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१३ सितम्बर



सरकार द्वारा पूर्व विशिष्टाें काे दी जाने वाली   सेवा सुविधा के विषय की काफी चर्चा हाे रही है ।   संविधानसभा से रुपान्तरित संसद का कार्यकाल समाप्त हाेने के साथ ही पूर्व पदाधिकारी काे विलासी सुविधा देने का विधेयक पारित कराने की काेशिश शुरु हाे गई है ।  महीनाें से संसद के राज्यव्यवस्था समिति में रहे पूर्व विशिष्ट पदाधिकारी की सुविधा सम्बन्धी विधेयक में पूर्व सांसद काे पेन्सन सुविधा घुसा कर पारित करने की कसरत शुरु हुइ है।

प्रतिनिधिसभा निर्वाचन की उम्मीद्वारी मनोनयन के अगले दिन तक मात्र रुपान्तरित संसद के  कार्यकाल रहने  की संवैधानिक व्यवस्था (संविधानको धारा २९६ के उपधारा १ की प्रतिबन्धात्मक व्यवस्था) के कारण संविधान निर्माता ५९१ सांसद असोज ४ में ‘भूतपूर्व’ हाे रहे है‌ । अब उन सबकाे  पेन्सन देने के लिए विधयेक पास किया जा रहा है । पूर्व राष्ट्रपति काे मासिक दाे लाख रुपया घरभाडा अाैर मासिक ५० हजार रुपया वृत्ति, पूर्व उपराष्ट्रपति काे ७५ हजार रुपया घरभाडा अाैर मासिक ४० हजार रुपया वृत्ति, पूर्वप्रधानमन्त्री, प्रधानन्याधीश अाैर सभामुख काे मासिक ७५ हजार रुपया घरभाडा, सवारी साधन, इन्धन अाैर सचिवालय के लिए कर्मचारी सुविधा प्रस्ताव किया गया । पूर्व विशिष्ट पदाधिकारी की सुविधा सम्बन्धी व्यवस्था  पारित हाेने पर भूपू के लिए मात्र राज्यकोष में करौडौं का व्ययभार  बढना निश्चित है ।

कान्तिपुर से



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