लुम्बिनी विकास कोष के इतिहासमे पहली बार कोई स्थानीय ब्यक्तिको लुम्बिनी विकास कोष का नेतृत्व
लुम्बिनी विकास कोष के इतिहासमे पहली बार कोई स्थानीय ब्यक्तिको लुम्बिनी विकास कोष के नेतृत्व का अवसर मिला है।
लुम्बिनी क्षेत्रके वो जानेमाने चेहरा हैं ; बौद्ध श्रामणेर-भिक्षु “मेत्तेय्य” (अवधेश कुमार त्रिपाठी-प्रवज्या पूर्ब नाम)
गत अगहन १४ गते (३० नवम्बर) प्रधानमन्त्री शेरबहादुर देउवा के नेतृत्वमे बालुवाटार में सम्पन्न मंत्रिपरिषद बैठक द्वारा उन्हें लुम्बिनी विकास कोष की उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी देनेका निर्णय किया गया।
उनके इस नियुक्तिसे स्थानीयवासी अत्यंत उत्साही हैं और बरसोंसे चालू लुम्बिनी गुरुयोजना अब अंतिम चरणमे जल्द ही संपन्न होनेमे आशावादी हैं ।
बाल्यकाल से ही तीक्षण प्रतिभाके धनि रहे श्रद्धेय मेत्तेय्य लुम्बिनी विकास कोष के अभीतक के कम उम्रके उपाध्यक्ष भी हैं।
लुम्बिनी क्षेत्रके बिभिन्न सामाजिक एवं धार्मिक कार्योंमे महत्वपूर्ण योगदान देते आ रहे श्रद्धेय मेत्तेय्य “लुम्बिनी सामाजिक विकास प्रतिष्ठान” www.servelumbini.org के संस्थापक भी हैं। लुम्बिनी आसपासके ग्रामीण क्षेत्रके विकासके लिए प्रमुख रूपमे शैक्षिक पक्ष को जोड़ देते हुए प्रतिष्ठान सम्बद्ध मेत्ता गुरुकुल स्कूल, करुणा महिला विद्यालय (Karuna Girl’s College), पीस ग्रोव इंस्टिट्यूट (Peace Grove Institute), बोधि इंस्टिट्यूट (Bodhi Institute) जैसे शैक्षिक परियोजना संचालनमे लाये हुए है। और, बिभिन्न समयपर स्वास्थ्य शिविर के माध्यमसे भी स्थानीय लोगोंकी स्वास्थ्य सुधार में योगदान देते आ रहे हैं।
पदभार ग्रहणके दिन, कल अगहन २४ गते (१० दिसंबर) को लुम्बिनी विकास कोषके पदाधिकारी एवं कर्मचारियों ने नवनियुक्त उपाध्यक्ष श्रद्धेय मेत्तेय्य को स्वागत एवं बधाई ज्ञापन किया।
कार्यभार संभालते हुए उन्होंने अपने मन्तब्यमे लुम्बिनी क्षेत्रके समग्र विकासके लिए बुद्धकालीन पुरातात्विक क्षेत्र रामग्राम,देवदह और कपिलवस्तु क्षेत्रका भी साथ-साथ विकास करनेके विषयपर जोड़ दिया। साथ ही, लुम्बिनी विकास गुरुयोजना को यथाशीघ्र संपन्न करनेके लिए कोषके सारे कर्मचारी, पदाधिकारी एवं स्थानीय सभीका साथ मिलनेका अपेक्षा ब्यक्त किया।
-बिनोदपासवान