उम्मीदवार ऐसे भी हैं, जिसको पता भी नहीं है कि पार्टी का झण्डा और निर्वाचन चिन्ह क्या है !
बारा, १२ भाद्र ।
आश्वीन २ गते प्रदेश नं. २ में स्थानीय चुनाव होने जा रहा है । इसके लिए विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपनी पार्टी के तरफ से उम्मीदवार भी खड़ा कर रहे हैं । लेकिन कुछ उम्मेदवार ऐसे भी हैं, जिसको पता भी नहीं है कि अपनी पार्टी का झण्डा और निर्वाचन चिन्ह क्या है ! यह बात सुनकर आप को आश्चर्य लग सकता हैं । हां, यह बात तो सच ही है । आज प्रकाशित राजधानी दैनिक में बारा जिला से कृष्ण सिग्देल लिखते हैं कि जितपुर सिमरा उप–महानगरपालिका के कुछ दलित महिला उम्मीदवार ऐसे भी हैं, जिनको पता भी नहीं है कि उनका पार्टी, झण्डा और निर्वाचन चिन्ह क्या है !
ऐसे ही उम्मेदवारों में से एक हैं– माओवादी केन्द्र के तरफ से जितपुर सिमरा उप–महानगरपालिका वार्ड नं. १४ में वार्ड सदस्य की उम्मीदवार (दलित कोटा) शान्ति देवी राम । शान्ति देवी की दैनिकी दुधौरा खोला में गिट्टी पिटना है । उनकी घर भी नदी किराने में ही है, जो चमार टोल के नाम से जाने जाते हैं । शान्ति देवी कितनी साल की हुई है, इस का भी पता नहीं है । नेपाली बोलना भी अच्छी तरह नहीं आती । इसीलिए शान्ति देवी का पति कहते है– ‘हमारे यहां किसी को भी अपनी उम्र के बारे में पता नहीं होता । शान्ति देवी सायद २५–२६ साल की हो गई हो ।’ शान्ति देवी ने माओवादी पार्टी का नाम तो सुना है, लेकिन और कुछ भी पता नहीं है । राजनीतिक दर्शन तो दूरी बात, पार्टी झण्डा और चुनाव चिन्ह क्या है, यह भी पता नहीं है ।
शान्ति देवी ने सुना है कि उम्मीदवार बनने से कुछ सुविधा प्राप्त हो सकती है । इसलिए वह उम्मीदवार बनी है । शान्ति देवी को कहना है कि उनके परिवार के लिए शुबह–शाम हाथ–मुंह जोड़ने के लिए भी मुश्किल होता है और उनको उम्मीदवार बनने की इच्छा भी नहीं है । लेकिन माओवादी ने शान्ति देवी को उम्मीदवार बनाया है । शान्ति देवी को तो यह भी पता नहीं है कि चुनाव क्या है और उम्मीदवारी का मतलव क्या है ? लेकिन एक जान–पहचान वाले व्यक्ति ने आकर शान्ति देवी को उम्मीदवार बनने को प्रस्ताव किया, और उनके श्रीमान ने स्वीकृति दे दिया । बस ! शान्ति देवी माओवादी केन्द्र के लिए उम्मीदवार बन गई ।
लगभग ऐसे ही हालांत हैं– जितपुर सिमरा उपमहानगरपालिका– ६ के लिए नेपाली कांग्रेस पार्टी के तरफ से वार्ड सदस्य के लिए उम्मीदवारी देने वाली ज्ञानी पासवान की भी । २८ वर्षीया ज्ञानी का कहना है कि उनके ससूर जमिरी पासवान ने उनको उम्मीदवार देने के एि कहा है । हां, जमिरी नेपाली कांग्रेस से आवद्ध है । लेकिन ज्ञानी को राजनीतिक बात करना और अपने को उम्मीदवार के रुप में परिचय देना शरम आती है ।
शान्ति देवी और के ज्ञानी के तरह डुमरवाना–१४ बोरिङ टोली में रहने वाली चन्द्रमाया सार्की की हालात भी वैसी ही है । चन्द्रमाया को वार्ड नं. १४ के लिए नेकपा एमाले ने उम्मीदवार बनाया है । लेकिन राजनीति क्या है, चन्द्रमाया नहीं जानती है । वह कहती है– ‘हम लोग गरीब हैं, गरीब को कुछ पाने की अपेक्षा होती है । इसलिए मैं उम्मीदवार बनी हूं । पार्टी के बारे में तो मुझे पता नहीं है ।’ प्रायः घर के काम में ही व्यस्त चन्द्र माया को पता भी नहीं है कि उनके वार्ड में और कौन–कौन लोग उम्मीदवार बने हैं ।