं मोतीराम जयन्ती, ७९ वीं प्रकाश राजापुरी जयन्ती, और ८२ वीं प्रेम प्रकाश मल्ल जन्मजयन्ती के सन्दर्भ में मध्यपश्चिमाञ्चल गजल प्रतिष्ठान नेपालगन्ज के आयोजन में किया गया “स्रष्टा सम्मान तथा बहुभाषिक गजल गोष्ठी” कार्यक्रम गुल्जारे अदब बाँके के अध्यक्ष तथा वरिष्ठ उर्दू साहित्यकार अब्दुल लतीफ शौक की प्रमुख आतिथ्य में सम्पन्न हुआ था ।
कार्यक्रम में भारत जिला बहराइच नानपारा के निवासी अन्जूमन शाहकार–ए–उर्दू उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष तथा उर्दू साहित्यकार शारिक रब्बानी को फारुफ अहमद आरफी गजल से सम्मानित किया गया, दाङ्ग जिला के निवासी कवि छविलाल कोपिला को प्रकाश राजापुरी गजल से सम्मान किया गया, इसी तरह रोल्पा जिला की निवासी कवयित्री गायत्री घर्तीमगर को प्रेम प्रकाश मल्ल गजल से दोसाला ओढाकर ढाका टोपी लगाकर और कवयित्री गायत्री घर्तीमगर को दोसला और सम्मान पत्र प्रदान करके सम्मान किया गया था ।
कार्यक्रम में नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठन के पूर्र्व सदस्य सचिव सनत रेग्मी, प्राज्ञ तथा भेरी साहित्य समाज के अध्यक्ष हरि प्रसाद तिमिल्सिना, हाम्रो पूर्णिमा सहित्य समाज कोहलपुर के अध्यक्ष महानन्द ढकाल, नेपालगन्ज उद्योग बाणिज्य संघ के अध्यक्ष नन्दलाल बैश्य, खगेन्द्र गिरि कोपिला, दैलेखी समाज के अध्यक्ष तथा अधिवक्ता भीम बहादुर शाही, कृष्ण गतौला, सन्तोषी सिंह, सृजन लस्साल, हिरालाल शर्मा, नीरज दाहाल, भिम प्रज्वल, अपेक्षा सिंह, नेपालगन्ज के जानेमाने उर्दू शायर नसीम कादरी, मधुकरमणि अचार्य, मध्यपश्चिमाञ्चल गजल प्रतिष्ठान के सदस्य हरि प्रसाद भण्डारी, कल्पना खरेल, ओमबहादुर क्षेत्री, महेन्द्र रोकाया अदृश्य, जे.बी. अनुरागी, बिक्रम शिशिर, लगायत लोगों ने अपनी अपनी रचनाएँ सुनायी ।
इसी तरह कार्यक्रम में भेरी साहित्य समाज के कोषाध्यक्ष कविराज रेग्मी, सम्मानित ब्यक्तित्व शारिक रब्बानी, कवि छविलाल कोपिला, कवियत्री गायत्री घर्तीमगर ने भी अपने अपने बिचारों को रखा । कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि तथा वरिष्ठ उर्दू साहित्यकार अब्दुल लतीफ शौक ने गजल प्रस्तुत किया था । मध्यपश्चिमाञ्चल गजल प्रतिष्ठान नेपालगन्ज के अध्यक्ष पूर्ण समीर महतरा के सभापतित्व कार्यक्रम सम्पन्न हुआ था, बी.पी. अस्तु ने अपनी रचना प्रस्तुत किया था और कार्यक्रम की सञ्चालन भी किया था ।