चारों तर्फ दिपावली की जगमगाहट, सहिद परिवार की जिवन अन्धकारमय
रोशन झा, सप्तरी ,२ कार्तिक २०७४, गुरुवार ।
“जब मधेश में थी दिवाली वो खेल रहे थें होली, जब आन्दोलन के नेतृत्व कर्ता बैंठे थें काठमाँण्डौं में, वे झेल रहे थे गोली”
यूग त्रेता में अखिल ब्रह्माण्डाधिक नायक परापर ब्रह्म भगवान श्री रामचन्द्र जी महाराज नें रावण का बध करके असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय स्थापित किया था | उसके पश्चात कार्तिक माह अमावश के काली रात को जगत जन्नी माँ जानकी सँग मर्यादा पुरुषोत्म श्रीराम और माता सिता चौदह वर्ष की वनबास भोगकर घर लौटें उस दिन अयोध्या नगरी को दीपक जलाकर चकाचौन्ध किया गया था । भगवान राम और भगवती सिता के गृह प्रवेश की दिन के सम्झना में हिन्दुधर्मावल्मि ईस दिन में दिप जलाकर खुसियों की त्योहार दिपावली मनाते हैं |
“सहिदों के बेसहरा बच्चे हरपल बिलख-बिलख कर रोती है, कमवख्त मधेशी दलाल नेताओं की हर रात रंगिन दिवाली होती हैं”
अगर हम मधेश की बात करें तो यहाँपर हर तरफ दिपावली की धूम है चारौं और जगमगाती हुई झिलमील रोशनी है, किन्तु मधेश में रहनेवाले डेढ करौंड से अधिक मधेसवाशियों को हक-अधिकार दिलाने के लिए सैंकडौं मधेशी परिवार के कूल दीपक हमेशा के लिए बुझ गए । मधेशी जनता ने पहिचान, समता, समावेशिता और प्रदेश जैसी माँगो को लेकर तीन बार महाआन्दोलन किए किन्तु आन्दोलन की अगुवाई कर रहे मधेशी दल सत्ता की महत्वाकाँक्षी होने के कारण मधेशी जनता को सिर्फ कागज के टुकडों में अधिकार मिलने की आश्वासन ही प्राप्त हुई लेकिन मधेशी दल के नेता मलामाल हो गए पैसा, पद, कुर्सी और सत्ता मोह के कारन सहिदों की सहादत को ईन्होने व्यर्थ कर दिया।
“संविधान में किए गए छल्ल के कारण मधेशि जनता आन्दोलित हुए, परन्तु राजनैतीक हिस्सेदारी देकर मधेशीयों के सिने पर पत्थल मारने का काम शासक वर्ग द्वारा किया गया”
जिस समय मधेश में जमिनी लडाई चल रही थी उस समय आन्दोलन के नेतृत्व कर्ता काठमाँण्डौं में सत्ता की समिकरण बैठाने मे व्यस्त थें, नेपाल सरकार की चरम दमण के कारण अधिकार की लडाई में सैंकडौं मधेशी सपुत पुलिस की गोली खाकर वीरगति को प्राप्त हुए, किन्तु मधेशी जनता आज भी अपने हक-अधिकार से कोसों दुर हैं । मधेशी दल के नेता आनेवाले चुनाव में सत्ता हासिल करने के लिए काठमाँण्डौं की राजनीति मे व्यस्त हैं उनकी तो हर रात दिपावली हो रही है, मगर बेसहारा मधेशी सहिद परिवार की जिवन अन्धकारमय हैं ।